डाॅ० नंदन सिंह बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीवन संघर्ष पर उनके द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘त्रिवेन्द्र एक जिन्दगीनामा-खैरासैंण का सूरज’’ का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र के जन्मदिन के अवसर पर बुधवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री Yogi Adityanath तथा मुख्यमंत्री श्री Trivendra Singh Rawat की उपस्थिति में भी किया गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी द्वारा ‘‘खैरासैंण का सूरज’’ की सराहना की गयी तथा मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र के जन्मदिन के अवसर पर पुस्तक के विमोचन को सराहनीय प्रयास बताया।
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#Uttarakhand में जैविक खेती के व्यवसायीकरण की भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने 25 दिन में खाद्य तैयार करने की विधि भी किसानों को बताई। उन्होंने कहा कि I.I.P. द्वारा विकसित इस आधुनिक गुड़ भट्टी से प्रदूषण भी कम होगा। भट्टी से जो गुड़ बनाया जा रहा, इसमें प्रयुक्त होने वाले गन्ने के उत्पादन में भी जैविक खेती का प्रयोग किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर सूर्यधार बांध का शिलान्यास किया जायेगा। लगभग 60 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले इस बांध से डोईवाला और उसके आसपास के क्षेत्रों में पूर्ण ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा, जबकि लगभग 900 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले सौंग बांध से #Dehradun में पूर्ण ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा। इससे भू-जल स्तर में आ रही गिरावट को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष सोंग नदी पर बांध बनाने की शुरूवात हो जायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना है कि देहरादून से ऋषिकेश तक लोगों को पूरी ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध हो सके। लोगों को ट्यूबबेल के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। पानी के लिए लोगों को बिजली पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकेले ट्यूबबेलों की विद्युत खपत पर ही वर्तमान में 221 करोड़ रूपये का व्यय भार आ रहा है जिसमें से लगभग 65 करोड़ रूपये अकेले देहरादून के ट्यूबबेलों का है। ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति से विद्युत पर होने वाला व्यय भार भी बचेगा। उन्होंने कहा कि 14 जनवरी 2018 से देहरादून में सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालाॅजी(सीपैट) की कक्षाएं भी शुरू कर दी जायेंगी। शीघ्र ही प्रदेश में नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नालाॅजी(निफ्ट) की भी शुरूवात की जायेगी। जिसके लिए रानीपोखरी में भूमि उपलब्ध करायी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि चीड़ की पत्तियों से तारपीन के तेल निकालने एवं उसके कचरे से बाॅयोफ्यूल तैयार करने के लिए आईआईपी से उत्तराखण्ड सरकार का MOU हुआ है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने का एक प्रयास है। इससे गर्मियों में पिरूल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। जंगल एवं जीव जन्तुओं का भी संरक्षण होगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी एवं उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किये जायेंगे। पिरूल एकत्रित करने वालों को इंसेटिव भी दिया जायेगा। इसके लिए आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया जायेगा। तारपिन आॅयल एवं बाॅयोफ्यूल का औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकेगा।
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