संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तत्वावधान में ‘वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय हेतु पक्षकारों का सम्मेलन’ (CMS COP : Conference of the Parties to the Convention on the Conservation of Migratory Species of Wild Animals) एक पर्यावरण संधि है। यह प्रवासी जीवों एवं उनके आवासों के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के लिए वैश्विक मंच उपलब्ध कराता है। हाल ही में ‘सीएमएस सीओपी’ के 12वें सत्र का आयोजन मनीला, फिलीपींस में किया गया।
23-28 अक्टूबर, 2017 के मध्य मनीला, फिलीपींस में ‘वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय हेतु पक्षकारों का सम्मेलन का 12वां सत्र’ (CMS COP12) आयोजित किया गया।
यह पहला अवसर है जब सीएमएस सीओपी का आयोजन एशिया में किया गया।
सम्मेलन का नारा (Slogan) था ‘उनका भविष्य हमारा भविष्य है-वन्यजीव और लोगों के लिए पोषणीय विकास’ (Their Future is Our Future-Sustainable Development for Wildlife and People)।
सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप एवं ओशिनिया (Oceania) से 24 देशों के 34 प्रजातियों के संरक्षण प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई।
सम्मेलन में 91 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
सीएमएस सीओपी के 13वें सत्र का आयोजन वर्ष 2020 में भारत में किया जाएगा।
सम्मेलन में चार एशियाई गिद्ध प्रजातियों लाल-मुखी गिद्ध (Red-Headed Vulture), सफेद-पूंछ गिद्ध (White-Rumped Vulture), भारतीय गिद्ध और पतली चोंच वाले गिद्ध (Slender-Billed Vulture) -को उच्चतम संरक्षण सूची में शामिल किया गया।
उपर्युक्त गिद्ध प्रजातियां विषाक्तता, शिकार, बिजली के तारों के साथ टकराव और निवास स्थान में गिरावट जैसे खतरों का सामना कर रही हैं।
भारत समेत 121 देशों के समुद्री क्षेत्रों में पाई जाने वाली व्हेल शार्क (Whale Shark) को भी संरक्षण सूची में शामिल किया गया।
सम्मेलन में ब्लू शार्क (Blue Shark) और गिटारफिश (Guitarfish) के संरक्षण के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया।
आसियान (Asean) क्षेत्र के भीतर संरक्षित क्षेत्र नेटवर्कों के विकास और प्रबंधन के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
मध्य एशिया की दो दुर्लभ प्रजातियों-प्रजेवाल्सकी के घोड़े (Przewalski’s Horse) और गोबी भालू (Gobi Bear)- के संरक्षण हेतु मंगोलिया के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
सम्मेलन में कैस्पियन सील (Caspian Seal) के संरक्षण की स्वीकृति प्रदान की गई।
उल्लेखनीय है कि कैस्पियन सील विश्व के सबसे बड़े अंतःस्थलीय (Inland) समुद्र कैस्पियन सागर में पाया जाने वाला एकमात्र समुद्री स्तनपायी है।
सम्मेलन में शेर, चिंपैंजी, जिराफ एवं तेंदुए की प्रजातियों को अतिरिक्त संरक्षण सूची से बाहर कर दिया गया।
सम्मेलन में चिंकारा (Indian Gazelle) के अतिरिक्त संरक्षण के प्रस्ताव को वापस ले लिया गया।
यह पहला अवसर है जब सीएमएस सीओपी का आयोजन एशिया में किया गया।
सम्मेलन का नारा (Slogan) था ‘उनका भविष्य हमारा भविष्य है-वन्यजीव और लोगों के लिए पोषणीय विकास’ (Their Future is Our Future-Sustainable Development for Wildlife and People)।
सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप एवं ओशिनिया (Oceania) से 24 देशों के 34 प्रजातियों के संरक्षण प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई।
सम्मेलन में 91 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
सीएमएस सीओपी के 13वें सत्र का आयोजन वर्ष 2020 में भारत में किया जाएगा।
सम्मेलन में चार एशियाई गिद्ध प्रजातियों लाल-मुखी गिद्ध (Red-Headed Vulture), सफेद-पूंछ गिद्ध (White-Rumped Vulture), भारतीय गिद्ध और पतली चोंच वाले गिद्ध (Slender-Billed Vulture) -को उच्चतम संरक्षण सूची में शामिल किया गया।
उपर्युक्त गिद्ध प्रजातियां विषाक्तता, शिकार, बिजली के तारों के साथ टकराव और निवास स्थान में गिरावट जैसे खतरों का सामना कर रही हैं।
भारत समेत 121 देशों के समुद्री क्षेत्रों में पाई जाने वाली व्हेल शार्क (Whale Shark) को भी संरक्षण सूची में शामिल किया गया।
सम्मेलन में ब्लू शार्क (Blue Shark) और गिटारफिश (Guitarfish) के संरक्षण के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया।
आसियान (Asean) क्षेत्र के भीतर संरक्षित क्षेत्र नेटवर्कों के विकास और प्रबंधन के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
मध्य एशिया की दो दुर्लभ प्रजातियों-प्रजेवाल्सकी के घोड़े (Przewalski’s Horse) और गोबी भालू (Gobi Bear)- के संरक्षण हेतु मंगोलिया के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
सम्मेलन में कैस्पियन सील (Caspian Seal) के संरक्षण की स्वीकृति प्रदान की गई।
उल्लेखनीय है कि कैस्पियन सील विश्व के सबसे बड़े अंतःस्थलीय (Inland) समुद्र कैस्पियन सागर में पाया जाने वाला एकमात्र समुद्री स्तनपायी है।
सम्मेलन में शेर, चिंपैंजी, जिराफ एवं तेंदुए की प्रजातियों को अतिरिक्त संरक्षण सूची से बाहर कर दिया गया।
सम्मेलन में चिंकारा (Indian Gazelle) के अतिरिक्त संरक्षण के प्रस्ताव को वापस ले लिया गया।
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