ध्वनि : अत्याधुनिक निशानेबाजी प्रशिक्षण प्रणाली
- ‘वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (CSIR : Council of Scientific and Industrial Research) से संबद्ध बंगलुरू स्थित ‘राष्ट्रीय वांतरिक्ष प्रयोगशालाएं’(NAL : National Aerospace Laboratories) ने एक अत्याधुनिक ‘निशानेबाजी प्रशिक्षण प्रणाली’(Marksmanship Training System) का विकास किया है।
- इस प्रणाली को ‘ध्वनि’ (DHVANI : Detection and Hit Visualization using Acoustic N-wave Identification) नाम दिया गया है।
- इस प्रणाली की मदद से ‘गोली’ (Bullet) के संघात के स्थान का पूर्ण परिशुद्धता के साथ पता लगाकर निशानेबाजी कौशल में निपुणता हासिल की जा सकती है।
- इस प्रणाली की खास बात यह है कि इससे निशानेबाजी के परिणामों से संबंधित सारी सूचनाएं ‘रियल टाइम’ (Real-time) में प्राप्त हो सकेंगी।
- गोली दागे जाने के बाद इस प्रणाली द्वारा आधे मिलीसेकंड से भी कम समय में निशानेबाजी के परिणाम निशानेबाज के सम्मुख प्रस्तुत किए जा सकेंगे।
- हाल ही में इस प्रणाली को मान्यता प्रदान कर इसे भारतीय थल सेना में तैनात करने हेतु स्वीकृति प्रदान की गई।
- 3 जुलाई, 2014 को सिकंदराबाद में इस प्रणाली को भारतीय थल-सेना को सौंप दिया गया।
केपलर- 10सी की खोज
- 2 जून, 2014 को अमेरिका स्थित ‘हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स’ के खगोलविदों ने पृथ्वी ग्रह से 17 गुना बड़े ग्रह ‘केपलर-10 सी’ की खोज की घोषणा की।
- नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप के माध्यम से इस ग्रह संबंधी आंकड़े प्राप्त किए गए और केपलर-10 सी ग्रह का पता चला।
- यह ग्रह पृथ्वी से 17 गुना बड़ा और वजन में दुगुना है।
- यह ‘ड्रैको तारामंडल’ (Constellation Draco) में स्थित है।
- केपलर-10 सी ग्रह की पृथ्वी से दूरी 560 प्रकाश वर्ष है। यह अपने सूर्य की परिक्रमा 45 दिनों में पूरा कर लेता है।
- चट्टानी बहुलता वाला केपलर-10 सी ग्रह 11 बिलियन वर्ष पुराना है।
पेपर : भावनाओं को पढ़ने में सक्षम रोबोट
- सॉफ्टबैंक नामक जापानी कंपनी ने 5 जून, 2014 को एक ऐसे रोबोट का प्रदर्शन किया जो कंपनी के अनुसार पहला ऐसा रोबोट है जो मानवीय भावनाओं को समझ कर मनुष्य के साथ भावनात्मक स्तर पर अंतःक्रिया कर सकता है।
- कंपनी द्वारा इस 4 फुट लंबे और 62 पाउंड वजन वाले ह्यूमनायड रोबोट का नाम पेपर (Pepper) रखा गया है।
- इस रोबोट में चेहरा पहचानने की तकनीक के साथ ही कई कैमरे, ऑडियो रिकॉर्डर और सेंसर लगे हैं जिनकी सहायता से यह पहले से तय प्रोग्राम के आधार पर काम करने वाले अन्य रोबोटों की बजाय समय के साथ-साथ व्यवहार करने के तरीकों को सीखता है।
- जनवरी, 2015 से जापान में इस रोबोट की बिक्री की कंपनी की योजना है और इसका संभावित मूल्य लगभग 1,900 डॉलर है।
- उल्लेखनीय है कि मानव के समान दिखने वाले रोबोटों को ह्यूमनायड (Humanoid) कहते हैं।
SODएंजाइम
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पालमपुर स्थित हिमालय जैवसंपदा संस्थान (IHBT : Institute of Himalyan Bioresource Technology) द्वारासुपरऑक्साइड डिस्म्यूटेज़ (SOD : Super Oxide Dismutase) नामक एक ऐसे एंजाइम की खोज की गई है जो उम्र वृद्धि के प्रभाव को प्रदर्शित होने से रोकने वाली (Anti-aging) टीम विकसित करने हेतु प्रयुक्त हो सकता है।
- इसके अलावा इस एंजाइम को खाद्य उद्योग में फलों और सब्जियों के भंडारण और उपयोग होने तक की अवधि (Shelf Life) को बढ़ाने हेतु भी प्रयोग किया जा सकता है।
- आईएचबीटी द्वारा इस अद्वितीय एंजाइम की खोज पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर किए गए एक सर्वेक्षण में की गई है और इसे बर्फीले क्षेत्र में उगने वाले पोटेंटिला स्ट्रोसांगुनिया (Potentila strosangunia) नामक पौधे से प्राप्त किया गया है।
- इस एसओडी की विशेषता इसका स्थायित्व और शून्य से नीचे से लेकर 40oC तापमान तक कार्य करने में सक्षम होना है।
- इसके उच्च एंटीऑक्सिडेंट वाले गुणों और बहुविध प्रयोग के कारण विश्व बाज़ार में इसकी भारी मांग और ऊंचा मूल्य है।
- आईएचबीटी द्वारा एसओडी एंजाइम के उत्पादन हेतु तकनीकी हस्तांतरण से संबंधित एक एमओयूकोलकाता की फाइटो बायोटेक कंपनी के साथ मई, 2014 में हस्ताक्षरित किया गया।
जीवन के 28वें रासायनिक तत्व की खोज
- 5 जून, 2014 को सेल जर्नल (Cell Journal) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सभी जीवों में ऊतकों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले28वें रासायनिक तत्व की खोज की।
- यह 28वां रासायनिक तत्व ‘ब्रोमीन’(Bromine) है। इसके पहले 27 रासायनिक तत्वों को ही मानव जीवन के लिए अपरिहार्य माना गया था।
- शोधकर्ताओं के अनुसार ब्रह्मांड में प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले 92 रासायनिक तत्वों में से एक ब्रोमीन जीवन के लिए अनिवार्य है।
- यह तत्व समुद्री जीवों से लेकर मनुष्य तक, सभी में ऊतकों के विकास के लिए आवश्यक है।
- उल्लेखनीय है कि इस खोज से किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में मदद मिलने की उम्मीद है।
- खोजकर्ताओं के समूह में प्रोफेसर बिली हडसन, डॉ. मेककॉल के अतिरिक्त एक भारतीय वैज्ञानिक गौतम भावे भी शामिल थे।
- शोधकर्ताओं के परीक्षण में देखा गया कि यदि मक्खियों में से ब्रोमीन को निकाल लिया जाए तो वे मर जाती हैं और यदि उन्हें तुरंत वापस ब्रोमीन से युक्त किया जाए तो वह जी उठती हैं।
- प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मेककॉल के अनुसार ब्रोमीन उन मरीजों के लिए वरदान है जो डायलिसिस या पूरी तरह टीपीएन (Total Parenteral Nutrition) आहार पर ही रहते हैं।
इंडआर्क : अधस्तलीय सामुद्रिक मूर्ड वेधशाला
- 23 जुलाई, 2014 को भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र – राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (CSSO-NCAOR) और (INCOIS)राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (ESSO-NIOT) के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा इंडआर्क (IndARC) नाम की भारत की पहली मल्टी-सेंसर वाली लंगर से बंधी(Moored) अधस्तलीय (Subsurface) वेधशाला को आर्कटिक क्षेत्र में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
- इंडआर्क की स्थापना आर्कटिक के कोंग्स्फ्योर्डेन (Kongsfjorden) नामक फ्योर्ड (Fjord) में की गई है जो नार्वे और उत्तरी ध्रुव के लगभग बीच में स्थित है।
- इस वेधशाला को नार्वेजियन पोलर इंस्टीट्यूट के पोत आर.वी. लान्स के माध्यम से स्थापित किया गया और यह उत्तरी ध्रुव से लगभग 1100 किमी. की दूरी पर 192 मीटर की गहराई पर स्थापित की गई है।
- इस वेधशाला में जलस्तंभ की गहराई के अनुसार अत्याधुनिक समुद्र वैज्ञानिक सेंसर लगे हैं जो समुद्री जल के तापमान, लवणता, धारा और फ्योर्ड के अन्य महत्त्वपूर्ण मानदंडों के वास्तविक आंकड़े उपलब्ध कराते हैं।
कैप्सिस्प्रे
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन(DRDO) की तेज़पुर (असम) स्थित रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला (DRL) द्वारा कैप्सिस्प्रे (Capsispray) नामक एक मिर्च युक्त स्प्रे का विकास किया गया है।
- यह व्यक्तिगत सुरक्षा और आत्मरक्षा हेतु तैयार किया गया मिर्च स्प्रे है जो घातक (Lethal) नहीं है और पर्यावरण-अनुकूल भी है।
- कैप्सिस्प्रे में प्रयुक्त रसायन ओलियोरेसिन कैप्सिकम (Oleoresin Capsicum) असम और उत्तर-पूर्व में उगायी जाने वाली मिर्च की विश्व की सर्वाधिक तीखी प्रजाति भूत जोलोकिया (Capsicum Assamicum) से निकाला गया है।
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