28 December 2014

विज्ञान और तकनीक मंत्रालय की 2014 की प्रमुख उप‍लब्धियां


विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय द्वारा 2014 में पूर्ण किए गए महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम

विज्ञान और अभियांत्रिकी शोध परिषद् का पोर्टल लांच, (आर एंड डी) रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रस्‍ताव का आवेदन ऑन लाइन प्रारम्‍भ

पूर्व केन्‍द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी और पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री श्री एस. जयपाल रेड्डी ने विज्ञान एवं अभियांत्रिकी शोध बोर्ड (एसईआरबी) का एक अद्धितीय पोर्टल लांच किया था, जिसकी नींव 31 जनवरी, 2014 को रखी गई थी, यह विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के लिए ऑन लाइन आवेदन प्रक्रिया का शुभारंभ था, जिस पर वैज्ञानिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए अपने प्रस्‍ताव भेज सकते हैं। इस पोर्टल के कार्यशील होने से आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता, कार्यकुशलता और सेवा की गति तेज हुई है। इस पोर्टल का निर्माण सीडैक, नोएडा द्वारा किया गया था और यह सभी तरह के ऑपरेटिंग सिस्‍टम जैसे- डेस्‍कटॉप, टैबलेट्स और स्‍मार्ट फोन, विंडो, लाइनक्‍स, एंड्रोयड आईओएस आदि में आसानी से संचालित किया जा जकता है। यह डाटा और एकीकृत प्रणाली के लिए बहुत ही सुरक्षित पोर्टल है। यह सिस्‍टम प्रोजेक्‍ट अन्‍वेषणकर्त्‍ताओं, वरिष्‍ठ विश्‍लेषकों को तकनीकी समिति, वित्‍तीय अनुदान की मॉनिटारिंग आदि को अपने प्रस्‍तावों को ऑनलाइन जमा कराने की बेहतरीन सुविधा उपलब्‍ध कराता है और सभी तरह के कार्यों का प्रबंधन भी करता है। यह सिस्‍टम प्रस्‍तावों के नियत समय को दर्शाता है और स्‍वमेव सूचना प्रेषित करता है।  

डीबीटी द्वारा वित्‍त पोषण इंडो-डच प्रोजेक्‍ट जनसंख्‍या आधारित कोहार्ट अध्‍ययन संचालन जो अघात एवं ज्ञान आधारित सेवा का एम्‍स में द्धिपक्षीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत उद्घाटन

पूर्व केन्‍द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्री, एस.जयपाल रेड्डी और नीदरलैंड के स्‍वास्‍थ्‍य कल्‍याण और खेल मंत्री सुश्री इडे सीपर ने संयुक्‍त रूप से 30 जनवरी, 2014 को एक अद्वितीय कार्यक्रम को लांच किया था और जिसका संचालन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान, नई दिल्‍ली और मानेसर (हरियाणा) स्थित राष्‍ट्रीय मस्तिष्‍क शोध केंद्र में संचालित है। भारत सरकार के बायो-तकनीकी विभाग द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है।  
इस प्रोजेक्‍ट को लांच करते समय यह कहा गया था कि यह एक अद्वितीय प्रोजेक्‍ट है जो कि हार्ट अटैक की तरह मस्तिष्‍क अधात को भी रोकने में कारगर साबित होगा और यह भी आशा व्‍यक्‍त की गई थी कि ऐसे ही और प्रोजेक्‍ट भारत में शुरू किए जाएं। इंडो-डच समकौते का मुख्‍य उद्देश्‍य डच वैज्ञानिकों द्वारा संचालित किए जा रहें (रोस्‍टरडम अध्‍ययन) कार्यक्रमों और उसके अनुभवों का विस्‍तार भारत में किया जाए। हमारे वैज्ञानिकों को नीदरलैंड को भी जानने का मौका मिलेगा। इसके लिए एक दूसरे देशों में वैज्ञानिकों और अन्‍वेषणकर्ताओं का दौरा कराना भी शामिल है।

डा. मनमोहन सिंह ने किया जम्‍मू मे 101 वीं विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन

पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 3 फरवरी, 2014 को जम्‍मू में 101वीं विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया था। इस मौके पर अपने संबो‍धन में उन्‍होंने कहा था कि आज यह समय की मांग है कि आधुनिक विज्ञान समाज के प्रति अपना दायित्‍व निभाए और उसके आधारभुत आविष्‍कार भारतीय परिवेश के अनुसार हो जो उसे और सुविधा प्रदान कर सके। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया था कि विज्ञान की तरक्‍की भारतीय सभ्‍यता की मिसाल बने और हमारे युवाओं को बेहतर अवसर उपलब्‍ध कराए।

एपीजे अब्‍दुल कलाम ने 4 जनवरी, 2014 को बाल विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन
      भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम ने 4 फरवरी, 2014 को जम्‍मू में 101वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा था ‘विज्ञान और तकनीकी में नए आविस्‍कार समग्र विकास के लिए किया जाए।
सीएसआईआर ने क्‍लॉट स्‍टे्रपटोकिनेस विकसित करके मानवीय क्‍लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में प्रवेश किया
     क्‍लॉट स्‍टे्रपटोकिनेस संबंधित स्‍ट्रेपटोकिनेस जो कि बायो फार्मास्‍युटिकल थेरेपी प्रोटीन औषधि है, जिसका पेटेंट और लाइसेंस सीएसआईआर- इंस्‍टीच्‍यूट ऑफ माइक्रोबायल टेक्‍नोलॉजी (सीएसआईआर-ईएमटेक) चंडीगढ़ को प्राप्‍त हुआ है। यह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद का विधायी संस्‍थान है। जिसे ड्रग्‍स कंट्रोल जेनरल ऑफ इंडिया से दूसरे चरण के लिए मानवीय क्‍लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है। यह अनु‍मति हृदय अधात के रोगियों में तीक्षण मायोकार्डियल भंगता टूट से संबंधित शोध के लिए है। मैसर्स सिमेट्रिक बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्‍लीनिकल विकास किया जा रहा है जिसे एसएमआर एक्‍स-II के नाम से जाना जाता है।
इसकी घोषणा डीएसटी और डीएसआईआर के पूर्व सचित डा. टी. रामासामी द्वारा 13 जनवरी, 2014 को नई दिल्‍ली में की गई थी। डा. रामासामी ने नॉस्‍ट्रम फार्मास्‍युटिकल और ईएमटेक दोनों को धन्‍यवाद दिया था। उन्‍होंने कहा था, ‘यह विज्ञान को प्रयोगशाला से क्‍लीनिक तक ले जाने वाला एकाग्रचित प्रयास का अच्‍छा उदाहरण है। इस सफल उपलब्धि के उपरांत सीएसएस भारत में पहला संस्‍थान बन गया जहां पेटेन्‍ट बायोफार्मास्‍युटिक्‍स औषधि का विकास हुआ है। मैं इसके लिए डा. गिरीश साहनी और उनकी आईसीएसआर- एमटेक टीम को बधाई देता हॅू और डा. मुले को भी सीएसआईआर/ ईमटेक को उसकी उपलब्धि के लिए धन्‍यवाद देता हॅू।

बारहवीं योजना के तहत नैनो विज्ञान मिशन का विस्‍तार

कैबिनेट ने 20 फरवरी, 2014 को बारहवीं योजना के अंतर्गत नैनो विज्ञान और तकनीकी (नैनो मिशन) के दूसरे चरण के विस्‍तार की अनुमति दे दी। इस पर 650 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
नैनो तकनीक एक ज्ञान प्रोत्‍साहन आधारित विज्ञान है जो तकनीकी को और ज्‍यादा उदार बनाता है, इससे संपूर्ण देशभर के सुदूर क्षेत्रों तक राष्‍ट्रीय र्अ‍थव्‍यवस्‍‍था और विकास को पहुंचाया जा सकेगा।
इस मिशन कार्यक्रम के तहत देशभर के वैज्ञानिकों, संस्‍थानों और उद्योगों को शामिल किया गया है। इसके तहत नैनो विज्ञान प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, आधारभूत आविष्‍कार को बढ़ावा देना, मानव संसाधन का विकास करना, शोध के लिए आधारभूत ढ़ांचे का विकास कराना, अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग लेना, राष्‍ट्रीय स्‍तर पर संवाद स्‍थापित करना और नैनो एप्‍लीकेशन और तकनीक का विकास करना शामिल है।

राष्‍ट्रीय मिशन को मान्‍यता, जिसके तहत हिमालयी पारिस्थितिकी को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन को राष्‍ट्रीय कार्य योजना में शामिल करना

कैबिनेट ने 28 फरवरी, 2014 को राष्‍ट्रीय कार्य योजना के तहत हिमालयी पारिस्थितिकी को बरकरार रखने के लिए मिशन आलेख को पारित कर दिया था। यह मिशन राष्‍ट्रीय कार्य योजना के तहत जलवायु परिवर्तन को लेकर तैयार किया गया है जिसके लिए बारहवीं पंचवर्षीय योजना में 550 करोड़ रुपये की अनुमति दे दी गई थी। इस कार्य योजना का प्राथमिक उद्देश्‍य हिमालयी क्षेत्र की स्थिति को उसकी प्रकृति के अनुसार बरकार रखना और इस कार्य को एक निश्चित समय में पूर्ण करने की बात कही गई।

डा.के. विजय राघवन, सचिव डीबीटी को संयुक्‍त राष्‍ट्र राष्‍ट्रीय विज्ञान अकेडमी (यूएसएनएएस) में चयन होने पर सम्‍मानित किया गया
    तत्‍कलीन केन्‍द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्री श्री एस. जयपाल रेड्डी ने डीबीटी के सचिव डा. के. विजय राघवन का चयन संयुक्‍त राष्‍ट्र राष्‍ट्रीय विज्ञान अकेडमी (यूएसएनएएस) में चयन होने पर उन्‍हें 9 मई, 2014 को नई दिल्‍ली में सम्‍मानित किया।
बायो टेक्‍नोलॉजी विभाग, भारत सरकार के सचिव डा. के.विजय राघवन का चयन संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के राष्‍ट्रीय विज्ञान अकेडमी (यूएसएनएएस) में विदेशी, सहयोगी के रूप में इस माह के 4 तारीख को हुई थी। वह 2014 में चयनित 21 विदेशी सहायकों में से एक हैं। वह एनबीसीएस में विशिष्‍ठ प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे थे। इसके साथ ही वह भारतीय दल से चयनित होने वाले सहयोगियों में शामिल हो गए हैं। इसके पहले एनबीसीएस के निदेशक ओबेद सिद्दिकी, राष्‍ट्रीय शोध के प्रोफेसर और वर्तमान में भारत रत्‍न से सम्‍मानित प्रो सीएनआर राव, विकासवादी जीव विज्ञानी राधवेंद्र गडकर और माधव गाडगिल के साथ ही नक्षत्र विज्ञानी रोडम नरसिम्‍हा शामिल हैं।

सीएसआईआर- आईएचबीटी को अद्धितीय लाइसेंस थर्मो स्‍टेबल एसओडी एन्‍जाइम की खोज वैश्विक धाक जमी   

सीएसआईआर-आईएचबीटी (ईस्‍टीच्‍यूट ऑफ हिमालयन बायरिसोर्स टेक्‍नोलॉजी, पालमपुर ने 11 मई, 2014 को कोलकाता के फीइटो बायोटेक के साथ ज्ञापन समझौते पर हस्‍ताक्षर किए जिसमें एसओडी के निर्माण के लिए तकनीकी हस्‍तांतरण का समझौता किया गया है। इसका प्रयोग कॉस्‍मेटिक पदार्थों के निर्माण खाद्य एवं फार्मास्‍युटिकल उद्योगों में किया जाता है। इससे उम्र बढ़ने से रोकने वाली क्रीम बनाने में फलों- सब्जियों को ताजा रखने में प्रयोग किया जाता है। यह लाइसेंस सीएसआर्इआर और उद्योग दोनों को वैश्विक स्‍तर का एसओडी का व्‍यवसायिक उत्‍पादन करने का आधार प्रदान करता है।
इस एंजाइम की खोज सीएसआईआर- आईएचबीटी ने एक सर्वे के दौरान हिमालय क्षेत्र में 10,000 फीट की ऊंचाई पर की थी, यह पोटेंशियल शगुती एस्‍ट्रो पौबधा बर्फ के नीचे विकसित होता है। कई वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद इसमें से एसओडी जीन का पता चला। कुल मिलाकर कई सतत विकास प्रक्रिया से गुजारने के बाद इसके जीन की ई-क्‍लोनिंग हुई थी। इसके उपर्रान्‍त जो एन्‍जाइम प्राप्‍त हुआ वह बिल्‍कुल मौलिक था जिसके इस्‍तेमाल के बाद इस एन्‍जाइम से एकल एमीनो अम्‍ल की प्राप्ति हुई जो कि गर्मी रोकने में सहायक साबित हुआ। 

सीएसआईआर एवं आईएसमडी के बीच समझौता, घने कोहरे में भी विमानों की आवाजाही तकनीक को बढ़ाया

विमान पतनन के क्षेत्र में मील का पत्‍थर तब सामने आया जब सीएसआईआर राष्‍ट्रीय ऐरोस्‍पेस प्रयोगशाला और भारतीय मौसम विभाग के बीच स‍हमति पत्र पर हस्‍ताक्षर हुए और संयुक्‍त रूप से दृष्टि उपकरण को बनाया गया जिससे यह सुविधा मिली कि कम दृश्‍यता होने के बावजूद हवाई अडृडों पर विमानों को सुरक्षित उतरने और उड़ने की सुविधा मिल गई। यह सरकारी क्षेत्र के दो सेक्‍टरों की जुगलबंदी से नई तरकीब इजाद करने का नायाब उदाहरण के समान है जो कि कुछ विकसित देशों में ही देखने को मिलता है।
यह उत्‍कृष्‍ट उपलब्धि न केवल हमारे विदेशी मुद्रा को बचाने में कामयाब रहा बल्कि इससे विश्‍व में यह संदेश भी गया कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक विकास करने में सक्षम है।
22 मई, 2014 को डा. श्‍याम सेट्टी, निदेशक सीएसआईआर- नाल और डा.एल.एस. राठौर, महानिदेशक, भारतीय मौसम विभार के बीच एक समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए थे। इसमें मौसम विभाग के लिए उच्‍च कोटि के सेंसर के निर्माण का भी रास्‍ता साफ हुआ था। इस समझौंते के तहत दृष्टि उपकरण को विभिन्‍न हवाई अड्डों पर स्‍थापित करना था, जहां मौसम विभाग भी अपनी सेवा दे रहा है। एक अन्‍य वृहद प्रोजेक्‍ट के तहत दृष्टि को देश के विभिन्‍न 70 हवाई अड्डों पर दोनों संस्‍थानों द्वारा संयुक्‍त रूप से लगाया जाना है।

डा. जितेन्‍द्र सिंह विज्ञान एवं तकनीकी राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का कार्यभार संभाला

28 मई, 2014 को डा. जितेन्‍द्र सिंह ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्रालय में राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्यभार संभाला। इस अवसर पर उन्‍होंने अपने संबोधन में सीएसआईआर मुख्‍यालय, अनुसंधान भवन नई दिल्‍ली में कहा था कि सरकार ऐसी प्रोत्‍साहन नीति लाएगी जिससे युवाओं के सर्वांगीण विकास में विज्ञान की भूमिका बढ़ेगी।

युवा भारतीय अन्‍वेषकों/ औषधि‍ एवं भौतिक विज्ञानी छात्रों को नोबेल विजेताओं से मिलने लिनाडु, जर्मनी जाने का सुअवसर

तत्‍कालीन विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने 27 जून, 2014 को नई दिल्‍ली में भारतीय अन्‍वेषक दल के छात्रों को नोबेल विजेताओं के 64वें सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए रवाना किया। यह सम्‍मेलन 30 जून से 5 जुलाई, 2014 तक आयोजित हुआ था। इस अवसर पर डा. सिंह ने छात्रों/ अन्‍वेषकों को उनके चयन पर बधाई देते हुए कहा था कि यह एक बेहतरीन अवसर है, जिसका सदुपयोग वे अपने शोध को और प्रखर बनाने और इस क्षेत्र में अच्‍छी उपलब्धि के लिए कर सकते है।

सीएसआईआर ने स्‍वदेशी निशानेबाजी प्रशिक्षण तंत्र का विकास किया जिसे भारतीय सेना ने अपनाया

देसी तकनीक आधारित निशानेबाजी प्रशिक्षण तंत्र ‘ध्‍वनि’ का विकास सीएसआईआर- नाल, बेंगलुरू द्वारा किया गया। यह निशानेबाजी की अत्‍याधुनिक प्रशिक्षण प्रणाली है और निश्चित समय में प्रतिक्रिया देने में सक्षम तंत्र है। जिसे भारतीय सेना में प्रतिष्‍ठापित करने की मंजूरी मिल गई है। सैन्‍य क्षेत्र बेंगलुरू, सिकंद्राबाद और सैन्‍य स्‍कूल मऊ में कठिन परीक्षण के बाद औपचारिक रूप से ‘ध्‍वनि’ को 3 जुलाई, 2014 को भारतीय सेना को सिकंद्राबाद में सौप दिया गया है।

गेहूं का संतति ब्‍ल्‍यूप्रिंट अनावरण की 18 अंतिम प्रक्रिया जुलाई, 2014 को पूर्ण, जीनोम आवरण की घोषणा  
अंतर्राष्‍ट्रीय गेहूं जीनोम का अनुक्रमिका संघ (आईडब्‍ल्‍यूजीएससी) जिसमें प्रतिभागी के रूप में भारत भी शामिल है, अंतर्राष्‍ट्रीय जर्नल साइंस में रोटी गेहूं के जीनोम का विस्‍तृत आवरण अनुक्रमिका प्रकाशित हुई। 10 वर्ष पूर्व यह एक जटिल और कठिन कार्य था क्‍योकि गेहूं के जीन के बारे में समझना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल था। कारण यह था कि इसमें 17 हजार मिलियन विभिन्‍न प्रकार के स्‍तर थे जो उसके हरेक क्रोमोसोम से इतने मिलते जुलते थे कि इनमें अंतर करना आसान नहीं था। क्रोमोसोम आधारित ड्राफ्ट अनुक्रम की नई बनावट, तंत्र और उनका विकास, इसके विभिन्‍न विस्‍तृत रूप हैं। संसार में उत्‍पादित ज्‍यादातर गेहूं इसी श्रेणी में आते है। शोध कार्य में देश के तीन विख्‍यात संस्‍थान पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय लुधियाना, राष्‍ट्रीय पौध-जीव विज्ञान शोध केन्‍द्र, नई दिल्‍ली और साऊथ कैम्पस, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली को बायोटेक्‍नालोजी विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराई गई थी, ने मिलकर जिनोम की जटिल प्रक्रिया को सामने लाने में सफल रहे, जिसका नाम 2 दिया गया। इसमें 900 मिलियन स्‍तर हैं और यह मानव जीनोम की तुलना में  उसका एक तिहाई भाग है और चावल जीनोम की तुलना में ढ़ाई गुना बड़ा है।
यह ब्‍लू प्रिंट वैज्ञानिकों और अन्‍वेषकों के लिए अमूल्‍य धरोहर है जो अन्‍वेषकों को नए पौधें तेयार करनें में मदद दिलाएगी। 18 जुलाई, 2014 को डी.बी.टी. के सचिव डा. विजय राघवन ने उक्‍त बातें कही थी।

'एक्‍सपो 2014' विज्ञान प्रदर्शनी में विज्ञान एवं तकनीकी के वृहद विस्‍तार पर बल

तीन दिवसीय एक्‍सपो 2014 नामक एक बड़ी विज्ञान प्रदर्शनी प्रगति मैदान में आयोजित की गई थी जिसका उद्घाटन 26 जुलाई, 2014 को विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और प्रमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने किया था।

18 विज्ञान के छात्रों को जो अंतर्राष्‍ट्रीय एवं विज्ञान अभियांत्रिकी मेला- लॉस एंजेल, यूएसऐ में भाग लिए थे, सम्‍मानित किया गया

विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने 18 विज्ञान के छात्रों को जिन्‍होंने अंतर्राष्‍ट्रीय एवं विज्ञान अभियांत्रिकी मेला- लॉस एंजेल्‍स, यूएसए में भाग लिए थे, सम्‍मानित किया। यह कार्यक्रम नई दिल्‍ली में 31 जुलाई, 2014 को आयोजित हुआ था। भारत की इस टीम ने आईएसईएफ पुरस्‍कार 2014 जीता था।

डीबीटी के सहयोग से 'राष्‍ट्रीय केंसर संस्‍थान' झज्‍जर, हरियाण में स्‍‍थापित
   
विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने 2 सितम्‍बर, 2014 को बायो टेक्‍नोलॉजी के सहयोग से और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान नई दिल्‍ली के साथ एक समझौते के तहत झज्‍जर, हरियाणा में 'राष्‍ट्रीय कैंसर संस्‍थान' की स्‍थापना की औपचारिक घोषणा की।

'राष्‍ट्रीय कैंसर संस्‍थान' झज्‍जर, डीबीटी, भारत सरकार और एम्‍स के बीच सहमति समझौते पर हस्‍ताक्षर

भारत सरकार के बायो टेकनोलॉजी विभाग, भारत सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान नई दिल्‍ली, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय की एक स्‍वायतशासी संस्‍था है, के बीच झज्‍जर में 'राष्‍ट्रीय केंसर संस्‍थान' की स्‍थापना के लिए सहमति ज्ञापन पत्र पर 2 सितम्‍बर, 2014 हस्‍ताक्षर हुए। इसका उद्देश्‍य कैंसर की बीमारी को समय रहते इलाज करने और इसकी रोकथाम के लिए नए उपाय करने आदि शामिल हैं।

स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन और इंजेक्‍शन द्वारा दिए जाने वाला पोलियो वैक्‍सीन डीबीटी द्वारा विकसित, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के द्वारा औपचारिक रूप से घोषित

3 सितम्‍बर, 2014 को ताज पैलेस होटल नई दिल्‍ली में 11वें अंतर्राष्‍ट्रीय रोटावायरस सिमपोजियम को संबोधित करते हुए तत्‍कालीन विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि भारत में स्‍वदेशी रोटावायरस वैक्‍सीन और सूई के माध्‍यम से दिए जाने वाले पौलियों वैक्‍सीन का अविष्‍कार बायो टेकनोलॉजी विभाग के सहयोग से कर लिया गया है इसका नाम 116 ई है। रोटावायरस बच्‍चों में फैलता है तो इससे वे बीमार, उल्‍टी, दस्‍त और जोड़ों में दर्द जैसी शिकायतें होती है।    
मौना की, हवाई, यूएसए में भारत ने 30 मीटर टेलिस्‍कोप प्रोजेक्‍ट में हिस्‍सा लिया
     
24 सितम्‍बर, 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा कैबि‍नेट की अध्‍यक्षता करते हुए इस बात की मंजूरी दी गई थी कि भारत मौना की, हवाई, यूएसए में आयोजित 30 मीटर टेलिस्‍कोप प्रोजेक्‍ट में भागीदारी करेगा जिसके लिए 1299.8 करोड़ रुपयें 2014-23 के लिए मंजूर किए गए। इसमें यूएसए, कनाडा, चीन और भारत भाग लेगा।

शांति स्‍वरूप भटनागर पुरस्‍कार 2014 की घोषणा
     डा. परमवीर सिंह आहुजा, महानिदेशक आद्योगिक एवं वैज्ञानिक शोध परिषद् ने 26 सितम्‍बर, 2014 को प्रतिष्ठित शांति स्‍वरूप भटनागर पुरस्‍कार की घोषणा 2014 के लिए की। इसके तहत 10 वैज्ञानिकों को इस वर्ष का शांति स्‍वरूप भटनागर पुरस्‍कार देने की घोषणा की गई जिसमें पांच लाख रुपये नगद, प्रशस्ति पत्र और बैज प्रदान किया जाएगा।

चौथे राष्‍ट्रीय प्रदर्शनी और प्रोजेक्‍ट प्रतियोगिता प्रारम्‍भ

श्री अजीत कुमार सेठ, आईएएस, कैबीनेट सचिव, भारत सरकार ने चौथे राष्‍ट्रीय प्रदर्शनी और प्रोजेक्‍ट प्रतियोगिता का शुभारम्‍भ किया जो 6 अक्‍टूबर, 2014 को प्रगति मैदान नई दिल्‍ली में आयोजित हुआ था। उन्‍होंने देशभर के बाल वैज्ञानिकों को द्वारा लाए गए विभिन्‍न आविष्‍कार मॉडल को हरेक स्‍टॉल पर जाकर देखा और बच्‍चों की वैज्ञानिक सोच से प्रभावित हुए और उन्‍हें प्रोत्‍साहन दिया। इसमें 10-32 वर्ष तक के नागरिक भाग लेते हैं।

सीएसआईआर- न्‍यू मिलेनियम इंडियन टेक्‍नोलॉजी लीडरशिप (सीएसआईआर- एनएमआईटीएलआर्इ)- सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच एक महत्‍वाकांक्षी पीपीपी प्रोजेक्‍ट

डा. जितेन्‍द्र सिंह ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्रालय में राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) ने 7 अक्‍टूबर, 2014 को सीएसआईआर-एनएमआईटीएलआई द्वारा विकसित ब्रॉड स्‍पेट्रम कॉन्‍फोकल माइक्रोस्‍कोप को लोकार्पित किया।
उन्‍होंने कहा कि यह नैनो विज्ञान बायोलोजी आदि के क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

सीएसआईआर के तहत जम्‍मू-कश्‍मीर आरोग्‍य ग्राम योजना का शुभारम्‍भ

विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने 18 अक्‍टूबर, 2014 को सीएसआईआर के सहयोग से जो कि विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है, द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर आरोग्‍य ग्राम योजना का शुभारम्‍भ किया गया। इसके तहत जम्‍मू- कश्‍मीर के एक हजार गांवों में सुगंधित पौधों की खेती करना, यहां के स्‍थानीय किसानों को इसका लाभ दिलाना जैसे अन्‍य लाभदायक कार्यक्रम शामिल है।

स्‍वच्‍छ जल तकनीकी का शुभारम्‍भ, भारत-कनाडा के बीच विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र  में सहयोग के लिए समझौता पत्र पर हस्‍ताक्षर  

विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने 15 अक्‍टूबर, 2014 को भारत कनाडा विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग कार्यक्रम का शुभारम्‍भ किया जिससे स्‍वच्‍छ जल तकनीकी को बढ़ावा मिलेगा।

शोध वैज्ञानिकों के फेलोशिप राशि में बढ़ोतरी

विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान, राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने 21 अक्‍टूबर, 2014 को नई दिल्‍ली में शोध वैज्ञानिकों के फेलोशिप में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की। मंत्री ने कहा कि यह लंबे समय से युवा वैज्ञानिकों की मांग थी जिसे विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय ने पूरी कर दी।

डा. हर्षवर्धन ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्रालय का कार्यभार संभाला 
  
10 नवम्‍बर, 2014 को डा. हर्षवर्धन ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्रालय का कार्यभार नई दिल्‍ली में संभाल लिया। पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा ‘आज विज्ञान दिवस है जो शांति और विकास को समर्पित है अब समय आ गया है कि हम समाज और विज्ञान के बीच एक ठोस पुल का निर्माण करें। विज्ञान के क्षेत्र से होने और विज्ञान मंत्री बनने पर मुझे खुशी हुई मेरी कोशिश यही होगी कि इस मंत्रालय से आम लोगों को फायदा पहुंचे।

श्री वाई.एस. चौधरी ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान राज्‍य मंत्री का कार्यभार संभाला

     10 नवम्‍बर, 2014 को श्री वाई.एस. चौधरी ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान राज्‍य मंत्री का कार्यभार नई दिल्‍ली में संभाल लिया। वह 9 नवम्‍बर, 2014 को केन्‍द्रीय मंत्रि‍मण्‍डल विस्‍तार के साथ मंत्री बने है।

भारत और यूके वृहद स्‍तर पर दिूपक्षीय शोध समझौता को तैयार हुए

12 नवम्‍बर, 2014 को भारत और ग्रेट ब्रिटेन ने वृहद स्‍तर पर दिूपक्षीय शोध समझौता करने को तैयार हुए। डा. हर्षवर्धन ने विज्ञान एवं तकनीकी और भू-विज्ञान मंत्री, भारत सरकार और ब्रिटेन के विश्‍वविद्यालय, विज्ञान और नगरीय मंत्री हॉन ग्रेग क्लार्क ने नई दिल्‍ली में यह निर्णय किया कि नई नीति के तहत न्‍यूटन- भाभा फंड की स्‍थापना होगी।

भारत, अमेरिका विज्ञान एवं तकनीकी की तीसरी बैठक संपन्‍न  

तीसरे विज्ञान एवं तकनीकी संयुक्‍त आयोग की बैठक 19 नवम्‍बर, 2014 को नई दिल्‍ली में भारत और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के बीच हुई। इस संयुक्‍त बैठक की सहअध्‍यक्षता विज्ञान एवं तकनीकी राज्‍य मंत्री श्री वाई.एस. चौधरी ने की और यूएसए से हृवा‍इट हाऊस में विज्ञान एवं तकनीकी नीति के निदेशक और यूएसए के राष्‍ट्रपति के वैज्ञानिक सलाहकार डा. जॉन हॉल्‍ड्रन उपस्थित थे। यह समझौता दोनों देशों के बीच विज्ञान एवं तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक मजबूत स्‍तंभ के रूप में काम करेगा।

नवीन अविष्‍कार का महत्‍व: विज्ञान एवं तकनीकी विभाग द्वारा भारतीय राष्‍ट्रीय अंवेषण रिपोर्ट जारी

विज्ञान एवं तकनीकी विभाग द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी, अन्‍वेषण और ज्ञान निर्माण के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नवीन अविष्‍कार का महत्‍व: विज्ञान एवं तकनीकी सर्वोक्षण 22 दिसम्‍बर, 2014 को एमएसएमई द्वारा सामाजिक पहलुओं को ध्‍यान में रखते हुए जारी किया गया। इस राष्‍ट्रीय रिपोर्ट में अविष्‍कार की गतिविधियां, इसके स्‍त्रोत, लिंक, मानव संसाधन और इसको प्रभावी करने वाले विभिन्‍न तत्‍वों का विश्‍लेषण किया गया है। यह सर्वेक्षण 26 राज्‍यों और पांच केन्‍द्रशासित प्रदेशों में किया गया।

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