23 October 2015

सीरिया पर रूसी बमबारी

सीरिया पर रूसी बमबारी

जैस्मिन क्रांति से उभरे जन-विद्रोह ने अफ्रीका एवं एशिया के कई तानाशाहों को अपदस्थ कर लोकतांत्रिक सत्ता की स्थापना की है। पश्चिम एशिया जो पहले से ही वैश्विक शक्तियों की क्रीड़ास्थली रही है इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। पश्चिम एशियाई देश सीरिया में भी अरब बसंत से प्रेरित नागरिकों ने बशर अल-असद के अधिनायकवादी शासन के खिलाफ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई, अभिव्यक्ति की आजादी का हनन आदि मुद्दों को लेकर सशस्त्र विद्रोह कर दिया है। विदेशी शक्तियों द्वारा पोषित यह विद्रोह आज गृहयुद्ध में बदल चुका है। सीरिया में असद की सेना को विभिन्न मोर्चों पर ISIS (Islamic State of Iraq and Syria), कुर्दों तथा फ्री सीरियन आर्मी (इसमें सेना के विद्रोही सैनिक हैं) जैसे अनेक विद्रोही संगठनों से लड़ना पड़ रहा है। ज्ञातव्य है कि सीरिया के अनेक हिस्सों पर विद्रोहियों का नियंत्रण स्थापित हो चुका है।
सीरिया के गृहयुद्ध ने अब तक अत्यधिक मानवीय क्षति की है लाखों लोग मारे जा चुके हैं जबकि लगभग 60 प्रतिशत आबादी (सकल आबादी 18 मिलियन) को विस्थापित होना पड़ा है। विस्थापितों में लगभग 4 मिलियन लोग देश के बाहर शरणार्थी जीवन व्यतीत करने को बाध्य हैं। इससे विश्व के अन्य देशों विशेषकर यूरोप में शरणार्थी समस्या उत्पन्न हो गई है।
ISIS के अमानवीय कृत्यों, नागरिकों के पलायन तथा बशर अल-असद के घटते प्रभाव के आलोक में असद समर्थक रूस ने सीरिया के मामलों में हस्तक्षेप करते हुए ISIS एवं विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमला शुरू किया है। रूस द्वारा किए गए इन हमलों पर वैश्विक समुदाय द्वारा अनेक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। इनका विश्लेषण बिंदुवार निम्नलिखित हैं-
  • सीरिया, पश्चिम एशियाई देश है जो उत्तर में तुर्की, पूर्व में इराक, दक्षिण में जार्डन, दक्षिण- पश्चिम में इस्राइल एवं लेबनान तथा पश्चिम में भूमध्य सागर से घिरा हुआ है।
  • यहां वर्ष 2011 से राष्ट्रपति बशर अल-असद के अधिनायकवादी शासन के खिलाफ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई, अभिव्यक्ति की आजादी, कुर्दों का दमन आदि मुद्दों को लेकर व्यापक जन-विद्रोह (सशस्त्र विद्रोह) चल रहा है।
  • सीरिया का मुद्दा आंतरिक न रहकर अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों का क्रीड़ास्थल बन गया है। रूस, ईरान, इराक, लेबनान जैसे देश असद को सत्ता में बने रहने हेतु वित्तीय, सैन्य एवं कूटनीतिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
  • दूसरी ओर सं.रा. अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, कुवैत आदि असद को व्यापक नरसंहार का दोषी मानते हुए इनके अपदस्थीकरण हेतु विद्रोहियों को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि अगस्त, 2013 में विद्रोहियों पर रासायनिक हमले (सरीन गैस) के आरोप में विश्व समुदाय ने असद की कड़ी निंदा की थी।
  • विगत वर्षों में सीरिया में ISIS के बढ़ते प्रभाव को गंभीर वैश्विक समस्या के रूप में देखा जा रहा है।
  • सीरिया में मानवता की रक्षा एवं स्थिति पर नियंत्रण हेतु रूस ने विद्रोहियों के ठिकानों पर सितंबर, 2015 के अंत से हवाई हमले शुरू कर दिए हैं।
  • हवाई हमले हेतु रूस द्वारा सीरिया के प्रमुख बंदरगाह शहर लटाकिया में अस्थायी एयर बेस बनाया गया है जबकि मिसाइल हमले हेतु कैस्पियन सागर में स्थित युद्धपोत का प्रयोग किया जा रहा है।
    विरोध का बिंदु
  • सं.रा. अमेरिका सहित असद विरोधी खेमे के देश रूसी हमले की निंदा इस आधार पर कर रहे हैं कि यह लोकतंत्र की स्थापना में बाधा पहुंचा रहा है।
  • उनका कहना है कि रूस ISIS के बजाय सीरिया विद्रोहियों पर अधिक हमले कर रहा है जो लोकतंत्र के लिए लड़ रहे हैं।
  • रूस का यह कदम असद को लाभ पहुंचाने वाला है न कि आतंकवाद के खिलाफ।
  • इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और जटिल होगी।
    रूसी हित
  • सीरिया में हस्तक्षेप से (हवाई हमले से) रूस के अनेक अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक हित सधते हैं।
  • सीरिया में शांति स्थापना के साथ-साथ बशर अल-असद की सहायता करना।
  • आतंकी गठबंधनों को तोड़ना तथा विश्व शांति की स्थापना करना। ज्ञातव्य है कि रूस को प्रभावित करने वाले चेचन्याई आतंकियों का ISIS से जुड़ाव/गठबंधन है।
  • पश्चिम एवं मध्य एशिया में रूसी प्रभाव की पुनर्वापसी करना।
    सं.रा. अमेरिका की एंटी-आई.एस. (Anti-IS) रणनीति
  • ISIS को वैश्विक समस्या मानते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका ने चार सूत्रीय रणनीति बनाई है।
  • ISIS जहां कहीं भी हो (सीरिया सहित) पर चरणबद्ध हवाई अभियान/हमला,
  • उन संगठनों को (असद को छोड़कर) जो ISIS से लड़ रहे हैं, मदद पहुंचाना,
  • ISIS की वित्त आपूर्ति शृंखला को तोड़ना,
  • प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

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