प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए Single-Window System लागू किया गया है। पूंजी निवेश को आकर्षित करने एवं इसे और कारगर बनाने के लिए SMS अलर्ट भेजने की व्यवस्था की गई है। 04 दिन में विभागाध्यक्ष को और 14 दिन में संबंधित सचिव को SMS अलर्ट जाएगा। इसके अलावा मॉनिटरिंग के लिए Dashboard भी बनाया जा रहा है। सिडकुल का डैशबोर्ड बन गया है। राज्य, जनपद और विभाग स्तर पर मॉनिटरिंग की अलग-अलग व्यवस्था की गई है। यह जानकारी मुख्य सचिव श्री Utpal Kumar Singh को सचिवालय में Single-Window System के मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में दी गई।
बताया गया कि अब आसानी से पता चल जाएगा कि कितने C.A.F. (Common Application Form) प्राप्त हुए। कितने का निस्तारण हुआ और कितने CAF लंबित हैं। यह भी पता चलेगा कि किस विभाग या अधिकारी द्वारा तय समय सीमा में निस्तारण नहीं किया गया। बैठक में बताया गया कि 10 करोड़ रुपये तक के पूंजी निवेश के प्रस्तावों का क्लीयरेंस जिला स्तर पर गठित समिति में किया जाता है। 10 करोड़ से अधिक के प्रस्ताव राज्य स्तर पर गठित समिति में रखे जाते हैं। सभी तरह की क्लीयरेंस तय समय सीमा में होती है। 15 दिन में सैद्धान्तिक सहमति और 30 से 60 दिन में संचालन की मंजूरी दी जाती है।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि भू-अभिलेखों को Digital बनाने के कार्य में तेजी लाएं। रजिस्ट्री, दाखिल खारिज की प्रक्रिया भी Online करें। जमीन को लीज पर देने या लीज पर लेने के लिए भी जरूरी है कि भू-अभिलेख Online हों। बताया गया कि Portal में ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि जमीन का पूरा विवरण Online होगा। इसे राजस्व, स्टाम्प रजिस्ट्रेशन और बैंक से भी जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री Trivendra Singh Rawat ने मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हाॅल में M.S.M.E. मंत्रालय, भारत सरकार एवं उद्योग विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित M.S.M.E. पखवाड़ा का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने Start Up Uttarakhand Portal का उद्घाटन, मेन्टरशिप कार्यक्रम का शुभारम्भ एवं क्राफ्ट्स आॅफ उत्तराखण्ड के डाॅक्यूमेंट का विमोचन किया। अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए #Uttarakhand में परिस्थितियों के हिसाब से अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में छोटे उद्योगों के माध्यम से कम पूंजी में अधिक लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि 16 जनवरी से 30 जनवरी 2018 तक चलने वाले इस पखवाड़े का उद्देश्य लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए लोगों में जागरूकता लाना एवं प्रोत्साहित करना है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों में राज्य में महिलाएं अच्छा कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार महिला समूह को लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के लिए ऋण योजना पर योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए Single-Window System के तहत 10 करोड़ रूपये तक के निवेशों के प्रस्ताव की मंजूरी का अधिकार जिलाधिकारियों को दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, हथकरघा एवं जैविक उत्पादों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यूरोपीय देशों में हाथ से बुनी हुई वस्तुओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश में इन उत्पादों की अपार संभावनाएं हैं, इनको बढ़ावा देने के लिए लोगों में कौशल विकास की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रिटिंग के क्षेत्र में अच्छा स्कोप है, एक प्रिटिंग प्रेस से लगभग 20 स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि कट पेपर पर प्रिटिंग करने से उसकी लागत थोड़ा अधिक होता है। लेकिन इससे स्थानीय उद्योग स्थापित होगा और राज्य का पैसा राज्य में ही रहेगा। उन्होंने कहा कि नेशनल हैण्डलूम एक्सपो में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अच्छी सेल हुई। पिछले वर्ष 03 करोड़ 50 लाख की सेल हुई जो इस वर्ष बढ़कर 05 करोड़ 62 लाख हुई।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने इस अवसर पर राज्य में लघु उद्यम, हथकरघा एवं हस्तशिल्प के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उद्यमियों को पुरस्कृत भी किया। लघु उद्यम में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए नैनीताल के श्री अभिषेक मिश्रा को प्रथम, देहरादून के श्री ललित मोहन उनियाल को द्वितीय एवं बागेश्वर के श्री दलीप सिंह खेतवाल एवं पिथौरागढ़ के श्री सतीश चन्द्र को तृतीय पुरस्कार दिया गया। हथकरघा के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए चमोली की श्रीमती नर्वदा देवी को प्रथम, उत्तरकाशी के श्री केदार चन्द्र को द्वितीय एवं पिथौरागढ़ की श्रीमती प्रेमा देवी को तृतीय पुरस्कार दिया गया। जबकि हस्तशिल्प के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने पर पिथौरागढ़ के श्री सुरेश राम को प्रथम, बागेश्वर के श्री मनीष कुमार को द्वितीय एवं अल्मोड़ा के श्री भुवनचन्द्र शाह को तृतीय पुरस्कार दिया गया।
इस वर्ष राजभवन में बसंत उत्सव का आयोजन दिनांक 24 व 25 फरवरी को किया जाएगा। #Uttarakhand के उच्च स्थानों पर पाये जाने वाले ‘जम्बू’(Allium auriulatum) पुष्प पर स्पेशल पोस्टल कवर, डाक विभाग के सौजन्य से जारी किया जाएगा। मंगलवार को राज्यपाल Dr. K.K. Paul की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बसंत उत्सव के आयोजन के संबंध में अनेक निर्णय लिए गए।
राज्यपाल ने कहा कि बसंत उत्सव के अवसर पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में अधिक से अधिक स्कूली बच्चों को प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जाए। पोस्टल कवर के लिए ऐसे पौधे को लिया जाए जो कि उत्तराखण्ड से जुड़ा हो। इस पर व्यापक विचार विमर्श के बाद स्पेशल पोस्टर के लिए ‘जम्बू’(Allium auriulatum) पर सहमति व्यक्त की गई। यह हिमालय में पाया जाने वाला पौधा है जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है। उत्तराखण्ड के उच्च पर्वतीय भागों में स्थानीय लोगों द्वारा इसका उपयोग औषधि के साथ सब्जी व मसालों के रूप में भी किया जाता है।
राज्यपाल ने कहा कि बसंत उत्सव के आयोजन के पीछे उद्देश्य है कि उत्तराखण्ड में फ्लोरीकल्चर व ऐरोमेटिक पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जाए। फूलों की खेती के माध्यम से किसानों की आय को दोगुनी करने के प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी के लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। उद्यान विभाग केवल बसंत उत्सव तक सीमित न रहे बल्कि इन प्रयासों को लेकर बागवानों, काश्तकारों तक पहुंचे। राज्यपाल ने कहा कि इस आयोजन को ऐसा स्वरूप देना होगा कि दूर-दराज के पुष्पोत्पादन, जड़ी-बूटी, सगन्ध पौधों तथा अन्य जैविक उत्पादों की व्यावसायिक खेती से जुड़े काश्तकारों/उत्पादकों व ग्राहकों के लिए मंच के रूप में स्थापित हो सके। इन व्यवसायों से जुड़े काश्तकारों को मार्केट भी उपलब्ध करवाने के प्रयास करने होंगे।
जम्बू’(Allium auriulatum)
हिमोत्थान परियोजना
मुख्य सचिव श्री Utpal Kumar Singh ने सचिवालय में हिमोत्थान परियोजना के राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की। कहा कि हिमोत्थान सोसाइटी को मृदा परीक्षण कर किसानों को हेल्थ कार्ड भी देना चाहिए। किसानों को बताया जाय कि किस मिट्टी में कौन सी फसल का उत्पादन हो सकता है। आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही कौशल विकास पर भी फोकस करने की जरूरत है। #Uttarakhand के उत्पादों का एक ही Brand Name होना चाहिए। इससे उत्तराखंड की पहचान बनेगी।
मुख्य सचिव श्री Utpal Kumar Singh ने सचिवालय में हिमोत्थान परियोजना के राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की। कहा कि हिमोत्थान सोसाइटी को मृदा परीक्षण कर किसानों को हेल्थ कार्ड भी देना चाहिए। किसानों को बताया जाय कि किस मिट्टी में कौन सी फसल का उत्पादन हो सकता है। आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही कौशल विकास पर भी फोकस करने की जरूरत है। #Uttarakhand के उत्पादों का एक ही Brand Name होना चाहिए। इससे उत्तराखंड की पहचान बनेगी।
बैठक में बताया गया कि हिमोत्थान जल स्रोतों की मैपिंग और सूख रहे स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए 300 गांवों में कार्य कर रहा है। इसके साथ ही अपने फेडरेशन के माध्यम से जल की गुणवत्ता पर भी कार्य किया जा रहा है। बताया गया कि विभिन्न कृषि उत्पादों के बीज का उत्पादन भी किया जा रहा है। इस वर्ष 300 क्विंटल बीज का उत्पादन कर किसानों को वितरित किया गया है। इससे फसल का उत्पादन बढ़ा है। हिमोत्थान सोसाइटी ग्राम्य विकास, कृषि, वानिकी, पशुपालन, शिक्षा, डेरी आदि विभागों और विशेषज्ञ संस्थानों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। बताया गया कि 10 पर्वतीय जनपदों में 35 क्लस्टर के माध्यम से 650 गांवों में कार्य किया जा रहा है। इससे 63000 लोगों को लाभ मिल रहा है। 18000 घरों के लिए 10 फसलों के उत्पादन और बाजार लिंकेज का कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2018 से 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए mission mode में कार्य करने की योजना बनाई गई है। पशुओं को चारा उपलब्ध कराने के लिए 1100 हैक्टर जमीन पर उत्पादन किया जा रहा है। इससे 500 गांवों के 25000 परिवारों को लाभ मिल रहा है। 100 गांवों में 12 क्लस्टर बनाकर 2000 पशुपालकों को बकरी पालन का लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा स्वरोजगार, शिक्षाए, स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, कौशल विकास की दिशा में भी कार्य किया जा रहा
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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, हथकरघा एवं जैविक उत्पादों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यूरोपीय देशों में हाथ से बुनी हुई वस्तुओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश में इन उत्पादों की अपार संभावनाएं हैं, इनको बढ़ावा देने के लिए लोगों में कौशल विकास की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रिटिंग के क्षेत्र में अच्छा स्कोप है, एक प्रिटिंग प्रेस से लगभग 20 स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि कट पेपर पर प्रिटिंग करने से उसकी लागत थोड़ा अधिक होता है। लेकिन इससे स्थानीय उद्योग स्थापित होगा और राज्य का पैसा राज्य में ही रहेगा। उन्होंने कहा कि नेशनल हैण्डलूम एक्सपो में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अच्छी सेल हुई। पिछले वर्ष 03 करोड़ 50 लाख की सेल हुई जो इस वर्ष बढ़कर 05 करोड़ 62 लाख हुई।
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