29 June 2015

Text of Prime Minister’s ‘Mann ki Baat’ on All India Radio

Text of Prime Minister’s ‘Mann ki Baat’ on All India Radio


मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार!

पिछली मन की बात में , मैंने आप लोगों से एक प्रार्थना की थी कि छुट्टियों में अगर आप कहीं जाते हैं, और वहां का कोई अगर यादगार चित्र है तो Incredible India hashtag पर आप post कीजिये। जब मैंने कहा था, तो मैंने सोचा नहीं था, कि ऐसा ज़बरदस्त परिणाम मिलेगा। लाखों लोगों ने फोटो पोस्ट किये, ट्विटर पे, फ़ेसबुक पे, इन्स्टाग्राम में। मैं कह सकता हूँ कि, एक से बढ़कर एक दृश्य देखने को मिले, भारत कितनी विविधताओं से भरा हुआ है। स्थापत्य हो, कला हो, प्रकृति हो, झरने हों, पहाड़ हों, नदी हो, समुद्र हो। शायद भारत सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि tourism की दृष्टि से, लोग इतना बड़ा काम कर सकते हैं, जो आप लोगों ने किया है। और कुछ तो मुझे भी इतना भा गए कि मैंने भी उसको re-tweet कर दिया। और मैं समझता हूँ, शायद जिन लोगों ने आंध्रप्रदेश के बेलम की caves का फ़ोटो post नहीं किया होता, तो देश के कई लोगों को शायद पता नहीं होता कि ऐसी कोई चीज़ हमारे देश में है। मध्यप्रदेश में ओरछा की फ़ोटो हो, हम राजस्थान को तो हमेशा पानी के संकट वाला प्रदेश मानते हैं, लेकिन वहां से जब कोई मैनाल के waterfall का फ़ोटो भेजता है, तो बड़ा ही आश्चर्य होता है। यानि सचमुच में एक अद्भुत काम हुआ है। इसको हम आगे बढ़ाएंगे, जारी रखेंगे। दुनिया देखेगी, हमारे देशवासी देखेंगे, हमारी नई पीढ़ी देखेगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपने मुझे प्रधानमंत्री तो बना दिया है लेकिन मेरे भीतर का इंसान कभी-कभार, बाक़ी सब पद-प्रतिष्ठाओं से हट करके अपने आप में खो जाता है। 21 जून, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस। मैं कह सकता हूँ कि मेरे मन को उसी प्रकार से आंदोलित कर गया, जिस समय UN में मैंने ये विषय रखा था। तब ऐसा ही लग रहा था जैसे चलो भाई एक बात हो जाए। लेकिन 21 जून का जो दृश्य देखा, जहाँ-जहाँ सूरज गया, जहाँ-जहाँ सूरज की किरणें गयीं, दुनिया का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां योग के द्वारा सूर्य का स्वागत न हुआ हो। हम दावे से कह सकते हैं कि योग अभ्यासुओं की दुनिया में सूरज कभी ढलता नहीं है।

योग को दुनिया ने जिस प्रकार से, पलक-पावड़े बिछा करके सम्मानित किया, सारे विश्व ने जिस प्रकार से अपने कंधे पर उठाया, कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसको गर्व नहीं होगा। मैं भी आनंदविभोर हो गया। मन पुलकित हो गया। और जब फ़्रांस के लोग, जिनके लिए सीन नदी और Eiffel Tower बहुत ही गौरवपूर्ण प्रतीक है, उन्होंने योग करने के लिए उस स्थान को पसंद किया, बराबरी का स्थान दे दिया। न्यूयॉर्क में लोगों ने Times Square पर योग किये। ऑस्ट्रेलिया, सिडनी की बात हो तो Opera House का चित्र हमारे सामने आता है। ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों ने Opera House के बराबर में योग को रख कर के वहीं पर योग किया। चाहे नॉर्थ अमेरिका हो, सिलिकन वैली हो, Milan का Duomo Cathedral हो, ये अपने आप में गर्व करने की बात है। और जब 21 जून को मैंने UN के Secretary-General श्रीमान बान की मून को UN Headquarters पर योग करते देखा, कितना आनंद आया मुझे। उसी प्रकार से UN Peace-Keeping Force ने भी योग का बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया। भारत में भी सियाचिन पर, सफ़ेद बर्फ़ की चादर पर हमारे जवान योग कर रहे थे, तो समुंदर में नौसेना के द्वारा, चारों तरफ़, जहां भी हमारे नौसेना के जहाज़ थे, योग के कार्यक्रम हुए। दिल्ली ने तो गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना स्थान दर्ज करवा दिया। राजपथ योगपथ बन गया। मैं देश और दुनिया का ह्रदय से आभारी हूँ, और मैं कह सकता हूँ ये कोई कार्यक्रम की ख़ातिर कार्यक्रम नहीं था। ऐसा लग रहा था कि विश्व के हर कोने से एक नई जिज्ञासा, एक नया आनंद, एक नयी उमंग, एक नया जुड़ाव।

कुछ दिन पहले मैंने जब ट्विटर पे, वियतनाम से एक परिवार ने छोटे बच्चे का योग करता हुआ फ़ोटो ट्वीट किया था, इतना प्यारा था वो फ़ोटो, दुनिया भर में वो इतना प्रचलित हुआ। हर कोई, स्त्री-पुरुष बूढ़े-बच्चे, गाँव-शहर हो, developed countries हो या developing countries हो, हर कोई जुड़ गया। योग सच्चे अर्थ में दुनिया को जोड़ने का एक कारण बन गया। मैं नहीं जानता हूँ, Intellectual class , Elite world इस घटना का कैसा analysis करेगा। लेकिन एक बात मैं महसूस कर रहा हूँ, और हर भारतवासी गर्व अनुभव कर सकता है कि विश्व भारत को जानने के लिए बहुत उत्सुक है। भारत के प्रति एक जिज्ञासा बढ़ी है। यहाँ की values, यहाँ की परम्पराएं, यहाँ की विरासत, दुनिया जानना चाहती है। हम सबका दायित्व है कि बिना लागलपेट के हमारी ये जो विरासत है, विश्व को हमें बांटना चाहिए, विश्व को परिचित कराना चाहिए। लेकिन ये परिचय हम तब करा पायेंगे जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो।

कभी-कभार हम इतने परिचित होते हैं कि अपनी चीज़ें, इसमें क्या नया है, ऐसा लगता है... जैसे हमारी family values, हमें पता नहीं है दुनिया के लिए भारत की family values बहुत बड़ी बात है। क्यों न हम विश्व को हमारी परिवार-प्रथा, family values इससे परिचित करवायें। विश्व को अचम्भा होगा। मैं ज़रूर कहता हूँ अचम्भा होगा। ऐसी बहुत कुछ चीज़ें हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी हैं और जो श्रेष्ठ हैं, उस पर जगत का अधिकार है। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की सफलता आनंद और संतोष के साथ एक नई ज़िम्मेवारी ले के आयी है। ये हमारा दायित्व बनता है कि विश्व को उत्तम योग शिक्षक हम दें। ये हमारा दायित्व बनता है कि योग की सभी परम्पराओं को एक platform पर से जगत से देख पायें।

मैं देश के नौजवानों को विशेष करके IT Professionals को आग्रह करता हूँ, आप सब नौजवान मिल-जुल करके Online Yoga activity की कुछ योजना बनाइये। योग से संबंधित संस्थाओं का परिचय हो, योग गुरुओं की जानकारी हो, योग के संबंध में जानकारी हो। योग सीखना हो तो कहाँ सीख सकते हैं, योग टीचर चाहिये तो कहाँ से मिलेगा, एक database तैयार करना चाहिये और मैं मानता हूँ, आप कर सकते हैं। चलो, कहीं से तो कोई शुरू करें, ये भी एक नई शक्ति बन जायेगा। मैं पिछले कुछ दिनों की घटनाओं को और नज़रिये से भी देखता हूँ। काम करती सरकार, दौड़ती सरकार... एक बार लक्ष्य तय हो तो कैसे परिणाम ला सकती है, ये पिछले दिनों हमने देखा है। और जब चारों तरफ निराशा थी, ये हम न भूलें, एक साल पहले चारों तरफ़ से एक ही स्वर सुनाई देता था, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता।

आप कल्पना कर सकते हैं सरकार में आयुष एक डिपार्टमेंट है, कभी किसी का उस तरफ ध्यान नहीं जाता। 2-5 साल में एकाध बार कहीं छोटी-मोटी ख़बर अख़बार में आ जाये तो आ जाये इतना... एक कोने में, छोटा सा डिपार्टमेंट, लेकिन योग दिवस को उसने लीड किया। और दुनिया में छोटे से डिपार्टमेंट ने इतना बड़ा काम आयोजित करके दिखाया। अगर लक्ष्य सामने हो तो छोटी-सी-छोटी इकाई भी कितना उत्तम काम करती है, इसका नमूना है।

पिछले दिनों दुनिया ने देखा कि हमारे लोगों ने यमन में से आफ़तग्रस्त लोगों को कैसे बचाया। घंटों के अंदर भारत के लोग नेपाल पहुँच करके मदद के लिए कैसे दौड़ पड़े, काम करने वाली सरकार जब बैंक में जनधन अकाउंट खोलने थे, सारे बैंक के लोग मैदान में उतर आये और कुछ ही समय में करोड़ों-करोड़ों देशवासियों को बैंक के साथ जोड़ दिया।

गत 15 अगस्त को मैंने लाल किले पर से स्कूलों में शौचालय के लिए अपील की थी। और मैंने कहा था अगले 15 अगस्त तक हमने इस काम को पूरा करना है। जो काम 60 साल में नहीं हो पाया वो एक साल में करने का आह्वान करना बड़ा साहस तो था, क़रीब साढ़े चार लाख टॉयलेट बनाने थे, लेकिन आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूँ अभी तो 15 अगस्त आने की देरी है, लेकिन पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन क़रीब-क़रीब स्कूलों में टॉयलेट बनाने के काम को लोगों ने पूरा किया।

मतलब सरकार, लोग, सरकारी मुलाज़िम, सब कोई देश के लिए काम करना चाहते हैं। निस्वार्थ भाव से सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय, अगर हम संकल्प ले करके चलते हैं, तो सरकार भी दौड़ती है, सरकार के लोग भी दौड़ते हैं और जनता-जनार्दन पलक-पावड़े बिछा करके उनका स्वागत भी करती है।

ये मैंने अनुभव किया है और यही तो है जो देश को आगे बढ़ाने की सच्ची ताक़त है। पिछले महीने हमने तीन जन सुरक्षा की योजनाओं को लॉन्च लिया था, मैंने कलकत्ता से किया था। इतने कम समय में बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिला है। भारत में जन सुरक्षा की दृष्टि से बहुत कम काम हुआ है लेकिन इन तीन योजनाओं के कारण एक बहुत बड़ा जम्प हम लगा रहें हैं। इतने कम समय में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इन जन सुरक्षाओं की योजनाओं में कहीं न कहीं जुड़ गयें हैं लेकिन हमें इसको और आगे बढ़ाना हैं। मेरे मन में एक विचार आता है। ये विचार मैं आपके सामने रखता हूँ। अगस्त महीने में रक्षाबंधन त्योहार आता है। क्या हम सभी देशवासी रक्षाबंधन के त्योहार के पहले एक ज़बरदस्त जन आन्दोलन खड़ा करें और हमारे देश की माताओं-बहनों को ये जो जन सुरक्षा योजना हैं उसका लाभ दें। हमारे घर में खाना पकाने वाली कोई बहन हो या बर्तन साफ़ करने वाली बहन हो या हमारे खेत में मज़दूरी करने वाली कोई बहन हो या हमारे परिवार में अपनी बहने हों। क्या रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार को ध्यान में रखते हुए हम 12 रूपए वाली या 330 रूपए वाली जन सुरक्षा योजनायें जीवन भर के लिए अपनी बहनों को गिफ्ट दे सकते हैं। रक्षाबंधन की भाई की तरफ़ से बहन को एक बहुत बड़ी गिफ्ट हो सकती हैं। क्यों न हम रक्षाबंधन के पर्व को एक लक्ष्य मान कर के 2 करोड़, 5 करोड़, 7 करोड़, 10 करोड़... देखे तो सही, कितनी बहनों तक हम ये लाभ पहुँचा सकते है। आइए मेरे साथ मिल करके इस संकल्प को पूरा करने के लिए हम सब प्रयास करें। मैं

जब मन की बात करता हूँ तो कई सारे लोग मुझे सुझाव भी भेजते हैं। इस बार मानसून के लिए मुझे कुछ कहना चाहिए ऐसा सुझाव बहुत लोगों ने भेजे है। नागपुर के योगेश दांडेकर, मैसूर के हर्षवर्धन जी, प्रवीण नाडकर्णी जी, दिव्यांशु गुप्ता जी, उन्होनें कहा कि मानसून के लिए ज़रूर आप मन की बात में कुछ बाते बताइये। अच्छे सुझाव उन्होंने भेजे हैं। और वैसे भी ये मौसम मन को बड़ा प्रसन्न करने वाला मौसम होता है। और पहली बारिश तो हर कोई को, किसी भी उम्र में क्यों न हो, वर्षा का मज़ा लेने का मन करता है। आप भी हो सकता है बारिश में गर्म पकोड़ों का, भजीये का, कॉर्न का, साथ साथ चाय का मज़ा लेते होंगे। लेकिन साथ-साथ जिस प्रकार से सूरज की किरणें जीवन देती हैं, वैसे ही वर्षा हमारे जीवन को ताक़त देती है। बूँद बूँद पानी का बहुत मूल्य होता है। हमें एक नागरिक के नाते, समाज के नाते, बूँद बूँद पानी बचाने का स्वभाव बनाना ही पड़ेगा। गाँव का पानी गाँव में रहे, शहर का पानी शहर में रहे, ये हमारा संकल्प होना चाहिए, पानी रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। और वर्षा का पानी रूकता है और अगर ज़मीन में वापिस जाता है और ज़मीन में रीचार्ज होता है, तो सालभर की समस्याओं का समाधान हो जाता है। Rain water harvesting ये कोई नई चीज़ नहीं है, सदियों से चली आ रही है। Check dams हो, watershed development हो, छोटे तालाब हों, खेत-तालाब हों, हमें बूँद-बूँद पानी को बचाना चाहिए। मैं हमेशा लोगों को कहता हूँ कि अगर महात्मा गाँधी का जन्म स्थान... गुजरात में पोरबंदर अगर आप जाते हैं और महात्मा गाँधी का घर अगर देखने जायेंगे तो दो सौ साल पुराने उनके घर के अन्दर भूगर्भ में टैंक है जिसमें वर्षा का पानी सीधा-सीधा वहाँ जाने की व्यवस्था थी। और आप जा के देखोगे महात्मा गाँधी का जन्म स्थान देखने जाओगे तो ज़रूर देखिये, दो सौ साल के बाद भी वो आज भी वैसा ही कार्यरत है। और पानी साल भर ज़रा भी ख़राब नहीं होता है। समुद्र के तट पर है पोरबंदर, लेकिन मीठा पानी वर्षा के पानी को संग्रह करके घर में रखा जाता था, उस समय भी इतनी केयर की जाती थी। हम भी तो कर सकते हैं। और ये जन आन्दोलन बनना चाहिए, गाँव-गाँव ये व्यवस्था होनी चाहिए।

उसी प्रकार से हरियाली हमारे आँखों को कितनी भाती है, हरा-भरा जीवन हमें कितना अच्छा लगता है, पेड़-पौधे, बाग़-बग़ीचे जीवन को हरा-भरा बना देते हैं। हम सब इस वर्षा के मौसम में वृक्षारोपण, पेड़ लगाने का अभियान सामाजिक संगठनों के द्वारा, युवकों के द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में होना चाहिए। और मैं तो एक सुझाव देता हूँ और मेरा प्रत्यक्ष अनुभव है, बड़ा सफल अनुभव है। ये मेरी बिल्कुल ग्रामीण technology है। आप जब पौधा लगाते हो तो पौधे के बग़ल में एक पुराना मिट्टी का घड़ा भी लगा दीजिये और उसमे पानी भर दीजिये। महीने में एक दो बार पानी भरोगे तो भी चलेगा। वो पौधा बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगा, विकास होगा। आप प्रयोग करके देखिये और पुराना मिट्टी का घड़ा तो मिल ही जायेगा। मैं तो किसानों को भी कहता रहता हूँ आप अपने खेत के किनारे पर बाड़ लगाने के बजाय पेड़ लगाइये। वो आपकी सम्पति बन जाएंगे।

ये बात सही है कि बारिश पसंद भी बहुत होती है, मज़ा भी आता है। लेकिन साथ-साथ कभी-कभी बारिश के सीज़न में ही सबसे ज़्यादा बीमारी आती है डॉक्टरों को फ़ुरसत तक नहीं मिलती, इतने पेशंट आते हैं। और हम जानते हैं कि बारिश के दिनों में पानी से बीमारियाँ बहुत फैलती हैं। वातावरण में नमी बढ़ जाने के कारण बेक्टेरिया पनपने लगते हैं और इसके लिए साफ़-सफ़ाई बहुत महत्वपूर्ण बन जाती है, स्वछता बड़ी महत्वपूर्ण बन जाती है। शुद्ध पानी पीने का आग्रह आवश्यक रहता है। ज़्यादातर लोग तो ऐसे समय में उबाल करके ही पानी पीते हैं और उसका लाभ भी होता है। ये बात सही है कि हम जितनी केयर करेंगे बीमारी हमसे दूर रहेगी। पानी तो चाहिये, वर्षा भी चाहिये लेकिन बीमारी से बचना भी चाहिये।

देशवासियो, अभी-अभी हम लोगों ने तीन नई योजनाओं को लॉन्च किया, ख़ास करके शहरी जनों के लिए। हमारे देश में क़रीब 500 छोटे-मोटे शहर हैं। waste to wealth... कूड़े-कचरे में से भी सम्पति बन सकती है, fertilizer बन सकता है, ईंटें बन सकती हैं, बिजली बन सकती है। गंदे पानी को भी शुद्ध करके खेतों में दुबारा उपयोग किया जा सकता है उस अभियान को हमने आगे बढ़ाना है।

अमृत(AMRUT) योजना के तहत हम अपने शहरों को जीवन जीने योग्य बनाने के लिए बड़ा अभियान उठाया है। उसी प्रकार से दुनिया की बराबरी कर सके ऐसा देश भी तो होना चाहिये। देश में, दुनिया की बराबरी कर सके ऐसी स्मार्ट सिटी होनी चाहिये और दूसरी तरफ़ देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को भी रहने के लिए अपना घर होना चाहिए। और घर भी वो, जिसमें बिजली हो, पानी हो, शौचालय हो, नज़दीक में पढ़ने के लिए स्कूल का प्रबंध हो। 2022 में जब भारत आज़ादी के 75 साल मनायेगा हम देशवासियों को घर देना चाहते हैं। इन तीन बातों को ले करके एक बड़ी योजना को आरम्भ किया है। मुझे विश्वास है कि शहरी जीवन में बदलाव लाने में ये सारी योजनायें काम आएँगी।

मैं स्वयं तो सोशल मीडिया के द्वारा आप सब से जुड़ा रहता हूँ, बहुत से नये-नये विचार आप लोगों से मुझे मिलते रहते हैं, सरकार के संबंध में अच्छी-बुरी जानकारियां भी मिलती रहती हैं। लेकिन कभी-कभार दूर सुदूर गाँव में बैठा हुआ एक व्यक्ति भी, उसकी एकाध बात भी हमारे दिल को छू जाती है। आप जानते हैं सरकार की तरफ़ से एक “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन जब सरकार का कार्यक्रम कोई व्यक्ति, समाज, गाँव अपना बना ले, तो उसकी ताक़त कितनी बढ़ जाती है। पिछले दिनों, हरियाणा के बीबीपुर गाँव के एक सरपंच श्रीमान सुनील जगलान जी, उन्हें एक बहुत बड़ा मज़ेदार initiative लिया। उन्होंने ‘selfie with daughter’ इसकी स्पर्धा की अपने गाँव में, और एक माहौल ऐसा बन गया कि हर पिता को अपनी बेटी के साथ सेल्फ़ी निकाल करके सोशल मीडिया में रखने का मन कर गया। ये कल्पना मुझे अच्छी लगी उसके पीछे कुछ कारण भी है। हरियाणा में, बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या बहुत कम है। देश के क़रीब 100 ज़िले ऐसे हैं जिनमें भी ये हालत चिंताजनक है। हरियाणा में सबसे ज़्यादा। लेकिन उसी हरियाणा का एक छोटे से गाँव का सरपंच बेटी बचाओ अभियान को इस प्रकार का मोड़ दे, तब मन को बहुत आनंद होता है, और एक नयी आशा जागती है। इसलिए मैं अपनी प्रसन्नता तो व्यक्त करता हूँ। लेकिन इस घटना से मुझे प्रेरणा भी मिली है और इसलिए मैं भी आपसे आग्रह करता हूँ कि आप भी अपनी बेटी के साथ, ‘selfie with daughter’, अपनी बेटी के साथ selfie निकाल कर के #‘selfiewithdaughter ज़रूर पोस्ट कीजिये। उसके साथ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस विचार को ताक़त देने वाला कोई tagline लिख करके दोगे, उत्तम पंक्ति लिख कर के दोगे, वो किसी भी भाषा में हो सकती है। अंग्रेज़ी हो, हिंदी हो, आपकी मातृभाषा हो, कोई भी भाषा हो। मैं उसमें से जो बहुत ही प्रेरक टैगलाइन होगी वो सेल्फ़ी आपकी बेटी की और आपकी मैं रीट्वीट करूँगा। हम सब एक प्रकार से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस बात को जन आन्दोलन में परिवर्तित कर सकते हैं। जो काम हरियाणा के गाँव बीबीपुर से भाई सुनील ने प्रारंभ किया और हम सब मिल कर के आगे बढ़ाएं और मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि #‘selfiewithdaughter आप जरुर post कीजिये। आप देखिये, बेटियों की गरिमा, बेटियों का गौरव, बेटी बचाओ अभियान कितना आनंद देगा। और ये जो कलंक है हमारे ऊपर, वो कलंक मिट जाएगा।

तो मेरी इस बारिश में आप सबको बहुत शुभकामनाएं, बारिश का मज़ा लीजिये। हमारे देश को हरियाला बनाइये। अंतराष्ट्रीय योग दिवस को एक दिन के लिए नहीं, आप योग की practice चालू रखना। आप देखिये, आपको इसका फ़ायदा नज़र आएगा। और मैं अपने अनुभव से कहता हूँ, इस बात को आगे बढ़ाइये। अपने जीवन का हिस्सा बना दीजिये, इसको ज़रुर कीजिये। और वो बात... Incredible India, आप कहीं पर यात्रा करें, फ़ोटो ज़रुर भेजते रहिये। देश और दुनिया को पता चलेगा कि हमारे देश के पास कितनी विविधता है। एक मुझे लगा कि उसमें handicraft के संबंध में बहुत कम आया है। आप अपने इलाक़े के handicraft को भी तो Incredible India में post कर सकते हो। ऐसी बहुत सी चीज़ें आपके नगर में बनती होंगी, ग़रीब लोग भी बनाते होंगे। Skill जिनके पास है वो भी बनाते होंगे, उसको भी भेज सकते हैं। हमें दुनिया में पहुँचना है, चारों तरफ़ भारत की विशेषताओं को पहुँचाना है। और एक सरल माध्यम हमारे पास है, हम ज़रुर पहुँचायेंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज बस इतना ही, अगली मन की बात के लिए अगली बार मिलूँगा। कभी कभार कुछ लोगों को लगता है कि मन की बात मैं सरकार की बड़ी-बड़ी योजनायें घोषित करूँ... जी नहीं, वो तो मैं दिन-रात काम करते ही रहता हूँ। आपसे तो हलकी-फुलकी, खट्टी-मीठी बातें करता रहूँ, बस मुझे इसी में आनंद आता है। बहुत-बहुत धन्यवाद। 

PM’s remarks after laying the foundation stone of IARI, Jharkhand

PM’s remarks after laying the foundation stone of IARI, Jharkhand


The Prime Minister Shri Narendra Modi today said that amid rising population and increasingly fragmented land-holdings, the need of the hour for the nation is a second green revolution without any delay, which could only happen in eastern India.

He was speaking after laying the Foundation Stone of the Indian Agricultural Research Institute at Barhi in Jharkhand, and witnessing the exchange of an MoU between the Government of India and NMDC Ltd for setting up a new Steel Plant.

The Prime Minister also called upon farmers to raise the level of pulses production in the country, to help make India self-sufficient in pulses. Invoking former Prime Minister Shri Lal Bahadur Shastri’s call “Jai Jawan, Jai Kisan,” Shri Narendra Modi asked every farmer to try and grow pulses on a part of his land. He also mentioned steps being taken by the Union Government for the pulses sector. He said pulses were an important part of the diet of the common man.

The Prime Minister said he was happy to note that a large number of people from South Bihar were present at the function, because the Institute whose foundation was being laid today would serve that region as well.

The Prime Minister said Indian agriculture has been lagging in several areas including inputs, irrigation, value addition and market linkages. He said the Union Government was committed to modernizing Indian agriculture and making it more productive. He said this required proper allocation of resources and training.

Noting that population was rising and land holdings are getting fragmented, the Prime Minister emphasised the need to enhance productivity to ensure the nation’s food security as well as ensure good income for farmers.

Towards this end, the Prime Minister said proper research was required in all agro climatic zones of the country. This would ensure best results, as well as greater acceptability among farmers. He said this required the spread of agricultural research and education in various regions.

The Prime Minister said the need of the hour was a second green revolution, without any delay, in eastern India. He said that the Union Government was therefore committed to the development of this region. He mentioned the setting up of fertiliser plants, which would ensure proper availability of fertilisers in the region.

Shri Narendra Modi mentioned the Government’s programme to provide soil health cards to all farmers. This too, he mentioned, could provide a source of employment to youth, through soil testing laboratories.

The Prime Minister said animal husbandry and fisheries were equally important for the agriculture sector. He laid stress on the importance of raising productivity in the dairy sector. He said the Government had decided to pay special attention to the dairy sector in Jharkhand. He suggested that one district in each state could be developed as a honey producing district. He also mentioned the Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana, to provide adequate irrigation to farmers. Recalling his mantra of per drop, more crop, the Prime Minister said micro irrigation helped raise productivity and incomes for farmers. 

Prime Minister to Launch Digital India Week on the First July

Prime Minister to Launch Digital India Week on the First July
Many of Digital India initiatives have now reached a stage where awareness on the part of potential users and their active participation is necessary for digital technology to be successful. Union Minister Ravi Shankar Prasad stating that today said that the Prime Minister would launch the Digital India Week on 1st of July with a view to empower the people of the country through the Digital India Programme. He said this programme has been designed to be a game changer. The Government of India has been under taking a series ofinitiatives for developing various applications and portals that would go a long way in making the lives of the citizens better. The Digital India Week to be launched by the Prime Minister Shri Narendra Modi on 1stJuly, 2015 aims at encouraging people’s involvement and creating awareness among them.
Digital India has been envisioned as an ambitious umbrella programmeto transform India into a digitally empowered society and knowledge economy. It comprises of various initiatives under the single programme each targeted to prepare India for becoming a knowledge economy and for bringing good governance to citizens through synchronized and co-ordinated engagement of the entire Government. 
This programme has been envisaged and coordinated by the Department of Electronics and Information Technology (DeitY) in collaboration with various Central Ministries/Departments and State Governments. The Prime Minister as the Chairman of Monitoring Committee on Digital India, activities under the Digital India initiative is being carefully monitored. All the existing and ongoing e-Governance initiatives have been revamped to align them with the principles of Digital India.
The vision of Digital India programme also aims at inclusive growth in areas of electronic services, products, manufacturing and job opportunities etc. The vision of Digital India is centred on three key areas -
(i)      Digital Infrastructure as a Utility to Every Citizen
(ii)    Governance & Services on Demand and
(iii)   Digital Empowerment of Citizens
With the above vision, the Digital India programme aims to provide Broadband Highways,Universal Access to Mobile Connectivity,  Public Internet Access Programme,  E-Governance: Reforming Government through Technology, eKranti - Electronic Delivery of Services,Information for All, Electronics Manufacturing: Target Net Zero Imports,  IT for Jobs  and Early Harvest Programmes.Several projects/products have already launched or ready to be launched as indicated below:
·        Digital Locker System aims to minimize the usage of physical documents and enable sharing of e-documents across agencies. The sharing of the e-documents will be done through registered repositories thereby ensuring the authenticity of the documents online.
·        MyGov.in has been implemented as a platform for citizen engagement in governance, through a “Discuss”, “Do” and “Disseminate” approach. The mobile App for MyGov would bring these features to users on a mobile phone.
·        Swachh Bharat Mission (SBM) Mobile app would be used by people and Government organisations for achieving the goals of Swachh Bharat Mission.
·        eSign framework would allow citizens to digitally sign a document online using Aadhaar authentication.
·     The Online Registration System (ORS) under the eHospital application has been introduced. Thisapplication provides important services such as online registration, payment of fees and appointment, online diagnostic reports, enquiring availability of blood online etc.
·     National Scholarships Portal is a one stop solution for end to end scholarship process right from submission of student application, verification, sanction and disbursal to end beneficiary for all the scholarships provided by the Government of India.
·     DeitY has undertaken an initiative namely Digitize India Platform (DIP) for large scale digitization of records in the country that would facilitate efficient delivery of services to the citizens.
·     The Government of India has undertaken an initiative namely Bharat Net, a high speed digital highway to connect all 2.5 lakh Gram Panchayats of country. This would be the world’s largest rural broadband connectivity project using optical fibre.
·     BSNL has introduced Next Generation Network (NGN), to replace 30 year old exchanges, which is an IP based technology to manage all types of services like voice, data, multimedia/ video and other types of packet switched communication services.
·     BSNL has undertaken large scale deployment of Wi-Fi hotspots throughout the country. The user can latch on the BSNL Wi-Fi network through their mobile devices.
·     To deliver citizen services electronically and improve the way citizens and authorities transact with each other, it is imperative to have ubiquitous connectivity. The government also realises this need as reflected by including ‘broadband highways’ as one of the pillars of Digital India.  While connectivity is one criterion, enabling and providing technologies to facilitate delivery of services tocitizens forms the other.
      Policy initiatives have also been undertaken by DeitY in the e- Governance domain like e-Kranti Framework, Policy on Adoption of Open Source Software for Government of India, Framework for Adoption of Open Source Software in e-Governance Systems, Policy on Open Application Programming Interfaces (APIs) for Government of India, E-mail Policy of Government of India, Policy on Use of IT Resources of Government of India, Policy on Collaborative Application Development by Opening the Source Code of Government Applications, Application Development & Re-Engineering Guidelines for Cloud Ready Applications
·     BPO Policy has been approved to create BPO centres in different North Eastern states and also in smaller / mofussil towns of other states.
·     Electronics Development Fund (EDF) Policy aims to promote Innovation, R&D, Product Development and to create a resource pool of IP within the countryto create a self-sustaining eco-system of Venture Funds.
·     National Centre for Flexible Electronics (NCFlexE) is an initiative of Government of India to promote research and innovation in the emerging area of Flexible Electronics.
·     Centre of Excellence on Internet on Things (IoT) is a joint initiative of Department of Electronics & Information Technology (DeitY), ERNET and NASSCOM.
·          Major industry leaders are likely to make announcements involving billions of dollars ofinvestments in Electronics Manufacturing and Digital India. These investments will also result in employment to several lakhs of people.

Following leaders are likely to participate in the Digital India Week launch function:
1. Shri Cyrus P Mistry, Chairman, Tata Sons Limited.
2. ShriMukesh D. Ambani, Chairman & MD, Reliance Industries Ltd.
3. Shri Sunil Mittal, Chairman and Group CEO, Bharti Enterprises
4. ShriKumaramangalam Birla, Chairman, Aditya Birla Group
5. Shri Anil Ambani, Chairman, Reliance Group
6. Shri Anil Agarwal, Chairman, Sterlite Technologies Limited.
7. Shri Ping Cheng, CEO, Delta Electronics, Inc.
8. Shri Azim Premji, Chairman, Wipro Limited.
9. ShriHari Om Rai, Chairman & MD, LAVA International Ltd.
10. Shri Peter Gutsmeidl, CEO, Airbus Group.
11. ShriPawan Munjal, Hero Group of Companies.
12. ShriMikio Katayama, Vice Chairman, Nidec Corporation
The estimated impact of Digital India by 2019 would be cross cutting, ranging from broadband connectivity in all Panchayats, Wi-fi in schools and universities and Public Wi-Fihotspots. The programme will generate huge number of IT, Telecom and Electronics jobs, both directly and indirectly. Success of this programme will make India Digitally empowered and the leader in usage of IT in delivery of services related to various domains such as health, education, agriculture, banking, etc.

25 June 2015

PM's remarks at the launch of AMRUT, Smart Cities Mission and Housing for All (Urban) Mission

Text of PM's remarks at the launch of AMRUT, Smart Cities Mission and Housing for All (Urban) Mission


आज इस एक छत के नीचे शहरी भारत इकठ्ठा हुआ है। Urban India. एक प्रकार से इस विज्ञान भवन में वे लोग बैठे हैं जिनके जिम्‍मे देश के करीब-करीब 40 प्रतिशत नागरिकों की सुख-सुविधा की जिम्‍मेवारी है। इस देश की 40 प्रतिशत जनसंख्‍या करीब-करीब 40 प्रतिशत जो या तो शहरों में जीवन गुजारा करती है या शहरों पर आधारित अपना जीवन गुजारा करती है। उनको क्‍वालिटी ऑफ लाइफ कैसे मिले, एक सामान्‍य मानव की जो प्राथमिक आवश्‍यकता है उसकी पूर्ति कैसे हो और जब पूरे विश्‍व का ध्‍यान भारत की तरफ है तो हम.. दुनिया जिन ऊंचाइयों पर पहुंची है उसे बराबरी करने की दिशा में और उसे आगे बढ़ने की दिशा में पहल कैसे करें, प्रारम्‍भ कैसे करें और किस दिशा में आगे बढ़ें।

इन दोनों लक्ष्‍यों की पूर्ति को ध्‍यान में रखते हुए एक तरफ झुग्‍गी-झोपड़ी में जिन्‍दगी गुजारा करने वाला वो परिवार, एक तरफ रोजी-रोटी की तलाश में शहर की ओर आया हुआ मजबूर नागरिक और दूसरी तरफ बदलता हुआ वैश्विक परिवेश.. दो छोर की स्थिति में से हमें गुजरना है। हम इसलिए निराश हो करके नहीं बैठ सकते कि दुनिया तो बहुत आगे बढ़ चुकी, पता नहीं हम ये हो सकते हैं कि नहीं हो सकते हैं। हम उदास हो करके नहीं बैठ सकते कि ठीक है भई वो अपनी रोजी-रोटी के लिए आए हैं वो अपना गुजारा कर लेंगे। जी नहीं! हमारे देश के गरीबों को हम उनके नसीब पर नहीं छोड़ सकते। हमारा दायित्‍व होता है, हमारी जिम्‍मेवारी होती है और उन जिम्‍मेवारियों को निभाने के लिए अगर योजनापूर्वक अगर हम आगे बढ़ते है तो परिस्थितियां पलटी जा सकती है, परिस्थितियां सुधारी जा सकती है और लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकता है।

इन बातों को ध्‍यान में रखते हुए इस शहरी जीवन में बदलाव लाने के लिए आप सबके साथ दो दिन विस्‍तार से विचार-विमर्श होने वाला है। यहां पर चुने हुए जन-प्रतिनिधि भी हैं और यहां पर शहरी क्षेत्रों का दायित्‍व संभालने वाले चाहे नगर पालिका हों, या महा-नगर पालिका हों उसके सरकारी अधिकारी भी हैं। हम सब मिल करके आगे बढ़ने का संकल्‍प करने के लिए आज इकट्ट्ठे हुए हैं।

हिन्‍दुस्‍तान के इतिहास में 25-26 जून कोई भूल नहीं सकता है। 40 साल पहले सत्‍ता सुख के खातिर देश को आपातकाल के बंधनों में बाध करके जेलखाना बना दिया गया था। देश में सम्‍पूर्ण क्रांति का सपना ले करके चल रहे जय प्रकाश जी नारायण के नेतृत्‍व में लाखों देशभक्‍तों को लोकतंत्र प्रेमियों को जेलों में बंद कर दिया गया था, अखबार पर ताले लग गए थे रेडियो वही बोलता था जो सरकार बोलती थी। ऐसे दिन थे 40 साल पहले! आज 25 जून को और 26 जून को हम मिल करके उन सपनों को संजोना चाहते हैं कि जहां पर हर नागरिक इस लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था के बीच फूले-फले, प्रगति करे, उसको अवसर मिले, उसको सुविधा मिले। उस दिशा में हम काम करने के लिए संकल्‍पबद्ध हो रहे हैं।

आज मुझे खुशी है कि कल ही हमने कैबिनेट में लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी के स्‍मृति में एक राष्‍ट्रीय स्‍मारक बनाने का निर्णय किया है। जो लोकतंत्र प्रेमी नागरिकों के लिए हमेशा-हमेशा वो दिशा-दर्शक बनता रहेगा और विकास की सारी योजनाएं, यात्राएं जन-सामान्‍य के सहयोग से, जन-सामान्‍य की भागीदारी से कैसे आगे बढ़ें उस दिशा में हम निरंतर प्रयत्‍नरत रहना चाहते हैं। हमारे देश में करीब 500 शहर हैं। ज्‍यादातर गांव से रोजी-रोटी कमाने के लिए लोग आते ही चले जा रहे हैं। बहुत तेजी से हमारा urbanization हो रहा है। अच्‍छा होता आज से 25-30 साल पहले हमने urbanization को एक opportunity समझा होता, urbanization को एक अवसर माना होता। छोटी जगह में thickly populated लोग एक प्रकार से देश की economic के driving source होते है। उस शक्ति को हमने पहचाना होता और हमारे urban growth engine के रूप में हमारी विकास यात्रा में उसकी भूमिका को हमने जाना होता और इस प्रकार से उसको ताकत दी होती तो हम भी आज दुनिया के उन समृद्ध और प्रगतिशील शहरों की बराबरी कर पाए होते। लेकिन.. देर आए दुरुस्‍त आए। पहले क्‍या नहीं हुआ उसका रोना-धोना गाते रहेंगे तो बात बननी नहीं है। पुराने अनुभव बहुत बुरे हैं, मैं जानता हूं और उसी के आधार पर निराश बैठने की भी आवश्‍यकता नहीं है। अगर स्‍पष्‍ट vision के साथ लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के इरादे के साथ और नागरिक को केंद्र में रखते हुए अगर हम योजनाएं करते हैं, तो मैं नहीं मानता हूं कोई रुकावट आ सकती है|

यहां दो दिन में हमारे सामने कई शहरों के best practices के प्रत्‍यक्ष किए हुए कामों को प्रस्‍तुत किया जाएगा। अगर हैदराबाद taxation system में unprecedented growth कर सकता है, किसी भी प्रकार के नए taxes के बजाए भी collection में इतना improvement कर सकता है तो और शहर भी कर सकते हैं। अगर कर्नाटक solid waste management में, उसमें compost की प्रक्रिया के संबंध में अगर आगे बढ़ सकता है तो और शहर भी बढ़ सकते हैं। ऐसा नहीं है कि कोई ऐसी चीजों की यहां चर्चा यहां होने वाली है कि जो हमने कभी सुना भी नहीं सोचा भी नहीं, नहीं! हम उन्‍हीं चीजों को करना चाहते हैं जो ये देश कर सकता है और किसी ने करके दिखाया है। अब उसको हमने सब मिल करके आगे बढ़ाना है, आप देखिए देश का रुतबा बदल सकता है। अब छत्‍तीसगढ़ जैसा प्रदेश, माओवाद के कारण परेशानियों से जूझ रहा प्रदेश, जंगलों की रक्षा करने वाला एक बहुत बड़ा दायित्‍व वाला प्रदेश, उसने open defecation के खिलाफ एक बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा किया है और उनकी कोशिश है कि हम छत्‍तीसगढ़ को open defecation से मुक्‍त कर देगें। एक लक्ष्‍य ले करके अगर नेतृत्‍व चल पढ़ता है तो स्थितियां बदली जा स‍कती है। बहुत कुछ हो रहा है। इस योजना के तहत उन सारे अनुभवों के आधार पर.. यानी कोई हवाई बातें नहीं हैं, उन अनुभवों के आधार पर एक कदम और कैसे आगे बढ़ाया जाए, पहले से कुछ अच्‍छा कैसे किया जाए, एक जगह पर होता है तो सब जगह पर कैसे हो | कुछ लोग करते हैं हम मिल करके सब लोग क्‍यों न करें उस भाव को पैदा करने का प्रयास। भारत जिस तेजी से urbanize हो रहा है, एक प्रकार से यूरोप का कोई छोटा देश देखें तो हिन्‍दुस्‍तान में हर वर्ष एक नया देश जन्‍म लेता है शहरों में, मतलब हमारे सामने कितनी बड़ी चुनौती है! उस चुनौती को पार करने के लिए हमें निश्चित योजनाओं के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा। कुछ कानूनी बाधाएं होगी तो उसके रास्‍ते खोजने पड़ेगें, आर्थिक व्‍यवस्‍थाओं की भी व्‍यवस्‍था होगी उसके संबंध में स्‍थानीय इकाई राज्‍य सरकार, केंद्र सरकार सबने मिल करके एक मॉडल खड़ा करना होगा ताकि हम पैसों के कारण अटके नहीं।

आज पीपीपी मॉडल पब्लिक partnership का मॉडल करीब-करीब स्‍वीकृत हो चुका है उसको कैसे हम बल दें। हम ज्‍यादा से ज्‍यादा urban infrastructure के लिए foreign direct investment को कैसे लाएं। हम आर्थिक संसाधनों को विश्‍व में जहां से भी प्राप्‍त कर सकते हैं, कैसे प्राप्‍त करें, लेकिन निर्धारित समय में हम इन स्थितियों को कैसे बदलें।

किसी भी इंसान, गरीब से गरीब इंसान का एक सपना होता है उसका अपना घर हो और एक बार अगर खुद का घर हो जाता है तो फिर वो सपने संजोने लग जाता है। जब मकान मिलता है तो सिर्फ छत नहीं मिलती चार दीवारें नहीं मिलती है जब गरीब को घर मिलता है तो धीरे-धीरे उसके इरादें भी बदलने लग जाते हैं। घर मिलते ही मन करता है कि यार एक-आध दरी ले आयें तो अच्‍छा होगा। फिर मन करता है कि यार दो कुर्सी लाए तो अच्‍छा होगा। फिर करता है कि यार नहीं-नहीं टीवी मिल जाए तो अच्‍छा होगा, फिर लगता है ये सब करना है तो थोड़ी ज्‍यादा मेहनत करें तो अच्छा होगा फिर लगता है फालतू खर्चा करता था अब उसको थोड़ा पैसा बचाऊंगा, अगले महीने ये लाऊंगा। जीवन में बदलाव शुरू हो जाता है। और वही, self-motivation इन कारणों से आता है। हमारी कोशिश यह है सिर्फ मकान देना, यानी एक परिवार को जो कि बेघर है घर वाला बने इतना नहीं, उसको जीवन जीने की हैसियत देना, उसके मन में जीवन जीने की उमंग भरना, उसके जीवन में जीवन को साकार होने का आनंद देखने को मिले और आने वाले पीढि़यों को देने का सपना पूरा हो, ऐसा एक माहौल बनाने का इरादा है। शहरों में करीब-करीब दो करोड़ से ज्‍यादा परिवार, उनके लिए घर बनाने हैं। अब हमारा देश ऐसा है कि अगर नहीं बना तो जवाब मुझसे मांगा जाएगा। कोई उनसे जवाब नहीं मांगेगा कि ये दो करोड़ बेघर रहे क्‍यों। कोई नहीं मांगेगा, है देश का स्‍वभाव है, क्‍या करेंगे। हमें उसी से गुजारा करना है। लेकिन कोई कुछ कह देगा इस डर के कारण हम काम करना छोड़ दें तो देश का भला नहीं होगा। और इसलिए हमारा दायित्‍व बनता है कि हमारे गरीब परिवारों को घर मिले।

आजादी के 75 साल हो रहे वर्ष 2022 में। उन आजादी के दीवानों का नाम लेते हुए हमें रोमांच होता है। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को याद करते हैं तो लगता है, कैसा बलिदान था! गांधी सरदार उनकी विरासत को देखते हैं तो लगता है कितना कष्‍ट झेला था। उन्‍होंने जो सपने देखें थे उन सपनों में क्‍या ये भी एक सपना नहीं था कि आजाद कि हिन्‍दुस्‍तान में हर परिवार के पास अपना घर हो? मैं मानता हूं आजादी के जब 75 साल मना रहे हैं तब, हमारे भीतर एक आवाज उठनी चाहिए कि मेरे देश में कोई गरीब ऐसा न हो कि जिसको फुटपाथ पर या झुग्‍गी-झोपड़ी पर जिन्दगी गुजारने के लिए मजबूर रहना पड़े ये हम बदलेंगे। यह हमारा दायित्‍व है और एक बार इस मिजाज को लेकर यहां से निकलेंगे तो रास्‍ते आप मिल जाएंगे। आज शहरों का विकास कैसे हो रहा है? आप किसी भी शहर में जाकर पूछिए बहुत कम शहर ऐसे मिलेंगे कि जहां पर पांच साल के बाद शहर कैसा होगा उसका कोई खाका कागज पर मिलेगा। दस साल के बाद कैसा शहर होगा उसका खाका कागज पर नहीं मिलेगा। जो Private property developer हैं, उनको तो पता होता है कि शहर इतना बढ़ेगा, इस दिशा में बढ़ेगा फिर वो वहां जमीन ले लेगा, योजनाएं डाल देगा। मकान तो खड़े कर देगा लेकिन जिंदगी जीने योग्‍य व्‍यवस्‍था पहुंचती नहीं है। न रोड बनता है, न बिजली पहुंचती है, न drainage की व्‍यवस्‍था होती है। लोग आते हैं, पैसे देकर मकान भी लेते हैं। बाकी व्‍यवस्‍था होती नहीं क्यों? क्‍योंकि शहर के नेतृत्‍व ने शहर नहीं बनाया कुछ property dealer ने शहर को बढ़ाया है। ये जो mismatch है उस mismatch को बदलना है। शहर कैसा बढ़ेगा, कब जाएगा कहां, किस रास्‍ते आगे बढ़ेगा, west में बढ़ेगा आगे East में बढ़ेगा, समाज के छोटे से छोटे व्‍यक्ति के लिए भी उसमें क्‍या जगह होगी, ये Plan, जब तक शहर का नेतृत्‍व दीर्घ दृष्टि के साथ नहीं करता है ये स्थिति बनी रहेगी।

हम इस AMRUT योजना के माध्‍यम से ये एक बदलाव चाहते हैं। शहर खुद अपना सोचने लगे, शहर अपनी योजनाएं बनाने लगे, और कहां जाना कैसे जाना है, उसका फैसला शहर करे। जरूरत के आधार पर वो चलता जाए, बढ़ता जाए, और बाद में व्‍यवस्‍थायें विकसित कर रिकॉर्ड के involvement आ जाता है encroachment आ जाता है, Road नहीं होती है ट्रैफिक की समस्या आती है। पानी नहीं बिजली नहीं, सारी समस्‍या हम झेलते रहते हैं, और ये हर शहर के अगल-बगल में आपको देखने को मिलेगा कि किसी ने उसको बना दिया और बाद में उस शहर को गोद लेना पड़ता है और वो बहुत तकलीफ वाला होता है। हमने इसकी योजना क्‍यों नहीं करनी चाहिए।

हमारे देश में शहरों के विकास के लिए एक तरफ हम स्‍वच्‍छ भारत की बात जब लेकर आए, मैं मानता हूं कि सरकार से लोग दो कदम आगे हैं, स्‍वच्‍छ भारत के काम में, कहीं सरकार कम नजर आती हैं, लोग ज्‍यादा नजर आते हैं। मैं विशेष रूप से मीडिया का आभारी हूं। मैं देख रहा हूं, वरना मुझे याद है कि 15 अगस्‍त को जब स्‍वच्‍छ भारत की बात कहकर निकला तो मुझे डर लगता था। ये रोज मेरे बाल नोच लेंगे। यहां कूड़ा है, यहां कचरा है, लेकिन मैं आज उन सबको सलाम करता हूं जिन्‍होंने ऐसा नहीं किया उन्‍होंने नागरिकों को train करने का काम उठाया और सभी मीडिया के लोग कर रहे हैं। अपने-अपने तरीके से कर रहे हैं, लोगों को समझा रहे हैं कि क्यों, क्‍यों कूड़ा यहां है तुम यहां क्यों नहीं फेंकते हो।

मैं समझता हूं जब इतिहास लिखा जाएगा मीडिया के स्‍वच्‍छ भारत के अभियान का जो नेतृत्‍व जो आज मीडिया कर रहा है, देश में बदलाव लाने का कारण बनेगा। मैं, मैं देख रहा हूं। बदला जा सकता है ये और आज हमारे यहां Solid waste management, waste water treatment.. हमारा विकास ऐसा नहीं हो सकता कि जो शहर और गांव के बीच संघर्ष पैदा करेगा। हमारा विकास ऐसा होना चाहिए कि जो शहर और गांव एक-दूसरे के पूरक होना चाहिए। अगर शहर को पानी चाहिए, गांव वालों को पानी मिले या नहीं मिले, शहर को तो पानी देना ही पड़ेगा और पीने के पानी की एक बात ऐसी होती है, जहां मानवता का विषय होता है तो कोई बोल भी नहीं पाता है, क्‍या इसके उपाय नहीं है, क्‍यों न हम waste water treatment करें और वो पानी गांवों को खेतों में वापिस करें तो किसान भी परेशान नहीं होगा गांव भी परेशान नहीं होगा और शहर को पीने का पानी चाहिए उसकी उपलब्धता की भी कभी तकलीफ नहीं होगी। हम ये चिंता क्‍यों न करें, हम Solid waste management करके Compost बनाने के पीछे हैं। organic fertilizer तैयार करने की दिशा में क्‍यों काम न करें। वही fertilizer हम नजदीक के गांवों को दें। हमने देखा है कि बड़े शहर, बड़े शहर के आस-पास के 30-40 किलोमीटर के जो गांव होते हैं, वो ज्‍यादातर सब्‍जी की खेती करते हैं, ज्‍यादातर। क्‍योंकि उनको तुरंत सुबह-सुबह मार्केट मिल जाता है, शहर में उनका daily आधार पर चलता है बाजार। अगर हम organic fertilizer, compost fertilizer जो शहरों के कूड़े-कचरे से हम बनाते हैं, वो अगर हम गांव में दे दें, तो जो सब्जी मिलेगी वो organic सब्‍जी मिलेगी। अगर हमारा ये input cost कम होगा तो सब्‍जी भी सस्‍ती आएगी। सब्‍जी सस्‍ती आएगी तो गरीब आदमी भी 100 ग्राम सब्‍जी खाता है, तो दो सौ ग्राम खाएगा और सब्‍जी ज्‍यादा खाएगा तो Nutrition के problem solve होंगे Health के problem solve होंगे। ultimately बजट के Burden कम होते जाएंगे सुविधाएं बढ़ती जाएंगी। लेकिन हम अगर ये सोच करके काम करें तो ये काम बढ़ सकता है और इसलिए हमारे शहरों का विकास का Model है और इसलिए जो AMRUT योजना है इसमें इन बातों पर बल दिया गया है कि हम इन बातों को कैसे करें plan way में आगे बढ़े, गरीबों को घर मिले, जन-सामान्‍य को जीवन जीने की सुविधा मिले।

जो स्‍मार्ट सिटी का concept है उन स्‍मार्ट सिटी जो बनेगी ये पहली बार स्‍मार्ट सिटी योजना ऐसी है कि जिसमें शहरों का निर्णय भारत सरकार नहीं करेगी। शहरों को स्‍मार्ट बनाने का राज्‍य सरकार नहीं करेगी। शहरों को स्‍मार्ट बनाने का निर्णय वो शहर का नेतृत्‍व, वो शहर के नगारिक, वे शहर के municipality के लोग तय करेंगे। थोपा नहीं जाएगा, आवाज नीचे से उठनी चाहिए और इसलिए पहली बार हिन्‍दुस्‍तान में challenge route के आधार पर स्‍मार्ट सिटी बनाने का निर्णय किया है। दुनिया के कई देशों ने ये प्रयोग किया है। कुछ पैरामीटर तय किये गए हैं और जो शहर इस पैरामीटर को पूर्ति करेगा वो entry पाएगा इस स्पर्धा में। फिर उसकी दूसरी exam देनी पड़ेगी फिर उसको पार करेगा तो select होगा, जब select होगा तो फिर भारत सरकार, राज्‍य सरकार मिल करके उस शहर की ताकत को जोड़ करके उसको स्‍मार्ट सिटी बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। अगर ये योजना ऊपर से आएगी तो क्‍या होगा? ये काम क्‍यों नहीं हुआ है, वो दिल्‍ली वालों ने नहीं किया है, ये काम क्‍यों नहीं किया वो हमारे राज्‍य सरकार वाले नहीं करते, नहीं ! ये नीचे से होना है और कहीं पर कोई कठिनाई न आए उस दिशा में आगे बढ़ना है।

मैं समझता हूं यहां पर आये हुए सभी महानुभवों के लिए ये चुनौती है उस चुनौती को स्‍वीकार कीजिए और जो पैरामीटर तय हो उस स्पर्धा में आइये जीत करके आगे निकलिए और एक बार जब.. जीवन में स्‍पर्धा हर जगह पर होती है। आप मेयर भी बनते हैं तो स्‍पर्धा से ही तो बनते हैं, किसी ने ऊपर से तो नहीं बैठा दिया आपको। आप कहीं नौकरी लेने जाते हैं तो वहां भी तो competition होती हैं आप competition को पार करते हैं तो select होते हैं तो हमारे शहरी विकास में भी competition आवश्‍यक है। उस competition को ला करके स्‍मार्ट सिटी बनाने का प्रयास है। कभी-कभी कुछ लोग माथापच्‍ची इसी में खपा रहे हैं कि स्‍मार्ट सिटी चीज है क्‍या? बहुत.. बहुत ज्‍यादा दिमाग खपाने की जरूरत नहीं है। हम.. मान लीजिए किसी रेलवे स्‍टेशन पे गये, और जो पूछताछ वाला व्‍यक्ति वहां बैठा है उसको दो सवाल पूछने हैं और उसने हमको चार-पांच सवालों के जवाब दे दिए जो कि हम पहले उसको पूछने के लिए सोचकर गए थे लेकिन वो समझ जाएगा कि उनको ये पूछना है, वो जवाब दे तो हम कहें यार ये बड़ा स्‍मार्ट आदमी है। मेरी आवश्‍यकता से भी वो एक कदम आगे है, मेरे हिसाब से ही यही स्‍मार्ट सिटी है कि जो नागरिकों की आवश्‍यकता है उससे दो कदम हम आगे चललें, उसकी जो आवश्‍यकता है, आप मांगोगे हाजिर है, आप चाहोगे, हम सोच रहे हैं, आपका सुझाव है हां हमारी योजना बन रही है- दो कदम आगे है। आप देखिए देखते-देखते smart city बन जाएगी। technology है environment friendly development है। हमने प्रकृति के साथ जीना है energy saving यह हमारी स्‍वाभाविक व्‍यवस्‍था है walk to work ये concept लाना पड़ेगा वरना एक जगह पर रहता है और रोज डेढ़ घंटा वो travelling करता है फिर नौकरी पर जाता है तो उसकी maximum energy travelling में जाती है बची-खुची का में लगती है, तो वो काम कैसा होगा। अगर उसकी energy saving होती है। walk to work का concept develop धीरे-धीरे हमारे यहां होता है और एक composite व्‍यवस्‍था विकसित होती है कि जहां सबकुछ available हो साइकिल पर भी जाए तो अपना काम हो जाए। हमने इस प्रकार के मॉडल को develop करना ही होगा और जब ये develop करेंगे तो अपने आप शहर के भीतर कई छोटे-छोटे शहर बन जाते हैं। वो एक प्रकार से पूर्ण शहर बन जाते है। हम उस विचार को ले करके कैसे आगे बढ़ें तो smart city के concept को हमने आगे बढ़ाना है। चाहे housing for all की बात हो, चाहे हमारे 500 नगरों को प्राणवान बनाना है, अमृतमय बनाना है चाहे दुनिया की बराबरी करने वाले हमारे smart city की दिशा में कदम उठाना है। एक composite योजना के साथ urban India का हमारा विज़न क्‍या है, उसको ले करके हम आएं और ये योजना सरकार में बैठ करके कागज पर बनाई हुई योजनाएं नहीं हैं। शायद हिंदुस्‍तान में इतनी बड़ी मात्रा में consultation पहले कभी नहीं हुआ होगा, जितना consultation इस योजना को चरितार्थ करने के लिए लगाया गया है। सभी प्रकार के stake holders को इसमें जोड़ा गया है। उनसे पूछा गया, उनसे जानकारी ली गई है। उनकी समस्‍याओं को समझा गया है और उसको चरितार्थ करने का प्रयास किया है। financial world को भी, उनको भी विश्‍वास में लिया, बताइए कैसे होगा। real estate developers है उनको भी पूछा गया कि बताइए, भई कैसे आगे बढ़ सकते है जो कानूनविद हैं.. कि जिसके कारण कानूनी समस्‍याएं न आएं, उनसे पूछा गया। दुनिया में जो अच्‍छा हुआ है जिन्‍होंने अच्‍छा किया है उनको भी साथ जोड़ा गया है। इस क्षेत्र में जिन-जिन की पहचान है दुनिया में उन सबकी सलाह ली गई है और इन सबसे विचार-विमर्श करके black and white में चीजों को प्रस्‍तुत करने का प्रयास किया है। एक बार ये चीजें तैयार हुई हैं, अब आगे बढ़ने में देर नहीं।

ये सरकार consumer की सुरक्षा इस पर सजग है। Parliament में एक बिल already हमारा गया हुआ है, इस अवसर पर चर्चा होगी हमारी। वरना हमारे देश में चाहे अनचाहे ये जो builder lobby है उनकी छवि काफी गिरी हुई है और गरीब आदमी अपनी जिंदगी का पूरा पैसा उसमें लगाता है यानी उसके जीवन की वो एक ही घटना होती है और फिर जब वो लुट जाता है तो उसका तो सब लुट जाता है। ये छोटे-छोटे गरीब consumer को protect करने के लिए संसद में कानून लाया गया है ये आने वाले सत्र में पारित होगा तो हम विकास चाहते हैं, घर को जोड़ना भी चाहते है लेकिन साथ-साथ हम सामान्‍य नागरिकों की आवश्‍यकताओं की पूर्ति को ध्यान देना चाहते हैं।

मुझे विश्‍वास है कि आज, 25 जून, ये शहरी भारत, विज्ञान भवन में एकत्र हो करके आधुनिक भारत के निर्माण के लिए वैज्ञानिक तौर-तरीके से आगे बढ़ने का संकल्‍प ले करके आगे बढ़ेगा। नगर-पालिका, महानगर पालिका का जो नेतृत्‍व आया है मैं उनसे गुजारिश करना चाहता हूं यहां सब राजनीतिक दल के लोग होंगे, यहां सभी राजनीतिक पृष्‍ठभूमि के लोग होंगे लेकिन एक बात निश्चित है हम जब इतिहास पढ़ते हैं तो उन बातों को गौर करते हैं कि फलाना राजा था 5 साल ही उसको कार्यकाल मिला था लेकिन उसने अपने राज्‍यकाल में ये दो चीजें अच्‍छी करके गया था | 200 साल के बाद भी लोग उसको याद करते हैं 100 साल के बाद भी अच्‍छा उनके कार्यकाल में ये काम हुआ था, उनके कार्यकाल में उनके कार्यकाल में ये तालाब बना और शहर की पानी की समस्‍या हल हुई थी। उनके कार्यकाल में डेढ़ सौ साल पहले स्‍कूल बना था, स्‍कूल में से इतने बड़े-बड़े लोग तैयार हुए। जिसको शासन का अवसर मिलता है उनकी पहचान पचासों साल के बाद भी.. कौन सा अच्‍छा काम करके गये उससे तो नापी जाती हैं| मैं उन नगर-पालिकाओं के अध्‍यक्षों से कहना चाहता हूं। मैं उन महा नगर-पालिकाओं के अध्‍यक्ष से कहना चाहता हूं कल्‍पना कीजिए कि आप 80 साल के उम्र के होंगे आपका पोता उंगली ले पकड़ कर आपके साथ चलता हो तो आपके दिल में इच्‍छा क्‍या होगी। जरा कल्‍पना कीजिए मैं दावे से कहता हूं कि आपके दिल में इच्‍छा ये होगी कि जो छोटा पोता जो ज्‍यादा कुछ समझता नहीं उंगली पकड़कर वहां ले जाएंगे और कहेंगे देखिए ये भवन हैं न मैं जब अध्‍यक्ष था न तो मैंने बनाया था। ये जो गांव में तालाब है न, मैं जब अध्‍यक्ष था न मैंने बनाया था। हर किसी की ख्‍वाहिश होनी चाहिए कि अपने कार्यकाल में अपने शहर को कुछ अच्‍छा नजराना दे करके जाए। आपकी जीवन की सफलता उसमें है। आपकी जीवन की सफलता उस बात में नहीं है कि आपने कितने लोगों को पराजित किया कितनी बार चुनाव जीतकर आये। कितनी बार गठजोड़ करके सत्‍ता को हासिल किया। ये सफलता का मानदंड नहीं होता है। सफलता का मानदंड ये होता है कि जिस जनता जनता जनार्दन की आपको अवसर दिया है उनके लिए क्‍या करके गये, अगर ये मन में संकल्‍प ले करके जाते हैं ये इरादा ले करके जाते हैं कि मुझे पांच साल का कार्यकाल मिला है मुझे तीन साल का कार्यकाल मिला है जनता जनार्दन ने मुझे अवसर दिया है। मैं मेरे नागरिकों के लिए ये करके जाऊंगा और उसका जो संतोष मिलेगा ना अद्भुत संतोष होगा। अद्भुत संतोष होगा। जीवन भर जीने के लिए वो आपके लिए एक बहुत बड़ा अवसर बना हुआ होता है। अपने पोते के पोते भी अगर आपके आंखों के सामने हैं तो आपका मन करेगा कि आप अपना achievement उसको बता कर जाएं, ये आपका सपना रहता है।

आपके दिल में भी वो सपने जगें, आप भी कुछ करने के लिए कृतसंकल्‍प हों। अर्थात प्रयत्‍न करके शहर के जीवन में बदलाव लाएं। वहां के सामान्‍य से सामान्‍य नागरिक के जीवन में बदलाव लाएं इन शुभकामनाओं के साथ मैं आज के इस अवसर पर विभाग के सभी लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं ताकि देश के शहरी जीवन में बहुत ही अल्‍प समय में बदलाव आये और 2022 में जब देश आजादी के 75 साल मनाता हो तब हमारे शहरों में भी हर परिवार में स्‍वतंत्रता की आनंद की अनुभूति दें उसको हम सफलतापूर्वक पार करें इसी शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 

PM's remarks at the launch of AMRUT, Smart Cities Mission and Housing for All (Urban)

PM's remarks at the launch of AMRUT, Smart Cities Mission and Housing for All (Urban)


The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today said that for the first time in the country, the people, and the urban leadership would play the pivotal role in deciding the future course of their cities. He was speaking at the launch of three major urban development initiatives: AMRUT (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation); Smart Cities Mission; and Housing for All (Urban), at Vigyan Bhawan in New Delhi.

The Prime Minister explained that for the first time in India, a challenge was being floated, in which the citizens of urban India could contribute in the formulation of development visions of their cities. Those cities which were able to competitively meet the required parameters would be developed as smart cities. Hence, the Prime Minister said, this competitive mechanism would end the top-down approach, and lead to people-centric urban development.

The Prime Minister said these urban development schemes were not prepared by the Government alone, but involved perhaps the biggest consultation exercise ever taken by the Union Government, involving all stakeholders and examining global best practices. The Prime Minister gave a simple vision of a smart city, as one which was a step or two ahead of people's aspirations. Technology, transportation, energy efficiency, walk-to-work, cycling etc were some elements mentioned by the Prime Minister. The Prime Minister said the Government is sensitive to consumer protection, and towards ending undue harassment, especially with regard to housing. He said one Bill towards this end has already been introduced in Parliament.

Stating that public representatives and leaders are remembered by the good work they did in their terms, the Prime Minister urged urban leaders to contribute to doing something for the good of the people. He said the people assembled in Vigyan Bhawan today, had on them the collective responsibility for better quality of life for 40 percent of India's population that either lived in cities, or were dependent on cities for their livelihood. He said the aspirations of migrants from rural areas, and slum dwellers, have to be balanced with the changing global environment. He said ensuring a good life for them is our responsibility. In this context, this 2-day workshop presented a good opportunity to work out strategies for the future.

Recalling the Emergency, which was imposed 40 years ago on this day, the Prime Minister said the dreams and aspirations that inspired people to struggle against the emergency, should be a beacon for this gathering. He said all schemes for urban development should move forward based on people's participation.

The Prime Minister said that urbanization should be viewed as an opportunity, and urban centres should be viewed as growth engines. He said if this had been done 25-30 years ago, it would have led to good results today, but better late than never. He said schemes which had a clear vision and were people-centric, were the need of the hour. He called for replication of best practices from across the country. In particular, the Prime Minister mentioned Hyderabad's tax collection system, Karnataka's efforts for solid waste management, and Chhattisgarh's work to eliminate open defecation.

Mentioning the challenge of rising population, he said all possible avenues should be explored to find the resources for urban development.

The Prime Minister said a House was a turning point in the lives of poor, which led towards a better life. He said the Government's effort was to not just provide a house, but to provide the right environment to live life to the fullest.

Citing the existing housing shortage of 2 crore units, the Prime Minister said that India was completing 75 years of independence in 2022, and by then, it was our responsibility to provide a house for everyone.

The Prime Minister said today there is a lack of holistic vision about urban planning, and expansion is driven not by the administrators of a city, but by property developers. Through AMRUT, the aim of the Government is to give cities themselves the chance to plan their future growth.

The Prime Minister appreciated people for their interest and work in the Swachh Bharat initiative, as well as the positive role played by media in generating awareness.

The Prime Minister said urban and rural development in our country should be complimentary. One way of doing this was to ensure waste water management in urban areas, so that the treated water could be returned to rural areas for irrigation. Similarly solid waste management could generate compost which could act as organic fertiliser for the surrounding rural areas.

The Prime Minister released logos, and taglines for AMRUT and Smart Cities Mission; and guidelines for AMRUT, Smart Cities Mission and Housing for All (Urban). The Prime Minister also visited an exhibition on best practices in urban development. 

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Haridwar-Rishikesh to be developed under spiritual tourism

Centre is in process of giving Rs.100 Cr for development of Tourism at and around Tehri: Dr. Mahesh Sharma

Haridwar-Rishikesh to be developed under spiritual tourism
The Minister of State for Tourism (Independent Charge), Culture (Independent Charge) and Civil Aviation, Dr. Mahesh Sharma held a meeting with Chief Minister of Uttarakhand Shri Harish Rawat in New Delhi today. They discussed various important issues related to the development of tourism in the state of Uttarakhand. The Minister said that the Government of India has always been committed to the development of the Uttarakhand, especially after the destruction caused by floods. He said that the Government of India and the Government of Uttarakhand will work together to take tourism to the new hights.

Dr. Mahesh Sharma said that Rishikesh and Haridwar will be developed under the spiritual tourism scheme of Government of India. Central government is committed to development of Kedarnath and funds have already been sanctioned under PRASAD scheme, in addition to the Rs. 100Cr sanctioned for reconstruction and redevelopment after destruction caused by floods.

The ministry of Tourism has already approved for the development of tourism at and around Tehri, Dr. Sharma added. Shri Harish Rawat explained the ambitious project of ropeways being undertaken by the state government to promote tourism. Dr. Sharma said that the Ministry of Tourism is willing to contribute either from the Large Revenue Generating (LRG) or PRASAD schemes to expedite the ropeway project.

The Tourism and Culture Minister assured that all assistance including technical facilities will be given to increase the hour of operation at Dehradun airport. The issue related to the release of outstanding funds under the ongoing projects earlier sanctioned under PIDDC is being discussed with Ministry of Finance and action in this regard will be taken soon, the Minister said. 

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