विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे किसान भाइयों एवं बहनों, अभी मुख्यमंत्री जी कनडा भाषा में अपनी बात बता रहे थे। मैं कनडा भाषा नहीं जानता हूं। उसके बावजूद भी वो जो कह रहे थे, उसको में समझ पा रहा था। और उसका कारण यह है कि अगर देश को आगे बढ़ाना है, तो केंद्र और राज्य को मिलकर के काम करना होगा। राज्य की भावनाओं को केंद्र को समझना होगा और केंद्र की योजनाओं को राज्य और केंद्र को मिलकर के ही पार करना होगा। आज ये जो फूड पार्क हम दे रहे हैं, इसमें राज्य सरकार, केंद्र सरकार और प्राइवेट पार्टी - तीनों की भागीदारी है। तीनों ने मिलकर के इस काम को आगे बढ़ाया है। देश को भी आगे बढ़ाने के लिए, दिल्ली में बैठी हुई इस नई सरकार का संकल्प है - अगर देश को आगे ले जाना है तो राज्यों को आगे ले जाना होगा। राज्य मजबूत होंगे तो देश मजबूत होगा। राज्य विकास करेंगे तो देश विकास करेगा। राज्य प्रगति करेंगे तो देश प्रगति करेगा। पहले के समय में या तो राज्य और केंद्र प्रतिस्पर्धा में लगे थे, या राजनीतिक कारणों से विरोध में जुटे हुए थे। कुछ राज्यों को तो दुश्मनी के व्यवहार का अनुभव होता था। देश ऐसे नहीं चल सकता है। अगर देश चलाना है तो केंद्र और राज्यों को एक टीम बन करके काम करना होगा। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को - वे किसी भी दल के क्यों न हो, दल कोई भी क्यों न हो, देश तो एक है - कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ाना होगा। और मैं, एक के बाद एक, सभी राज्य सरकारों को विश्वास में लेकर के, सभी मुख्यमंत्रियों का साथ लेकर के, भारत के फेडरल स्ट्रक्चर को लेटर एंड स्पिरिट में कैसे उपयोग किया जा सकता है, कैसे उस ताकत का उपयोग किया जा सकता है, उसको करने के लिए हमारी पूरी कोशिश रहेगी। आज का दिवस अनेक प्रकार से विशेष है। आज भारत के वैज्ञानिकों ने एक बहुत बड़ी सिद्धि प्राप्त की है। पहले ही प्रयास में मंगल के orbit में स्थान पाने वाला हिंदुस्तान पहला देश बन गया है। आज मेरा ये भी सौभाग्य रहा कि यहां आने से पहले परम पूज्य सिद्धगंगा स्वामीजी के चरण स्पर्श करने का अवसर मिला। उनके आर्शीवाद लेने का अवसर मिला। और आज, जैसे हमारे मंत्री जी ने कहा – अन्नं ब्रह्म। अन्न ब्रहम की पूजा करने का, इस प्रोजेक्ट के द्वारा अवसर मिला है। हम सुनते आए हैं, भारत कृषि प्रधान देश है। लेकिन देश के किसानों का हाल क्या है? किसान देश का पेट भरता है और किसान की ताकत है, दुनिया के भी कई हिस्सों का पेट भर सकता है। लेकिन किसान की जेब नहीं भरती है। वह हमारा तो पेट भरे, लेकिन अगर उसकी जेब नहीं भरती है, तो हमारा किसान जाएगा कहां। और वो तब होगा, जब हम कृषि को वैज्ञानिक तरीके की और ले जाएंगे। हम हमारी उत्पादन क्षमता को बढ़ाएंगे। हम हमारे कृषि उत्पादन के रख-रखाव की अच्छी व्यवस्था करेंगे। हम Value addition करेंगे। किसान के रख-रखाव के भाव में वेयर हाउस नहीं हैं, cold storage नहीं हैं, infrastructure नहीं है, अपना फल-फूल पैदा कर के गांव से बाजार ले जाने को अच्छे रास्ते नहीं है। तो किसान कितनी भी मेहनत करेगा वह आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हो सकता है। और यह समय की मांग है कि हमारा किसान जो उत्पादन करता है, उसको सही Market मिले, सही दाम मिले। रखरवाव की व्यवस्था मिले, Value addition के लिए processing हो। अगर ये किया गया, भारत का गांव समृद्ध होगा, भारत का गरीब समृद्ध होगा। अगर हिन्दुस्तान की economy को आगे बढ़ाना है, तो गांव के इंसान की खरीद शक्ति को बढ़ाना होगा, उसके purchasing power को बढ़ाना पड़ेगा। अगर गांव के व्यक्ति का purchasing power बढ़ता है, तो शहर की economy भी तेज गति से आगे बढ़ने लग जाती है। और गांव के व्यक्ति का purchasing power तब बढ़ता है, जब कृषि क्षेत्र में हमारी ताकत बढ़े। और इसलिए राज्य का, केन्द्र का, मिल कर के प्रयास रहना चाहिए कि हम कृषि क्षेत्र को किस प्रकार से आधुनिक बनायें, वैज्ञानिक बनायें। Food Processing, यह हमारे देश के लिए नई चीज नहीं है। सदियों से हमारे पूर्वज अपने-अपने तरीके से व्यक्तिगत उपयोग के लिए इन चीजों को करते आए थे। अब देखिये, बिहार का कोई व्यक्ति, कहीं भ्रमण के लिए जाता है, महीने भर के लिए जाना है, तो अपने साथ सत्तू बना कर ले जाता है। और महीनों तक वह सत्तू खाने के काम आ जाता है। यही तो है Food Processing, और क्या है? हमारे पूर्वज हैं, जो किसी जमाने में गन्ने के रस से गुड़ बनाते थे। वह भी जमीन पर बनाते थे। वह भी तो Food Processing था। एक जमाना था, सामुद्रिक मार्ग में एक रास्ता पूरे विश्व प्रसिद्ध था। सामुद्रिक मार्ग में, sea route में, एक Spices Trade Route सदियों से जाना जाता है। आज तो कई प्रकार के Trade Route की समुद्र से चर्चा होती है। पर वह spices का समुद्र में ट्रेड रूट था, हमारे देश के किसान जो मसाला पैदा करते थे, वह पूरे विश्व के बाजार में जाता था। और समुद्र के मार्ग का उपयोग भी Spices Trade Route के रूप में होता था। यह सामर्थ्य हमारे देश के किसानों में था। आज समय की मांग है कि हमारे किसान जो पैदा करते हैं, उसका wastage अगर हम बचा लें, तो भी देश के 30-40 हजार करोड़ रुपये बच सकता है। और इसके लिए इस प्रकार के आर्थिक व्यवस्थाओं को हमें विकसित करना होगा। आज कल तो Nuclear Energy का उपयोग भी किसानों की भलाई के लिए करने की संभावनाएं पैदा हुई हैं। भारत उसको भी आगे बढ़ाना चाहता है। उसी प्रकार से इन दिनों में कुछ कंपनियों के सामने मैंने एक विषय रखा है। हम Pepsi पीते हैं, Cola पीते है, न जाने कितने-कितने प्रकार के Beverages बाजार में मिलते हैं। अरबो-खरबों रुपये का व्यापार होता है। मैंने इन कंपनियों को कहा कि आप ये जो बनाते है, aerated waters, क्या उसमें 5% natural fruit juice को mix किया जा सकता है क्या? आप कल्पना कर सकते हैं, आज जो अरबो-खरबों रुपये का इस प्रकार के पेप्सी वगैरह पेय का जो व्यापार है, पांच प्रतिशत उसमें, ज्यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5% , किसान जो फल पैदा करता है, उसे फल का जूस अगर उसमें मिक्स कर दिया जाए, हिंदुस्तान के किसान को फल बेचने के लिए कभी बाजार ढूंढने नहीं जाना पड़ेगा। अरबो-खरबों रुपये के फलों का व्यापार एक निर्णय में हो सकता है। मैंने भारत सरकार की जो Research Institutes हैं, उनसे भी आग्रह किया है, कि आप research करें कि इन aerated waters में - ये पेप्सी कोला वगैरह जो बिकता है - उसमें हमारा किसान जो पैदा करता है, उन फलों का जूस, नेचुरल जूस अगर उसमें डाला जाए तो तेरे किसान की आय बढ़ेगी, उनके फल बिक जाएंगे और मेरे किसान को कभी अपने फल चौराहे पर फेंकने की नौबत नहीं आएगी। मैं अभी एक science magazine पढ़ रहा था। आज देखिए, आज किसान जो पैदा करता है, कोई चीज waste जाने वाली नहीं है। कितनी चीजें बन सकती है। हम cashewnut खाते हैं, cashewnut का बड़ा बाजार मिलता है। लेकिन अभी विज्ञान यह कह रहा है कि cashewnut का जो कवर होता है, जिसमें से cashew निकलता है, वो जो ऊपर का कवच होता है, जो हार्ड कवच रहता है, वह nutrient-rich च रहता है। अगर उसका जूस बाजार में जाएगा तो nutrition के लिए हर व्यक्ति को उपयोगी होगा। अब तक हम क्या करते थे, काजू निकालते थे और ऊपर का छिलका जला देते थे। अब उसमें value addition होने की संभावना हुई है। केले, हमलोग केले की खेती करते है। केला निकालने के बाद वो चूरा पौधा जो होता है, पांच फीट, छह फीट ऊंचा होता है, उसको नष्ट करने के लिए अलग contract देते थे। एक बीघा जमीन में यह साफ करने के लिए 10 हजार 20 हजार रुपये हम देते थे। आज हमारे यहां एक university ने research किया है कि केले पकने के बाद, केले निकलाने के बाद जो पौधा बचता है, उसमें से बहुत बढि़या तंतु निकलते हैं, धागे बनते हैं। और उसमें से उत्तम प्रकार का कपड़ा बन सकता है। केले के waste में से कपड़ों का निर्माण होने की संभावना पैदा हुई है। यानी मूल्य वृद्धि - processing। हम सदियों से इन चीजों से परिचित है। हम करते आए हैं। हम दूध में घी बनाते है। दूघ दो दिन भी टिकता नहीं है, लेकिन घी महीनों तक टिकता है। कौन सी technology है ये? सहज परिवार का ज्ञान है जो फूड प्रोसेसिंग प्रक्रिया को करता है। दूध में से घी बनता है और महीनों उस घी का उपयोग करता है। घी खराब नहीं होने देता है। आज हमारा किसान टमाटर बेचता है, कम पैसे मिलते हैं, लेकिन अगर टमाटर का ketchup बनाकर के बेचे तो ज्यादा पैसा मिलता है। और ketchup का bottle भी बढि़या हो, नाम भी बढि़या हो और कोई नारी हाथ में बोटल लेकर खड़ी हो, तो उसे और ज्यादा पैसे बाजार में मिल जाते हैं, marketing का जमाना है। हमारा किसान अगर आम बेचता है तो कम पैसे मिलते हैं, लेकिन अचार बनाकर बेचता है तो दुनिया के बाजार में अचार बिकता है। आज पूरे विश्व में भारत के भोजन के प्रति एक आकर्षण पैदा हुआ है। भोजन में भारत का टेस्ट आज विश्व भर में एक आकर्षक का केंद्र बना है। लेकिन preparation उनके लिए संभव नहीं हैं। Ingredients available नहीं हैं। लेकिन अगर हम packed, ready-to-eat भोजन बनाकर करके बाजार में रखते हैं। आज पूरे विश्व में हमारा माल बिक सकता है। अगर आप Indian Curry पैक करके बेचना शुरू करें, दुनिया खरीदने के लिए तैयार बैठी है। इतना बड़ा Global Market है, उसकों हम कैसे स्पर्श करें? आज Organic Farming, इसका महत्व बढ़ रहा है। सारा विश्व Holistic Healthcare की ओर जा रहा है। हमारे हिमालयन states, North East states, जिसमें organic farming की सबसे ज्यादा संभावना है – chemical fertilizer से मुक्त। अगर उनको हम अच्छी laboratory दें, अच्छा certification दें, दुनिया के बाजार में जो माल एक रूपए में बिकता है, अगर वो Organic Farming से बना तो वही माल एक डॉलर में बिक जाता है। ये संभावनाएं पड़ी हैं और इन संभावनाओं को तलाशने का प्रयास भारत सरकार कर रही है, उसे प्रोत्साहन दे रही है। हिन्दुस्तान के हर कोने में किसान जो पैदावार करता है, उस पैदावार के लिए आवश्यक जो व्यवस्थाएं हैं, उन व्यवस्थाओं जितना infrastructure हम बढ़ाएगें। समुद्री तट से उसे विश्व व्यापार के लिए अवसर देंगे। हमारा किसान बहुत चीजें कर सकता है। एक बार में एक function में गया था। ट्राइबल इलाका था। उन ट्राइबल लोगों ने मुझे गुलदस्ता भेंट किया और मैं हैरान था। गुलदस्ते में जो फूल थे, हर फूल पर मेरी तस्वीर लगी थी। मेरे लिए वो पहली घटना थी। मैंने कहा, भाई, ये क्या है? आदिवासी लोग थे, ट्राइबल लोग थे। उन्होंने कहा, हम laser technology से फूल पर photo print करते हैं और ये फूल बाजार में बेचते हैं। जो फूल हमारा दो रूपए में नहीं बिकता था, वो फूल आज हमारा दो सौ रूपए में बिकता है। अब देखिए technology दूर-दराज के गांव में रहने वाले आदिवासी भी किस प्रकार से वैल्यू एडिशन किया जा सके, वो कर रहा है। हम उसे पहुंचाएं बात को, हम व्यवस्थाएं खड़ी करें। और देश में आगे बढ़ने के लिए Public-Private Partnership Model को हम बढ़ावा देंगे। हम private companies कंपनियों को प्रोत्साहित करेंगे। आइये हमारे किसानों की जो पैदावार है, उसमें मूल्य वृद्धि कैसे हो, किसान को अधिक से अधिक लाभ कैसे मिले, किसान जो पैदा करता है, उसके wastage से हम बचें, किसान जो पैदा करता है, वो अन्य गरीब के पेट में जाए, गरीब का आर्शीवाद मिलें, उन बातों पर बल दे रहें हैं। मैं आज इस India Food Park को देश के चरणों समर्पित करता हूं, भारत किसानों के चरणों में समर्पित करता हूं। और ये बदलाव, आने वाले समय में संपूर्ण किसी क्षेत्र में बदलाव लाएगा। इस विश्वास के साथ एक एग्रीकल्चर इकोनोमी को एक नया आयाम देने का प्रयास आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक विकास की यात्रा में, हमारा किसान, किसान के द्वारा उत्पन्न की पैदा की गई पैदावार भी हमारे आर्थिक यात्रा को एक बहुत बड़ा बल देंगे। इसी विश्वास के साथ फिर एक बार मैं आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, आपका आभार व्यक्त करता हूं। किसानों के इस परिश्रम को लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था जय जवान-जय किसान। अटल जी ने कहा था जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान। आज का वो दिन है, जहां जय विज्ञान भी है, जय किसान भी है। ये जय विज्ञान, जय किसान, जय जवान के लिए भी कम आने वाला है, इसीलिए मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद। |
Read,Write & Revise.Minimum reading & maximum learning
25 September 2014
Text of Prime Minister Shri Narendra Modi’s address at the inauguration of the India Food Park in Tumkur
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured post
UKPCS2012 FINAL RESULT SAMVEG IAS DEHRADUN
Heartfelt congratulations to all my dear student .this was outstanding performance .this was possible due to ...
-
How the world’s largest solar park is shaping up in Karnataka Karnataka govt aims to generate by 2018-end around 2700 MW from the Pavag...
-
While the government’s demonetisation drive will likely negatively impact the economy in the short term, it could help over the longer ter...
-
Chief Minister of Gujarat inaugurates 18th National Conference on e-Governance The 18th National Conference on e-Governance was inaugurat...
-
India was ranked 131 in the 2016 Human Development Index (HDI) among the 188 countries. India scored 0.624 and was placed in medium human ...
-
Does good economics make for good politics in India? A Mint analysis of 18 major Indian states shows that governments which deliver bett...
-
We are expecting UTTARAKHAND PCS NOTIFICATION by JULY 2014.You can register yourself for pre& mains-cum -pre classes at samveg ias. Qua...
-
Twin Balancesheet Problem (TBS)- Three Stages economic survey perspective As of 31 December 2015, the total non-performing asset of s...
-
Cabinet approves Revised Cost Estimate-I of Koteshwar Hydro Electric Project in Uttarakhand The Cabinet Committee on Economic Affairs, c...
-
Leaders of the BRICS emerging market nations launched a $100-billion development bank and a currency reserve pool on Tuesday in their firs...
-
For the first time, India will allow nearly 15% of universities to offer online degrees allowing students and executives to learn anywhere...
No comments:
Post a Comment