20 November 2014

कानूनी सेवा और जागरूकता प्रदान करने में राष्‍ट्रीय वैधानिक प्राधिकरण सेवा (नाल्‍सा) की भूमिका

दीपक एक युवक है जो कुल्‍लू में एक स्‍थानीय रेस्‍टोरेंट में बरतन धोने का काम करता है। उसकी आंखों की रोशनी चली गई है। आंखों की जांच के बाद उसे पता चला कि उसकी दृष्टि लौट सकती है, किन्‍तु इसमें हजारों रुपये लग सकते हैं। मण्‍डी जिले के तालीहाद पंचायत के एक अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी मनीष को उसके बारे में पता चला। मनीष ने बताया कि उसे मुख्‍यमंत्री कोष से वित्‍तीय सहायता मिल सकती है। उसने आवेदन तैयार करने में उसकी मदद की। आवेदन को मुख्‍यमंत्री कार्यालय में भेज दिया गया, जहां से उसे सकारात्‍मक ऊत्‍तर मिला। अब दीपक को 40 हज़ार रुपये मिलेंगे जिससे वह अगले माह पीजीआई, चण्‍डीगढ़ में अपना ऑपरेशन कराएगा।
बाजोत गांव के कुछ बच्‍चे स्‍कूल नहीं जा सकते, क्‍योंकि उन्‍हें एक निजी भूमि से होकर जाने की अनुम‍ति नहीं दी गई थी जो एक वरिष्‍ठ माध्‍यमिक विद्यालय तक जाने में उनके रास्‍ते में आती थी। मनीष ने इस मुददे का समाधान निकाला और बच्‍चे फिर से स्‍कूल जाने लगे हैं। एक अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी की सहायता मिलने के कारण दिपक ने 120 से अधिक मामले का समाधान निकालने अथवा मदद करने का संकल्‍प लिया है, जिसमें विभिन्‍न कल्‍याण योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को शिक्षित करना और अपने अधिकार के तहत लाभ का दावा करने के लिए आवेदन तैयार करने में उनकी मदद करना तथा विवादों का निपटारा करने में मदद करना शामिल है। राज्‍यों में हजारों अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी हैं, जो अपने अधिकारों, हकों से वंचित ग्रामीणों और विवाद में फंसे लोगों की मदद करते हैं।
वर्ष 2009 में राष्‍ट्रीय वैधानिक सेवा प्राधिकरण (नाल्‍सा) ने अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी योजना तैयार की। इसका उद्देश्‍य जीवन के विभिन्‍न क्षेत्रों के चुनिन्‍दा स्‍वयंसेवियों को वैधानिक प्रशिक्षण प्रदान करना था ताकि इस प्रकार की वैधानिक सेवा संस्‍थाओं तक लोगों के पहुंचने के बजाय लोगों के दरवाजे तक वैधानिक सेवा पहुंचाई जा सके।
अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी, गांव के आम लोगों की बीपीएल कार्ड प्राप्‍त करने, महात्‍मा गांधी नरेगा योजना के अधीन जॉब  कार्ड प्राप्‍त करने, प्रार्थना-पत्र तैयार करके खोये हुए राशन कार्ड आदि बनवाने, आवेदन तैयार करने जैसी समस्‍याओं का समाधान करने में मदद करते हैं। ये मेड़ों, अथवा वृक्ष की शाखाओं के अधिक लटकने, पानी अथवा सिंचाई नहर आदि से जुड़े साधारण विवादों की स्थिति में भी ग्रामीणों की सहायता करते हैं। एक प्रशिक्षित अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी समस्‍याओं के समाधान करने में ग्रामीणों की सहायता कर सकते हैं। आवश्‍यकता पडने पर पेशेवर पैनलबद्ध वकील की सहायता ली जा सकती है। ये अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी जहां काम करते हैं, उसे वैधानिक सहायता क्‍लीनिकों के नाम से जाना जाता है।
प्रत्‍येक वैधानिक स‍हायता क्‍लीनिक में कम-से-कम दो अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी उपलब्‍ध होना चाहिए। वैधानिक सेवा संस्‍था की ओर से वैधानिक सहायता क्‍लीनिकों में प्रशिक्षित अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवी को तैनात किया जा सकता है।
ऐसे क्‍लीनिकों में तैनात अर्द्ध-वैधानिक स्‍वयंसेवियों का काम प्रार्थना-पत्र, आवेदन, दलीलें और अन्‍य वैधानिक दस्‍तावेज तैयार करने में वकीलों की सहायता करना भी है। निकटवर्ती वैधानिक सेवा संस्‍था अपने क्षेत्राधिकार में स्थित वैधानिक सहायता क्‍लीनिक में अपने पैनल के वकीलों अथवा फीस देकर वकीलों को भी तैनात कर सकती है।
नाल्‍सा का अंतिम उद्देश्‍य यह है कि दूरस्‍थ गांव में रहने वाले लोग भी अपने वैधानिक अधिकारों और विभिन्‍न सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित न रहें।


नाल्‍सा/राज्‍य प्राधिकरण/जिला प्राधिकरण द्वारा उपलब्‍ध मुफ्त वैधानिक सेवाएं :-
 मुफ्त वैधानिक सेवाओं के लिए अधिकृत व्‍यक्तियों में शामिल हैं :-
महिलाएं और बच्‍चे, जो;
1.      अजा/जजा के सदस्‍य
2.      औद्योगिक श्रमिक
3.      व्‍यापक आपदा, हिंसा, बाढ, सूखा, भूकम्‍प, औद्योगिक आपदा पीडित  
4.      विकलांग व्‍यक्ति
5.      हिरासत में व्‍यक्ति
6.      एक निर्धारित राशि तक वार्षिक आय पाने वाला व्‍यक्ति।

उपल्‍ब्‍ध सेवाएं:-
1.      न्‍यायलय शुल्‍क, प्रक्रिया शुल्‍क और किसी वैधानिक प्रक्रिया से जुड़े सभी अन्‍य शुल्‍क का भुगतान
2.      वैधानिक प्रक्रिया में अधिवक्‍ता उपलब्‍ध कराना
3.      वैधानिक प्रक्रियाओं के आदेशों और अन्‍य कागजातों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्‍त करना और आपूर्ति करना

4.      न्यायिक प्रक्रिया में अपील की तैयारी, पत्र-किताब जिसमें छपाई और दस्तावेजों का अनुवाद शामिल है।
नि:शुल्क  कानूनी सेवाएं यहां से प्राप्त की जा सकती हैं-
5.      सर्वोच्च न्यायालय मामलों के लिए सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति, 109, अधिवक्ता परिसंघ, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली।
6.      राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण।
7.      उच्च न्यायालय के मामलों के लिए प्रत्येक उच्च न्यायालय परिसर में स्थित उच्च न्यायालय कानूनी समिति।
राष्ट्रीय वैधानिक सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) द्वारा ट्रांसजेंड़र (किन्नर) लोगों को कानूनी सेवा देने के लिए नई योजना शुरू की गयी।
इससे पहले इसी साल नाल्सा द्वारा सर्वोच्च न्यायलय में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए किन्नर समुदाय को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गयी थी।
सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि हमारे संविधान और संसद तथा राज्य विधानसभा द्वारा बनाये गये कानूनों के तहत इस समुदाय के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए तीसरे लिंग के रूप में व्यवहार किया जाना चाहिए। न्यायपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि उन्हें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जातियों की तरह सुविधांए दी जाएं और शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।

विभिन्न न्यायालयों में लंबित लाखों मामलों के चलते लोक अदालत कई मामलों को निपटाने में सहायता दे रहा हैं। देश के सभी जिलों में लंबित मामलों और साथ ही साथ अदालत में पहुंचने से पहले ही विवादों के निपटारे के लिए नाल्सा स्थायी तौर पर प्रचलित लोक अदालतों के गठन की जिम्मेदारी निभा रहा है।
(ब) वैधानिक प्राधिकरण और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में लंबित मामलों और साथ ही साथ अदालत में पहुंचने से पहले ही विवादों के निपटारे हेतु सरकारी विभागों के लिए पृथक स्थायी और प्रचलित लोक अदालतों का गठन।
(डी) देश के सभी मजिस्ट्रेट न्यायालयों में कानूनी सहायता परामर्शदाता की नियुक्ति।

कानूनी सहायता योजनाओं के बारे में अभी भी जानकारी का अभाव है और इसलिए नाल्सा कानूनी अज्ञानता दूर करने और कानूनी जागरूकता अभियानों को चलाने पर जोर दे रहा है। नाल्सा कानूनी साक्षरता और कानूनी जागरूकता अभियानों को चलाने के लिए गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमाणन के लिए भी जिम्मेदार है।
नाल्सा के मुताबिक सभी राज्य वैधानिक सेवा प्राधिकरण देश के पिछडे औऱ दूर-दराज इलाकों में कानूनी जागरूकता अभियानों को चलाने के लिए उपयुक्त और विश्वसनीय गैर-सरकारी संगठन(एनजीओ) की पहचान कर रही है। जरूरतमंद लोगों को वैधानिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान किये जाने के उद्देश्य के लोगों को इन योजनाओं की जानकारी प्रदान करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है।
राज्य और जिला स्तर पर आयोजित मेलों में भी नाल्सा की मुफ्त कानूनी सहायता की जानकारी मोबाइल वैन के माध्यम से दी जा रही है।
शिक्षा विभाग की सहायता से सभी राज्यों में नियोजित तरीके से स्कूलों और कॉलेजों में कानूनी जानकारी कार्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं।
      युवा पीढ़ी के बीच कानून का पालन और कानूनी नियमों के मनोविज्ञान की जानकारी और कानूनी जागरूकता बढाने के लिए राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण की देख-रेख में सभी उच्च माध्यमिक शिक्षा विद्यालयों में स्कूल लीगल लिटरेसी क्लब बनाये जा रहे हैं।
      लोग नि:शुल्क प्रदान की जाने वाली कानूनी सहायताओं से तभी लाभान्वित हो सकेंगे जब अधिक से अधिक लोगों को योजनाओं की जानकारी होगी।

No comments:

Post a Comment

Featured post

UKPCS2012 FINAL RESULT SAMVEG IAS DEHRADUN

    Heartfelt congratulations to all my dear student .this was outstanding performance .this was possible due to ...