हिंदी की आधुनिक पीढ़ी के रचनाकार केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 के लिए देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. वह यह पुरस्कार पाने वाले हिंदी के 10वें लेखक हैं.
सीताकांत महापात्रा की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई चयन समिति की बैठक में हिंदी के जाने-माने कवि केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 का 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने का निर्णय किया गया. केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले हिंदी के 10वें रचनाकार है.
इससे पहले हिंदी साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर सुमित्रनंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार मिल चुका है. पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम के लेखक जी शंकर कुरूप (1965) को प्रदान किया गया था.
केदार सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के ग्राम चकिया में वर्ष 1934 में हुआ था. उनकी प्रमुख कृतियों में ‘अभी बिल्कुल अभी’, ‘जमीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’, ‘अकाल में सारस’, ‘बाघ’, ‘सृष्टि पर पहरा’, ‘मेरे समय के शब्द’, ‘कल्पना और छायावाद’ और ‘तालस्ताय और साइकिल’ आदि शामिल हैं.
उन्हें इससे पहले मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य, अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान मिल पुका है. केदारनाथ सिंह की कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं. इन्होंने कविता पाठ के लिए दुनिया के अनेक देशों की यात्राएं की हैं.
पुरस्कार के रूप में केदारनाथ सिंह को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी.
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