17 June 2014

The International Union for Conservation of Nature (IUCN) released the Red List of Threatened SpeciesIUCN Red List of Threatened Species is celebrating its 50th anniversary in 2014. As of now, the Red List has 73,686 assessed species, of which 22,103 are threatened with extinction. The release includes lemurs, Japanese eels, slipper orchids.
ArmadilloThe Brazilian three-banded Armadillo (Tolypeutes tricinctuswhich is FIFA World Cup 2014 mascot has been enlisted asVulnerable as its population has decreased by more than a third in the past 10 due to destruction of half its shrubland habitat.
The Brazilian 3-banded armadillo (Tolypeutes tricinctus) is an armadillo species endemic to Brazil. In Brazil it is locally known as “tatu-bola” as it can roll itself into a ball. 
Lemurs are one of the most threatened groups of vertebrates on the planet as more than 90% of lemurs are now threatened with extinction.
Some of the facts about Lemurs:
  • Of the 99 known species, which live on the island of Madagascar 22 species are critically endangered, including the Indri, the largest living lemur.
  • 48 species of lemur are endangered, including Madame Berthe’s mouse lemur, the world smallest primate.
  • 20 lemur species are vulnerable.
  • Lemurs are threatened by the loss of their tropical forest habitat due to rise in illegal logging on account of political instability and surging levels of poverty in the past 20 years.
Japanese eel:
It is a traditional food in Japan and the country’s most expensive food fish. It is endangered due to:
  • Habitat loss
  • Unsustainable fishing
  • Obstructions to migration
  • Pollution
  • Changes in oceanic currents
The assessment of species is done using the Species Information Service Toolkit, an application developed in partnership with Solertium and IUCN.

Modi lays foundation stone for Kholongchu hydro-power project


Prime Minister Narendra Modi on Monday laid the foundation stone of the 600MW Kholongchu Hydro-electric project, a joint venture between India and Bhutan.

The project’s foundation stone was laid by Mr. Modi electronically from the courtyard of Bhutan’s Parliament building after addressing a joint session.

Three Hydro-electric projects (HEPs) totalling 1416 MW (Chukha, Tala and Kurichu) are already operational.

Three more HEPs [Punatsangchu I (1200 MW), Punatsangchu II (1020 MW) and Mangdechu (720 MW)] are under construction.

They are scheduled to be commissioned in 2017-18.

In April, 2014, the two countries had signed a framework agreement on four more JV-model HEPs totalling 2120MW. Of these, pre-construction activities for the 600MW Kholongchu HEP as a JV-model HEP between Satluj Jal Vidyut Nigam (SJVN) and Druk Green Power Corporation (DGPC) will commence soon.

“Our hydropower cooperation with Bhutan is a classic example of win-win cooperation,” an Indian official said, adding that “the hydropower projects generate export revenues for Bhutan, cement our economic partnership and provide clean and low-cost electricity to India.”

comparison of cut off of last three year



out of 400 2011 2012 2013
GEN 198 209 241
OBC 175 190 222
SC 165 185 207
ST 161 181 200
PH1- Ortho 135 160 199
PH2-Visual 124 164 184
PH3-Hearing 96 111 163

UPSC has declared the official cutoff marks for Civil service exam 2013 (Prelims, mains and interview stage).



From the above * and # , now we know UPSC’s official system of “minimum passing marks” (this was never disclosed in RTIs so far).
it implies that if you failed to reach minimum passing marks in any one paper then they won’t select you for next stage, even if you get best marks in other papers.
BUT overall merit list prepared by combing scores of both GS + Aptitue paper.

साइकिल की मरम्मत करने वाला बना आईएएस, पिता का सपना किया पूरा



: 23 साल के वरुण कुमार बरनवाल के लिए गुरुवार का दिन अपने पिता के सपनों को पूरा करने वाला रहा। वरुण ने पहली बार में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए आल इंडिया मेरिट लिस्ट में 32वां रैंक हासिल किया है। वरुण को यह मुकाम कड़ी मेहनत के बाद मिला है। साल 2006 में वरुण जब सिर्फ 15 साल के थे उस दौरान उनके सर से पिता का साया उठ गया। 

पिता की मौत के दौरान वरुण 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। पिता के बाद वरुण के ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ आ गया। परिवार चलाने के लिए वरुण ने कई महीनों तक साइकिल मरम्मत की दुकान में काम किया। इस कठिन माहौल में भी वरुण ने हिम्मत नहीं हारी और दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। बारहवीं पास करने के बाद वरुण ने पुणे में एमआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री फर्स्ट डिवीजन में हासिल की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही वरुण ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और यह मुकाम हासिल किया।

वरुण मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। नौकरी के सिलसिले में वरुण के पिता कई साल पहले पालघर स्थित भोईसर में जा बसे। पिता पर भी अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। पेट पालने के लिए पिता ने साइकिल की एक छोटी सी दुकान खोली और उनके जाने के बाद वरुण ने उस दुकान की जिम्मेदारी संभाली। वरुण की तरह ही उनकी बहन ने घरों में जा कर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। वरुण की लगन को देख आस-पड़ोस के लोग भी सहायता के लिए आगे आए।

वरुण का मानना है कि यूपीएससी की परीक्षा को लेकर युवाओं के मन में डर होता है, लेकिन यदि हम योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन करते हैं, तो सफल होने के अवसर बढ़ जाते हैं। बार-बार नाकाम होने वालों को भी प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए।

एक साधारण परिवार। पिता जल विभाग में एईएन। एक बेटा और दो बेटियां सभी आईएएस और आईपीएस.



एक साधारण परिवार, पिता जलदाय विभाग में एईएन, परिवार में एक बेटा और दो बेटियां सभी आईएएस और आईपीएस। यह कीर्तिमान स्थापित किया है सुमेरपुर में जलदाय विभाग में एईएन सोमदत्त नेहरा (चौधरी) के परिवार ने। हालांकि उनका भी सपना था कि वो आईएएस बने, लेकिन उनका सपना उनकी दो बेटियों और इकलौते बेटे ने पूरा कर दिया है। 

बेटा प्रवीण नेहरा ने अपने पहले ही प्रयास में गुरुवार को घोषित सिविल सेवा के परीक्षा परिणाम में 222 वीं रैंक हासिल की है। एईएन नेहरा की बड़ी बेटी निधि चौधरी महाराष्ट्र कैडर की आईएएस अधिकारी है तथा उससे छोटी बेटी विधि चौधरी गुजरात के भुज जिले में आईपीएस अधिकारी के पद पर नियुक्त है। मूलत: नागौर जिले में लाडनूं तहसील के छोटे से गांव बालसमंद में रहने वाले एईएन नेहरा पिछले 11 सालों से सुमेरपुर क्षेत्र में ही तैनात हैं।

प्रवीण के भी आईएएस में चुने जाने के बाद पूरा परिवार खुशियों से लबरेज है। नेहरा भाव-विभोर होकर कहते हैं कि पाली उनके और परिवार के सभी सदस्यों के लिए काफी लक्की रहा है।
अपने पैतृक गांव बालसमंद में ही पले-बढ़े सोमदत्त नेहरा का नागौर जिले में जिला विज्ञान प्रतिभा परीक्षा में अव्वल रहने के बाद सपना था कि वे आईएएस बनकर देश की सेवा करें, लेकिन आईआईटी तक ही पहुंचकर रह गए थे। इसके बाद उन्होंने अपने इकलौते बेटे और बेटियों को इस मुकाम तक पहुंचाने की ठान ली। अब उनका सपना पूरा हो गया है।

पहले उनकी छोटी बेटी विधि चौधरी ने वर्ष 2009 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उन्हें आईपीएस के रूप में गुजरात कैडर मिला। इसके बाद निधि चौधरी वर्ष 2011 में आईएएस बनने में कामयाब हो गईं। वह अभी महाराष्ट्र के पुणे शहर में कार्यरत है। अब 2013 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में उनके सबसे छोटे और इकलौते पुत्र प्रवीण चौधरी ने भी अपने पहले ही प्रयास में 222 वीं रैंक लेकर आईएएस परीक्षा क्लियर की है।

अंतरिक्ष विज्ञान में एमटेक प्रवीण की सफलता का सूत्र

सफलता के सूत्रधार बने प्रवीण पढ़ाई में शुरू से मेधावी रहे हैं। सेकेंडरी परीक्षा में प्रवीण नागौर जिले की मेरिट में अव्वल रहा था। इसके बाद उन्होंने चेन्नई से अंतरिक्ष विज्ञान में एमटेक किया। अपने पिता और दोनों बहनों के मार्गदर्शन से वर्ष 2012 में उन्होंने दिल्ली पहुंचकर कोचिंग ज्वॉइन की। प्रवीण इसी लक्ष्य में जुट गए कि उन्हें हर हाल में आईएएस परीक्षा में कामयाबी हासिल करनी है। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ऐच्छिक विषय से उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यह सफलता अपने नाम कर दी।

आत्मविश्वास था, सक्सेस का मंत्र भी था, तो सफलता ही मिली

पिता सोमदत्त नेहरा तो आईएएस बनने का अपना सपना साकार नहीं कर पाए, लेकिन अपने बेटे-बेटियों को इस मुकाम तक पहुंचाने के प्रयास में जुट गए थे। वे बचपन से ही दोनों बेटियों और बेटे में आत्मविश्वास जगाने के साथ उनको सक्सेस होने का मंत्र भी बताते रहे। इसके लिए जो भी हो सकता था, पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। प्रवीण की माता राजश्री कुशल गृहिणी हैं, लेकिन वे भी बेटे-बेटियों को कुछ बनकर दिखाने के लिए प्रेरित करती रहीं।

दादा भी बोले, उनको पूरा विश्वास था

सोमदत्त नेहरा के पिता और प्रवीण, निधि और विधि के दादा सेवानिवृत्त अध्यापक पन्नाराम चौधरी अपनी तीसरी पीढ़ी के आईएएस और आईपीएस बनने पर काफी उत्साहित हैं। दोनों पोतियों के बाद पोते के भी गुरुवार को सिविल परीक्षा में सलेक्शन होने की सूचना मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा तथा वे भावुक हो गए। वे ‘भास्कर’ से इतना ही बोले कि उनको पूरा विश्वास था कि पोते का सलेक्शन जरूर होगा तथा परिवार के लिए पोते-पोतियों के आईएएस और आईपीएस बनना किसी गौरव से कम नहीं है।

15 June 2014

Fulfilling the cherished IAS dream


Two girls from the city among top 10 toppers

“I always dreamed of becoming a doctor or an IAS officer, and now I am both,” said an ecstatic Bharti Dixit, speaking from the outskirts of the city in the middle of a “big party” with friends. She is the only woman who made it to the top five slots of the Union Public Service Commission examinations this year. The news is yet to sink in fully, said Ms. Dixit.

“It seems like only minutes ago we were driving down to the UPSC office to find out my marks. It was at 3 p.m. that we got to know that the results were declared and now this!” she said, adding that she also aced the exams on her first attempt and gave up on coaching institutes after the first few months, deciding to study by herself. “Of course, everyone frightened me that taking the exams meant giving up your life as you knew it and studying all day long,” said Ms.Dixit, while explaining how many of her acquaintances had lost several crucial years, all in the pursuit of the IAS dream.

“I did not let that happen to me. My job was equally important. I work as a medical officer with the NDMC and examine patients on a daily basis so I could not let my studies and job overlap in any way. I focussed instead on quality. Five hours of studying everyday, with complete concentration — NCERT books, magazines, watching the news on television and, of course, religiously reading The Hindu newspaper word for word,” she said.

Another girl who has made the Capital proud is Medha Roopam, who studied Economics at St. Stephen’s College. She never wanted to become anything other than an IAS officer, with the sole intention of serving her country, she said. “My father is a civil servant. I think he was my first inspiration. I never wanted to be anything other than an IAS officer and ever since I graduated from college, I have been working towards this goal,” said Ms. Roopam.

She said she did not lost hope after a setback in her first attempt and steadily increased her preparation.“I did not get through in my first attempt. The syllabus changed, the coaching centres, too, were as new to this as those of us preparing. Things were getting difficult. But I increased the amount of effort I put in. I read a lot of newspapers, scrutinising The Hindu the most carefully. I never missed a word in the paper,” she said. She added that the new syllabus has created a level-playing field.

Ms. Roopam studied in Naval Public School, Ernakulam, Kerala till Class VIII, while her father was posted there as District Collector. She finished Class XII from St. Thomas School in Thiruvananthapuram and then moved to Delhi with her family for her undergraduate studies.

“I am happy and feel proud that she is entering a service which will allow her to serve the country,” said her father Gyanesh Kumar speaking to The Hindu.

Akshay Tripathi, number four on the list,was already working with the Indian Railways when he decided to take on the “toughest exam on earth”.

He, too, owes allegiance to The Hindu and said he studied seven hours a day.

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