28 October 2015

भारत के लिए कारोबार सुगमता सूची में शीर्ष 100 में शामिल होना असंभव नहीं'

भारत के लिए अगले साल कारोबार सुगमता की सूची में शीर्ष 100 देशों में शामिल होना असंभव नहीं है। यह बात वर्ल्ड बैंक के एक शीर्ष अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कही। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकारों के शीर्ष आर्थिक सलाहकार रहे बसु ने माना कि मोदी सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में जो सुधार लाए हैं, वे एक साल में ही अपना रंग दिखाने लगे । उन्होंने लघु और मध्यम आकार की कंपनियों की नौकरशाही संबंधित लागत कम करने में दिख रही रुचि को लेकर भी मोदी सरकार की तारीफ की।

वर्ल्ड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशिक ने कहा कि भारत यदि नियोजित आर्थिक सुधार बरकरार रखता है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नौकरशाही संबंधी लागत कम करता है तो देश के लिए अगले साल 100 शीर्ष कारोबार सुगमता वाले देशों में शामिल होना असंभव नहीं है। बसु ने कहा, 'अब तक जो बदलाव हुए हैं, उन्हें बढ़ाया जा सके और थोड़ा मजबूत किया जा सके तो भारत के लिए अगले साल इस सूची में शामिल होना असंभव नहीं है।' 


बसु ने मंगलवार को जारी वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा, 'कुछ ऐसे देश हैं जो एक ही बार में 30-40 पायदान ऊपर आ गए हैं लेकिन आम तौर पर ये छोटे देश हैं। भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए यह मुश्किल है लेकिन अब तक जो हमने देखा है उसके लिहाज से असंभव नहीं है।' इस साल भारत 12 पायदान चढ़कर 142वें स्थान से 130वें स्थान पर आ गया। बसु ने इसे भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि बताया जो सुधार के पहले साल में ही हासिल हुआ। 

उन्होंने कहा, 'आम तौर पर हम अन्य देशों में देखते हैं कि जब सुधार शुरू होता है तो पहले साल में गतिविधियां नरम होती हैं फिर दूसरे और तीसरे साल में तेज गतिविधि नजर आती हैं। भारत में पहले साल में ही तेज गतिविधि नजर आई है। इसलिए उम्मीद बहुत बढ़ जाती है।' बहरहाल, उन्हें लगता है कि अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। उन्होंने कहा, 'भारत में लघु एवं मध्यम आकार की कंपनियों के लिए कारोबार सुगम बनाने के लिए नौकशाही से जुड़ी लागत कम करने में गंभीर रुचि दिखती है। बहरहाल, यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह बस शुरुआत है। अभी लंबा सफर तय करना है।' बसु ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तीन ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत को सुधार और पहलों की जरूरत है। 

उन्होंने कहा, 'पहले भारत को ट्रांजैक्शन कॉस्ट कम करने और नौकरशाही से जुड़ी बाधाएं कम करने की जरूरत है जो व्यक्तियों तथा लघु उपक्रमों के आड़े आती हैं।' उन्होंने कहा, 'दूसरे भारत को बेहतर बुनियादी ढांचे - सड़क, रेलवे, बंदरगाह - की जरूरत है। बुनियादी ढांचा निवेश में सुधार होता रहा है लेकिन गतिविधि बरकरार रखने की जरूरत है। और, तीसरी चीज है समावेशीकरण। भारत विविधीकृत समाज है और आपको ऐसी नीतियां चाहिए कि सभी समूहों को लगे कि वे पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है, समाज के अंग हैं। इसमें वंचितों के लिए स्वास्थ्य और शैक्षणिक मदद भी शामिल हैं।' 

बसु ने कहा, 'समावेशीकरण अर्थशास्त्र से इतर चीज है लेकिन यदि ठीक तरीके से किया जाए तो अर्थव्यवस्था को इससे बहुत लाभ हो सकता है।' आर्थिक सुधार के संबंध में बसु ने कहा कि कई बड़े सुधार होने हैं। उन्होंने इनमें से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सबसे बड़ा सुधार कार्यक्रम बताया। उन्होंने कहा, 'यदि इसे अगले साल तक लागू किया जाता है तो इससे बहुत फर्क पड़ेगा। यह शुरुआत में बिल्कुल सटीक नहीं होगा लेकिन आने वाले दिनों में इसमें संशोधन और सुधार संभव होना चाहिए।' 

बसु ने कहा, 'एक और बड़ी साधारण सी बात है। भारत में मालवाहक ट्रक एक शहर से दूसरे शहर जाता है तो औसतन 60 प्रतिशत समय वह रुका होता है और ज्यादातर समय चेक पोस्ट, कागजी काम और कर एवं शुल्क अदा करने में लगता है।' उन्होंने कहा, 'जीएसटी लागू होने पर भारत में एक नियम होगा जिससे कोई चेकपोस्ट आड़े नहीं आएगा। सभी शुल्क या तो आरंभ बिंदु या गंतव्य पर अदा किए जाएंगे।' उन्होंने कहा कि आर्थिक नीति तैयार करने के लिए बहुत से कुशल पेशेवर लोगों की जरूरत है और सौभाग्य से भारत सरकार में कुछ कमाल 
पेशेवर हैं और यदि दो लोगों का नाम लिया जाए तो वे रघुराम राजन और अरविंद सुब्रमण्यम हैं।

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