संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास लक्ष्यों पर सहमति
सतत विकास की अवधारणा का प्रारंभ
वर्ष 1962 में वैज्ञानिक रॉकल कारसन की पुस्तक ‘दी साइलेंट स्प्रिंग’ तथा
वर्ष 1968 में जीव विज्ञानी पॉल इरलिच की पुस्तक ‘पॉपुलेशन बम’ से हुआ।
लेकिन इस शब्द का वास्तविक रूप से विकास वर्ष 1987 में ‘ब्रुटलैंड आयोग’ की
रिपोर्ट ‘हमारा साझा भविष्य’ (Our Common Future) के प्रकाशन के साथ हुआ।
‘सतत विकास’ संसाधनों का उपयोग करने का एक आदर्श मॉडल है जो यह बताता है कि
आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण को भी सुरक्षित करना है। इसका उद्देश्य
है-वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित
रखते हुए इस प्रकार प्रयोग करना ताकि प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम क्षरण
हो।
4 अगस्त, 2015 को संयुक्त राष्ट्र में महत्त्वाकांक्षी ‘सतत विकास लक्ष्य’ (Sustainable Development Goals-SDGs) प्रस्तुत किया गया, जिसमें ‘सतत विकास एवं युवा रोजगार’ पर विशेष बल दिया गया है। ‘सतत विकास लक्ष्य’ जो वर्ष 2016-30 तक के लिए लक्ष्यित किया गया है, पहले से लागू ‘सहस्राब्दि विकास लक्ष्य’ (Millenium Development Goals-MDGs) का स्थान लेगा। 4 अगस्त, 2015 को सतत विकास लक्ष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने सहमति बनाते हुए कहा कि आगामी 25-27 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की होने वाली उच्चस्तरीय पूर्ण बैठक में इसे स्वीकार किया जाएगा। ‘सतत विकास लक्ष्य’ में 17 मुख्य विकास लक्ष्यों तथा 169 सहायक लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए P5 (People, Planet, Peace, Prosperous तथा Partnership पर विशेष बल दिया गया है।
25-27 सितंबर, 2015 को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित शिखर बैठक में पूर्व निर्धारित घोषणा के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 देशों द्वारा ‘सतत विकास लक्ष्य’ (एजेंडा-2030) को स्वीकार कर लिया गया।
4 अगस्त, 2015 को संयुक्त राष्ट्र में महत्त्वाकांक्षी ‘सतत विकास लक्ष्य’ (Sustainable Development Goals-SDGs) प्रस्तुत किया गया, जिसमें ‘सतत विकास एवं युवा रोजगार’ पर विशेष बल दिया गया है। ‘सतत विकास लक्ष्य’ जो वर्ष 2016-30 तक के लिए लक्ष्यित किया गया है, पहले से लागू ‘सहस्राब्दि विकास लक्ष्य’ (Millenium Development Goals-MDGs) का स्थान लेगा। 4 अगस्त, 2015 को सतत विकास लक्ष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने सहमति बनाते हुए कहा कि आगामी 25-27 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की होने वाली उच्चस्तरीय पूर्ण बैठक में इसे स्वीकार किया जाएगा। ‘सतत विकास लक्ष्य’ में 17 मुख्य विकास लक्ष्यों तथा 169 सहायक लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए P5 (People, Planet, Peace, Prosperous तथा Partnership पर विशेष बल दिया गया है।
25-27 सितंबर, 2015 को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित शिखर बैठक में पूर्व निर्धारित घोषणा के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 देशों द्वारा ‘सतत विकास लक्ष्य’ (एजेंडा-2030) को स्वीकार कर लिया गया।
- 25-27 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र का ‘सतत विकास सम्मेलन’ न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया जिसमें 150 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लेते हुए एजेंडा- 2030 को औपचारिक तौर पर अंगीकृत कर लिया।
- ‘सतत विकास लक्ष्य’ को नाम दिया गया है-‘हमारी दुनिया का रूपांतरण : सतत विकास के लिए 2030 का एजेंडा’ (Transforming Our World : The 2030 Agenda for Sustainable Development)।
- ‘सतत विकास लक्ष्य’- एजेंडा-2030, 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी होगा।
- ‘सतत विकास लक्ष्य’ को वर्ष 2016-30 तक के लिए लक्ष्यित किया गया है। इसे ‘2015 पश्चात विकास एजेंडा’ भी कहा गया है।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव ‘बान की-मून’ के अनुसार, ‘एजेंडा -2030’ समृद्धि को साझा करने वाला, सशक्तीकरण के साथ शांति सुनिश्चित करने वाला तथा भावी पीढ़ियों को स्वस्थ बनाने वाला है।
- पोप फ्रांसिस ने ‘सतत विकास लक्ष्य को ‘मिडिल ईस्ट’ तथा अफ्रीका के लिए ‘आशा का एक महत्त्वपूर्ण संकेत’ (An Important Sign of Hope) कहा है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें सत्र के अध्यक्ष ‘मोगेन्स लाइकेटॉफ’ (Mogens Lykketoft) के अनुसार, ‘एजेंडा -2030’ दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं-गरीबी तथा असमानता के उन्मूलन एवं पृथ्वी ग्रह के संरक्षण के लिए हितकर होगा।
- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।
- 4 अगस्त, 2015 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘सतत विकास लक्ष्य’ (SDGs) को प्राप्त करने के लिए निर्धारित बिंदु निम्नवत हैं-
गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति - वर्ष 2030 तक गरीबी के सभी स्तरों में 50 प्रतिशत तक कमी लाना।
- लगभग 836 मिलियन लोग अभी भी गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
- विकासशील देशों में 5 में से 1 व्यक्ति प्रति दिन 1.25 डॉलर से भी कम आय में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण तथा टिकाऊ कृषि को बढ़ावा - वर्ष 2030 तक कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करते हुए कृषि उत्पादकता एवं लघु स्तर पर खाद्य उत्पादकों की आय को दो गुना करना, विशेष रूप से महिलाओं, घरेलू लोगों, किसानों, मछुआरों आदि के आय को बढ़ाना।
- वर्ष 2020 तक बीजों की आनुवांशिक विविधता को बनाए रखना।
- वर्ष 2030 तक सतत खाद्य उत्पादन प्रणाली
को सुनिश्चित करना और लचीली कृषि पद्धतियों को लागू करना ताकि उत्पादकता और
उत्पादन में वृद्धि हो।
सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना - वर्ष 2030 तक वैश्विक मातृत्व मृत्यु दर को प्रति 100,000 जीवित जन्म पर 70 से कम करना।
- वर्ष 2030 तक नवजात तथा 5 वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की मृत्यु रोकना जिन्हें बचाया जाना संभव है।
- वर्ष 2030 तक नवजात बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्म पर 12 तक करना तथा 5 वर्ष तक के बच्चों में यह दर 25 प्रति हजार तक करना है।
- वर्ष 2030 तक एड्स, तपेदिक, मलेरिया आदि का उन्मूलन तथा हेपेटाइटिस व जलजन्य, संक्रामक रोगों पर काबू पाना।
- वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली वैश्विक मौतों को आधा करना।
- वर्ष 2030 तक पोर्न एवं पुनर्जनन, स्वास्थ्य सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच।
- वर्ष 2030 तक यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज।
- वर्ष 2030 तक खतरनाक रसायनों, हवा, मिट्टी, पानी आदि के प्रदूषण से होने वाली बीमारियों एवं मौतों की संख्या को कम करना।
समावेशी और न्याय संगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना - वर्ष 2030 तक सभी लड़कों एवं लड़कियों को निःशुल्क, समान व गुणवत्तापरक प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करना।
लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही सभी महिलाओं एवं लड़कियों का सशक्तीकरण - वर्ष 2030 तक महिलाओं के खिलाफ, भेदभाव, हिंसा तथा तस्करी की समाप्ति।
बाल विवाह, भ्रूण हत्या, बलात विवाह इत्यादि की पूर्ण समाप्ति।
सभी के लिए स्वच्छता एवं जल के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना - वर्ष 2030 तक सुरक्षित व वहनीय पेयजल की पहुंच सुनिश्चित करना।
- वर्ष 2030 तक खुले में शौच की प्रवृत्ति की समाप्ति।
- वर्ष 2030 तक ऊर्जा दक्षता में सुधार की वैश्विक दर को दो गुना करना।
सभी के लिए सतत, समावेशी, सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार तथा मर्यादित कार्य को बढ़ावा देना - अल्पविकसित देशों में कम से कम 7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करना।
- वर्ष 2025 तक बाल श्रम के सभी रूपों की समाप्ति।
- वर्ष 2020 तक युवा रोजगार के लिए वैश्विक रणनीति का विकास।
- लचीले बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगिकरण तथा नवाचार को बढ़ावा देना।
- देश के भीतर तथा विभिन्न देशों के बीच असमानता में कमी।
- शहरों एवं मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित एवं सहनशील तथा सतत बनाना।
- स्थायी उपभोग और उत्पादन प्रणाली को सुनिश्चित करना।
- जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना।
- महासागर, समुद्र तथा सागरीय संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग करना।
- वर्ष 2025 तक सभी प्रकार के समुद्री प्रदूषण को कम करना।
- सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
- सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और
समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी,
जवाबदेही बनाना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके।
सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना। - ‘सहस्राब्दि विकास लक्ष्य’ (MDGs) वर्ष 2000 में प्रस्तुत किया गया था जिसका लक्ष्यित वर्ष 2001-2015 है।
- ‘सतत विकास लक्ष्य’ (SDGs) में ‘सहस्राब्दि विकास लक्ष्य’ के 8 बिंदुओं को भी शामिल किया गया है
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