23 October 2015

UNEP द्वारा वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन दृष्टिकोण जारी

UNEP द्वारा वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन दृष्टिकोण जारी

मशीनीकरण तथा औद्योगिकरण के वर्तमान दौर में जैसे-जैसे मनुष्य विकास की नई ऊंचाइयां स्पर्श करता जा रहा है, वैसे-वैसे ही प्रदूषण के नए रूपों का भी जन्म हो रहा है। तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या, भोगवादी प्रवृत्ति तथा जीवन स्तर के ऊंचे उठने से ठोस अपशिष्टों की मात्रा एवं विविधता दोनों बढ़ी है। खास तौर पर यह समस्या नगरों में अधिक है क्योंकि यहां पर औद्योगिक अपशिष्ट (रासायनिक, इलेक्ट्रॉनिक, रेडियोधर्मी), चिकित्सकीय अपशिष्ट, घरों, कार्यालयों से निकलने वाला नगरपालिकीय ठोस अपशिष्ट आदि की वजह से प्रदूषण की समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इन अपशिष्टों की बढ़ती मात्रा व विविधता ने पर्यावरण के समक्ष एक नई चुनौती पैदा की है, क्योंकि इसके पर्यावरणीय दुष्प्रभाव व्यापक हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि इन अपशिष्टों के निस्तारण एवं प्रबंधन की आधुनिक विधियां खोजी जाएं, ताकि इस समस्या के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।
बहुत से मानव-निर्मित पदार्थों (अपशिष्ट) का अपघटन जीवाणु अथवा दूसरे मृतजीवियों द्वारा नहीं हो पाता। इन पदार्थों पर भौतिक प्रक्रम जैसे कि ऊष्मा तथा दाब का प्रभाव होता है। ये पदार्थ सामान्यतः अक्रिय हैं तथा लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं और पर्यावरण के अन्य साधनों को हानि पहुंचाते हैं। अतः इन अपशिष्टों को नष्ट करने तथा उसके सुरक्षित भंडारण के लिए हमें तीन प्रक्रियाओं-‘कमी’ (Reduce), ‘पुनः प्रयोग’ (Re-use) तथा ‘पुनर्चक्रण’ (Re-cycle) को अपनाने की आवश्यकता होती है। इन्हीं चुनौतियों एवं समस्याओं के मद्देनजर 7-9 सितंबर, 2015 को ‘एंटवर्प शहर’ (बेल्जियम) में UNEP द्वारा ‘वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन दृष्टिकोण’ रिपोर्ट जारी किया गया है।
  • 7-9 सितंबर, 2015 को ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP) और ‘अंतर्राष्ट्रीय ठोस अपशिष्ट संघ’ (ISWA) द्वारा ‘वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन दृष्टिकोण’ (Global Waste Management Outlook) रिपोर्ट जारी किया गया। इस रिपोर्ट का उद्देश्य कचरा प्रबंधन पर जागरूकता पैदा करना है।
  • यह रिपोर्ट UNEP के ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण तकनीकी केंद्र’ (IETC) और ISWA द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है।
  • यह रिपोर्ट 7-9 सितंबर, 2015 तक एंटवर्प (बेल्जियम) में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय ठोस अपशिष्ट संघ’ (ISWA) को वर्ल्ड कांग्रेस, 2015 में जारी की गई।
  • वैश्विक आधार पर ‘कचरा प्रबंधन’ के लिए यह प्रथम रिपोर्ट है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक और पर्यावरण के लिए एक प्रमुख समस्या बन गया है।
  • वैश्विक रूप से प्रति वर्ष 7 से 10 बिलियन टन शहरी अपशिष्ट का उत्पादन होता है।
  • विश्वभर में 3 अरब के लगभग व्यक्ति नियंत्रित अपशिष्ट निपटान की सुविधा से वंचित हैं।
  • वर्ष 2030 तक निम्न आय वाले अफ्रीकी और एशियाई शहरों में बढ़ती जनसंख्या नगरीकरण और बढ़ते उपभोग के कारण अपशिष्ट उत्पादन दो गुना हो जाने की संभावना है।
  • वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष कुल नगरपालिका ठोस अपशिष्ट लगभग दो बिलियन टन है।
  • प्रत्येक देश के अंदर एवं विश्व के विभिन्न देशों के मध्य अपशिष्ट उत्पादन में भिन्नता है।
  • उच्च आय वाले देशों में नगरपालिकीय ठोस अपशिष्ट उत्पादन दर स्थिर होना प्रारंभ हो गया है।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि होने से प्रति व्यक्ति ठोस अपशिष्ट उत्पादन तेज होने का अनुमान है।
  • विश्व के उच्च आय वाले क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि, शहरों की ओर पलायन और अर्थव्यवस्था के विकास के कारण अपशिष्ट उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 2010 में परंपरागत उच्च आय वाले देशों में संपूर्ण अपशिष्ट का आधा उत्पादन होता था।
  • वर्ष 2030 में एशिया समग्र नगरपालिकीय अपशिष्ट उत्पादन के मामले में उच्च आय वाले देशों को पीछे छोड़ देगा।
  • इस सदी में अफ्रीका, समग्र नगरपालिकीय अपशिष्ट उत्पादन के संदर्भ में एशिया और उच्च आय वाले देशों को पीछे छोड़ देगा।
  • निम्न आय वाले देशों में समग्र नगरपालिकीय ठोस अपशिष्ट में कार्बनिक अंश की मात्रा (50 से 70 प्रतिशत) उच्च आय वाले देशों (20 से 40 प्रतिशत) की तुलना में अधिक है।
  • नगरपालिका ठोस अपशिष्ट संग्रह को संपूर्ण शहरी आबादी तक विस्तार करना एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता है।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राथमिकता अनियंत्रित निपटान को खत्म करना है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में प्रमुख डंपिंग स्थलों में से एक बन गया है।
  • विश्व के 50 प्रमुख डंपिंग स्थलों में से 3 डंपिंग स्थल भारत में स्थित हैं। [सर्वाधिक नाइजीरिया 6, पेरू 5 । ]
  • भारत में नगरपालिकीय ठोस अपशिष्ट के प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में संपूर्ण विश्व द्वारा किए गए कुल निवेश का 5 प्रतिशत निवेश किया गया है।

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