विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ रही दुनिया में राष्ट्रों के मानव संसाधन उनकी रीढ़ हैं। ऐसे में प्रत्येक राष्ट्र अपने ‘मानव संसाधन’ के संपोषणीय एवं सृजनात्मक विकास के लिए प्रयासरत रहता है लेकिन प्रायः यह देखा जाता है कि राष्ट्र ‘विकास’ का एकआयामी दृष्टिकोण अपनाते हुए केवल ‘भौतिक एवं आर्थिक विकास’ पर जोर देते हैं, विकास के अन्य पहलू प्रायः पीछे छूट जाते हैं। विकास के अन्य पहलुओं पर विश्व के राष्ट्रों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’(UNDP-United Nations Development Programme) द्वारा वर्ष 1990 से लगातार वार्षिक आधार पर ‘मानव विकास रिपोर्ट’(HDR-Human Development Report) का प्रकाशन किया जाता है जिसमें विभिन्न राष्ट्रों द्वारा विकास के विभिन्न मानकों के सापेक्ष किए गए प्रयासों का एक वैश्विक विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है। UNDP का यह मानना है कि मानवीय विकास का वास्तविक आकलन प्रायः ‘सकल घरेलू उत्पाद’(GDP) या ‘प्रति व्यक्ति आय’(PCI) जैसे पारंपरिक मापकों से नहीं हो पाता इसलिए UNDP द्वारा मानव विकास के आधारभूत पहलुओं जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, आय आदि के सूचकांकों के औसत के द्वारा विभिन्न देशों का ‘मानव विकास सूचकांक’(HDI-Human Development Index) प्राप्त किया जाता है जिसे ‘मानव विकास रिपोर्ट’ शीर्षक के तहत प्रकाशित किया जाता है। मानव विकास सूचकांक की अवधारणा का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री ‘महबूब उल हक’ तथा ‘नोबेल पुरस्कार विजेता’ भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अर्थशास्त्री ‘अमर्त्य सेन’ ने किया था। मानव विकास रिपोर्ट के पहले संस्करण का प्रकाशन वर्ष 1990 में इन्हीं दोनों अर्थशास्त्रियों की मदद से किया गया था।
- ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ द्वारा 24 जुलाई, 2014 को जापान की राजधानी ‘टोक्यो’ में ‘मानव विकास रिपोर्ट’, 2014 जारी की गई।
- ध्यातव्य है कि HDR संपादकीय रूप से UNDP से स्वतंत्र प्रकाशन है।
- वर्ष 2007 तथा 2008 की ‘मानव विकास रिपोर्ट’ को संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया था तथा वर्ष 2012 में ‘मानव विकास रिपोर्ट’ का प्रकाशन नहीं किया गया था।
- वर्ष 2010 से HDR में मानव विकास को मापने के संदर्भ में नवीन प्रक्रिया अपनाई गई थी तथा व्यापक परिवर्तन किए गए थे।
- प्रथमतः, साक्षरता और आय पर इनके संकेतकों को नया रूप देते हुए ‘सकल नामांकन दर’ एवं ‘वयस्क साक्षरता दर’ को क्रमशः ‘स्कूल अवधि के अनुमानित वर्ष’ (Expected Years of Schooling) एवं ‘स्कूल अवधि के औसत वर्ष’(Mean Years of Schooling) से प्रतिस्थापित किया गया तथा ‘सकल घरेलू उत्पाद’(GDP) को ‘सकल राष्ट्रीय आय’(GNI) से प्रतिस्थापित किया गया जिसमें अंतर्राष्ट्रीय आय प्रवाहों को भी शामिल किया गया।
- द्वितीयतः HDR-2010 में तीन नए पैमाने भी प्रस्तुत किए गए थे-
(i) ‘बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’(The Multidimensional Poverty Index)
(ii)‘लैंगिक असमानता सूचकांक’(The Gender Inequality Index)
(iii) ‘असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक’(The Inequality-adjusted Human Development Index)
(ii)‘लैंगिक असमानता सूचकांक’(The Gender Inequality Index)
(iii) ‘असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक’(The Inequality-adjusted Human Development Index)
- नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट-2014 में मानव विकास सूचकांक के साथ-साथ निम्नलिखित संकेतकों पर सूचकांक (उपर्युक्त तीन पैमानों को शामिल करते हुए) जारी किया गया है।
- ‘लैंगिक विकास सूचकांक’ (Gender Development Index)
- ‘स्वास्थ्य : शिशु एवं युवा’ (Health : Children and Youth)
- ‘वयस्क स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य व्यय’ (Adult Health and Health Expenditure)
- ‘शिक्षा’ (Education)
- ‘संसाधनों का आवंटन एवं नियंत्रण’ (Com-mand Over and Allocation of Resources)
- ‘सामाजिक सामर्थ्य’ (Social Competencies)
- ‘व्यक्तिगत असुरक्षा’ (Personal Insecurity)
- ‘अंतर्राष्ट्रीय समन्वय’ (International Integration)
- Ü’पर्यावरण’ (Environment)
- ‘जनसंख्या प्रवृत्ति’ (Population Trends)
- ‘पूरक संकेतक : सुख का अनुभव’ (Supplementary Indicators : Perceptions of Well-being).
HDR-2014 के प्रमुख बिंदु
- HDR-2014 का शीर्षक है-‘‘सतत मानव प्रगति : सुभेद्यता का न्यूनीकरण और लचीलेपन का निर्माण’’(Sustaining Human Progress : Reducing Vulnerabilities and Building Resilience)।
- मानव विकास रिपोर्ट-2014 में वैश्विक मानव विकास की प्रवृत्ति में सकारात्मक बदलावों को चिह्नित किया गया है तथा रिपोर्ट के अनुसार, विश्व लगातार प्रगति कर रहा है फिर भी प्राकृतिक व मानवीय प्रेरक आपदाओं व संकटों के चलते लोग मर रहे हैं तथा लोगों की आजीविका खत्म हो रही है।
- वर्ष 2014 की HDR में 187 देशों को वर्ष 2013 में उनके ‘मानव विकास सूचकांक’(HDI) की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की गई है। वर्ष 2013 की HDR में भी 187 देशों को रैंकिंग प्रदान की गई थी।
- HDR-2014 में 0.944 मानव विकास सूचकांक (HDI) मूल्य के साथ नॉर्वे मानव विकास रैंकिंग में प्रथम स्थान पर है जबकि द्वितीय एवं तृतीय स्थान क्रमशः ऑस्ट्रेलिया (HDI मूल्य-0.933) एवंस्विट्जरलैंड (HDI मूल्य-0.917) को प्राप्त हुआ है।
- शीर्ष 10 में स्थान प्राप्त करने वाले अन्य देश क्रमशः (रैंक 4 से 10) हैं-नीदरलैंड्स, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, न्यूजीलैंड, कनाडा, सिंगापुर, डेनमार्क।
- इस वर्ष मानव विकास रैंकिंग में सबसे निचले स्थान (187वें) पर नाइजर है जिसका मानव विकास सूचकांक (HDI) मूल्य मात्र 0.337 है।
- इस सूची में निचले स्थान के सभी दस देश उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र के हैं।
- इस सूची में निचले क्रम के दस देश क्रमशः हैं-नाइजर (187वां स्थान), कांगो प्रजातांत्रिक गणराज्य (186वां स्थान), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (185वां स्थान), चाड (184वां स्थान), सियरा लियोन (183वां स्थान), इरीट्रिया (182वां स्थान), बुर्किना फासो (181वां स्थान), बुरुंडी (180वां स्थान), गिनी (179वां स्थान) एवं मोजाम्बिक (178वां स्थान)।
- मानव विकास रिपोर्ट-2014 में शामिल 187 देशों को उनके HDI मूल्य के आधार पर निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया गया है-
- (i) 0.808 और उससे अधिक – अत्यधिक उच्च मानव विकास वाले देश।
- (ii)0.700 से 0.790 तक – उच्च मानव विकास वाले देश।
- (iii) 0.556 से 0.698 तक – मध्यम मानव विकास वाले देश।
- (iv) 0.540 से कम – निम्न मानव विकास वाले देश।
- HDR-2014 के मानव विकास सूचकांक (HDI) की रैंकिंग तालिका में 1 से 49 äम संख्या तक के देश ‘अत्यधिक उच्च मानव विकास श्रेणी’ में, 50 से 102 äम संख्या तक के देश ‘उच्च मानव विकास की श्रेणी’ में, 103 से 144 äम संख्या तक के देश ‘मध्यम मानव विकास श्रेणी’ में तथा 145 से 187 äम संख्या तक के देश ‘निम्न मानव विकास श्रेणी’ में हैं।
- HDR-2014 में भारत 0.586 HDI मूल्य के साथ 187 देशों में 135वें स्थान पर है अर्थात यह ‘मध्यम मानव विकास’ वाले देशों की श्रेणी में वर्गीकृत है।
- उल्लेखनीय है कि HDR-2010 में 169 देशों में से भारत का स्थान 119वां तथा HDR-2011 में 187 देशों में से भारत का स्थान 134वां था।
- भारत का HDI मूल्य (नए संकेतकों के तहत) वर्ष 1980 में 0.369 था जो वर्ष 2000 में बढ़कर 0.483, वर्ष 2010 में 0.570 तथा वर्ष 2011 में 0.581 हो गया था।
- भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका (0.750 HDI मूल्य के साथ 73वां स्थान), चीन (0.719 HDI मूल्य के साथ 91वां स्थान) तथा मालदीव (0.698 HDI मूल्य के साथ 103वां स्थान) की स्थिति भारत से बेहतर है।
- भूटान (0.584 HDI मूल्य के साथ 136वां स्थान), बांग्लादेश (0.558 HDI मूल्य के साथ 142वां स्थान), नेपाल (0.540 HDI मूल्य के साथ 145वां स्थान), पाकिस्तान (0.537 HDI मूल्य के साथ 146वां स्थान), म्यांमार (0.524 HDI मूल्य के साथ 150वां स्थान) तथा अफगानिस्तान (0.468 HDI मूल्य के साथ 169वां स्थान) की स्थिति इस संदर्भ में भारत से पीछे है।
- विश्व के अन्य प्रमुख देशों में यूनाइटेड किंगडम (0.892 HDI मूल्य के साथ 14वां स्थान), रूस (0.778 HDI मूल्य के साथ 57वां स्थान), ब्राजील (0.744 HDI मूल्य के साथ 79वां स्थान) तथा दक्षिण अफ्रीका (0.658 HDI मूल्य के साथ 118वां स्थान) की स्थिति भारत से बेहतर है।
- क्षेत्रीय रूप से उच्चतम मानव विकास सूचकांक (HDI) मूल्य लैटिन अमेरिका तथा कैरिबियन देशों का 0.740 है तथा सबसे कम क्षेत्रीय HDI मूल्य उप-सहारा अफ्रीका का 0.502 है।
- यूरोप एवं मध्य एशिया का HDI मूल्य 0.738 है।
- दक्षिण एशिया का HDI मूल्य 0.588 है।
- अरब राष्ट्रों, यूरोप व मध्य एशिया में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय(GNI) में गिरावट दर्ज हुई है।
- HDR-2014 के अनुसार, वर्ष 1980 से 1990 के मध्य भारत का मानव विकास सूचकांक (HDI) मूल्य 1.58 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ा जबकि 1990 से 2000 की अवधि में यह वृद्धि दर 1.15 प्रतिशत तथा 2000 से 2013 की अवधि में यह वृद्धि दर 1.49 प्रतिशत थी।
- HDR-2014 के अनुसार, भारत संबंधी अन्य प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं-
- भारत में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय मात्र 3.9 प्रतिशत (2011 में) है।
- भारत में 5 वर्ष से कम आयु की बाल मृत्यु दर (प्रति 1000 जीवित जन्मों पर) 56 (वर्ष 2012 में) है।
- जन्म पर जीवन प्रत्याशा 66.4 वर्ष है।
- शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय जीडीपी का मात्र 3.3 प्रतिशत (2005-2012 की अवधि में) है।
- मातृत्व मृत्यु दर (प्रति 1 लाख जीवित जनसंख्या पर) 200 (वर्ष 2010 में) है।
- संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10.9 प्रतिशत (वर्ष 2013 में) है।
- बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 0.282 है तथा बहुआयामी निर्धनता प्रतिशत 55.3 है। वर्ष 2010 में बहुआयामी निर्धनता प्रतिशत 53.7 था।
- ‘सकल प्रजनन दर’ (TFR-Total Fertility Rate) 2.5 प्रतिशत (2010 से 2015 के मध्य) है।
असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (IHDI)
- ‘असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक’ (IHDI-Inequality adjusted HDI) का सर्वप्रथम प्रकाशन वर्ष 2010 HDR में किया गया था। यह असमान समाज में लोगों के विकास स्तर को मापता है। पूर्ण समान समाज की स्थिति में HDI और IHDI के मान बराबर होंगे जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आय के विभिन्न आयामों में असमानता की स्थिति में समाज के निचले स्तर के व्यक्तियों का HDI औसत HDI से कम होगा। IHDI के HDI से कम होने की स्थिति में समाज में अधिक असमानता व्याप्त होगी। IHDI हेतु आय, शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं के मापन के लिए ब्रिटिश अर्थशास्त्री एंथनी बार्नेस एटकिंसन (Anthony Barnes Atkinson) द्वारा विकसित प्रविधि का प्रयोग किया जाता है। HDR-2014 में 145 देशों का IHDI प्रस्तुत किया गया है (जबकि HDR-2013 में केवल 132 देशों का IHDI प्रस्तुत किया गया था) जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
- असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक की रैंकिंग में प्रारंभिक पांच स्थान पर क्रमशः नॉर्वे, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड्स एवं संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
- असमानता के कारण HDI में औसत कमी 22.9 प्रतिशत है अर्थात असमानता को समायोजित करने पर वैश्विक HDI 0.702 से गिरकर 0.541 रह जाता है, जो इसे ‘उच्च मानव विकास’ से ‘निम्न मानव विकास’ की श्रेणी में ला देता है।
- भारत का IHDI मूल्य मात्र 0.418 है जो HDI की तुलना में 28.6 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। यह भारत को ‘मध्यम मानव विकास’ वाले देशों की श्रेणी से ‘निम्न मानव विकास’ वाले देशों की श्रेणी में ला देता है।
- असमानता के कारण HDI में आई औसत कमी विभिन्न देशों में 5.5 प्रतिशत (फिनलैंड) से लेकर 44.3 प्रतिशत (सियरा लियोन) तक विस्तृत है।
लैंगिक असमानता सूचकांक (GII)
- HDR-2010 में ‘लैंगिक असमानता सूचकांक’ (GII-Gender Inequality Index) भी प्रस्तुत किया गया था जो मानव विकास के विभिन्न आयामों के संदर्भ में महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता का मापन करता है। वर्ष 2014 में यह सूचकांक 152 देशों के लिए प्रस्तुत किया गया है (जबकि वर्ष 2013-HDR में यह 148 देशों के लिए प्रस्तुत किया गया था) जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
- सर्वाधिक लैंगिक समानता वाले देशों में सर्वोच्च स्थान स्लोवेनिया का है तथा उसके बाद क्रमशः स्विट्जरलैंड, जर्मनी, स्वीडन एवं डेनमार्क आते हैं।
- मानव विकास के अधिक असमान वितरण वाले देशों में महिलाओं एवं पुरुषों के बीच असमानता भी अधिक है। ऐसे देशों में सर्वाधिक खराब स्थिति यमन (152वां स्थान), चाड (151वां स्थान), अफगानिस्तान (150वां स्थान), नाइजर (149वां स्थान) एवं माली (148वां स्थान) की है।
- भारत का लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) मूल्य 0.563 है तथा 152 देशों में भारत का 127वां स्थान है।
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