DBT से तीन साल में बचाए 57,029 करोड़
पिछली यूपीए सरकार की तरफ से शुरू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जरिये नरेंद्र मोदी सरकार को सब्सिडी मद में सबसे ज्यादा बचत हो रही है। मोदी सरकार ने आधार के इस्तेमाल और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के इस्तेमाल के जरिये इस योजना के 1 करोड़ फर्जी लाभार्थियों को हटाकर इसे और बेहतर बनाया है।
मोदी सरकार ने दावा किया है कि उसने पिछले वित्त वर्ष में कई योजनाओं में डीबीटी के जरिये सब्सिडी मद में तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये की बचत की। साथ ही, केंद्र सरकार ने 2014 से लेकर मार्च 2017 तक डीबीटी के जरिये कुल 57,029 करोड़ के बचत का आंकड़ा पेश किया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में लीकेज को रोककर बचत के मामले में यूपीए की तरफ से शुरू की गई स्कीम मनरेगा टॉप पर रही। इससे पहले के वर्षों में सरकार को एलपीजी पहल स्कीम से सबसे ज्यादा बचत हुई। सरकार का दावा है कि उसने 2016-17 में मनरेगा के लिए डीबीटी भुगतान से 8,741 करो़ड़ रुपये की बचत की, जबकि पहल के जरिये बचत की राशि 8,185 करोड़ रुपये रही। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि इसकी वजह मनरेगा खातों का रिकॉर्ड संख्या में आधार से लिंक कराया जाना है, जिससे एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड खत्म किए जा सके।
मनरेगा के तहत जॉब कार्ड्स की कुल संख्या 13 करोड़ थी, जो 2016-17 में घटकर अब 12 करोड़ हो गई है। सरकार ने अभियान चलाकर पिछले एक साल में इस स्कीम से जुड़ी गड़बड़ियों को खत्म किया है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, 'यह दिलचस्प है कि यूपीए की सब्सिडी स्कीम सरकार के लिए सबसे ज्यादा बचत ला रही है। हमने 85 फीसदी मनरेगा खातों को आधार से लिंक किया है।'
सरकार के मुताबिक, 2014 से अब तक मनरेगा के तहत कुल बचत अब 11,741 करोड़ रुपये है। मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से सबसे ज्यादा बचत पहल स्कीम के तहत एलपीजी सब्सिडी के डायरेक्ट ट्रांसफर के तहत हुई है, जिसे मोदी सरकार ने 2014 में लॉन्च किया था। सरकार का दावा है कि इस स्कीम के तहत अब तक कुल बचत 26,769 करोड़ रुपये है। कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) ने इन आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया बताया था, जिसके बाद सरकार के इन दावों को लेकर आलोचना भी हुई थी।
सरकार का दावा है कि वह एलपीजी सब्सिडी के 3.11 करोड़ फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने में सफल रही है, जिनकी इस बाबत सब्सिडी या तो ब्लॉकर कर दी गई या ऐसे कस्टमर इनऐक्टिव हो गए। हालांकि, कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा कि सरकार ने यह माना कि ऐसे हर कस्टमर सालाना 12 सब्सिडी वाले सिलेंडर लेते, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे सिलेंडर्स की प्रति व्यक्ति सालाना खपत महज 6 है। हालांकि, सरकार अपने दावे पर कायम रही।
No comments:
Post a Comment